शनि हो रहे है अस्त - इन 3 राशि के व्यक्ति हो जाएं- सावधान
By: Future Point | 05-Dec-2017
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ज्योतिष शास्त्रों में अस्त ग्रहों के बारें में कहा गया है, कि अस्त ग्रह अपने नैसर्गिक गुणों को खो देते हैं, बलहीन हो जाते हैं और यदि वह मूल त्रिकोण या उच्च राशि में हों तब भी पूर्ण रुप से अच्छे परिणम देने में असमर्थ हो जाते हैं। सहज शब्दों में इसे समझा जाए तो यह वह स्थिति होती है जैसे- कोई व्यक्ति निष्क्रिय और आलसी हो गया हो। उसके मन, शरीर और वचन में शिथिलता आ गई हो। इसे दूसरी तरह से समझते है- ज्योतिष शास्त्र में एक अस्त ग्रह की वही स्थिति बन जाती है जो एक बीमार, बलहीन और अस्वस्थ राजा की होती है। अस्त ग्रहों के बारें में यहां तक कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में एक साथ तीन ग्रह अस्त हो जायें, उस व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक निर्बलता सामान्य रुप से देखी जा सकती है। जिन व्यक्तियों पर वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती, शनि ढैय्या, शनि महादशा, शनि अंतर्द्शा और शनि प्रत्यंतर दशा का प्रभाव चल रहा है, उन सभी राशि के व्यक्तियों को इस समय में सावधान हो जाना चाहिए। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र कहता है कि अस्त ग्रह की दशान्तर्दशा में कोई गंभीर दुर्घटना, दु:ख या बीमारी आदि हो जाती है।
नवग्रहों में शनि ग्रह मेहनत और न्याय के कारक ग्रह है। 07 दिसम्बर 2017, 18:18 बजे से लेकर 05 जनवरी 2018, 11:15 प्रात: तक शनि देव अस्त होने जा रहे है। इस समयावधि में शनि स्थित राशि और अन्य शनि से प्रभावित राशि के व्यक्तियों में उपरोक्त आलस्य देखने में आएगा। यहां ध्यान देने योग्य बात यह कि शनि का अस्त होना सभी राशि के व्यक्तियों के लिए एक समान नहीं रहने वाला है। आईये जाने कि किस राशि के व्यक्ति के लिए यह किस प्रकार का रहने वाला है -
धनु राशि
धनु राशि के व्यक्तियों के लिए शनि आय और व्यय दोनों के स्वामी है, अत: इस राशि के व्यक्तियों की आय में कमी और व्ययों में बढ़ोतरी होगी।
वृषभ राशि
वर्तमान में वृषभ राशि पर अष्टम ढ़ैय्या चल रही है। इस राशि के व्यक्तियों को अचानक दुर्घटनाओं से बचाव करने के लिए सावधान रहना होगा।
कन्या राशि
कन्या राशि से शनि की स्थिति इस समय चतुर्थ भाव पर चल रही है, इस स्थिति में कन्या राशि के व्यक्ति कंटक शनि ढ़ैय्या के दौर से गुजर रहे है। अत: भूमि और भवन से जुड़ी योजनाओं को इस अवधि में स्थगित करना ही श्रेयस्कर रहेगा। ह्रदय घात के केस भी इस समय में बढ़ जाएंगे।
अन्य राशि के व्यक्तियों के लिए
यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में शनि अस्त हो और उनकी दशा-अन्तर्दशा आ जावे तो वह अस्थि भंग होने, टांगों या पैरों में दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द आदि से पीडित रहता है। उसे कठोर परिश्रम करना प़डता है, उसका कार्य व्यवहार नीच प्रकृति के लोगों से रहता है। उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा समाप्त होने लगती है। शनि के राहु-केतु से प्रभावित होने पर जो़डो में दर्द रहने लगता है। अस्त शनि के षष्ठेश के पाप प्रभाव में होने पर रीढ़ की हड्डी में दर्द, जो़डों में दर्द, शरीर में जक़डन रहने लगता है, मुकदमों का सामना करना प़डता है। अस्त शनि के अष्टमेश के पाप प्रभाव में होने पर अस्थि टूट जाने, रोजगार में समस्या अथवा किसी प्रियजन का अभाव हो जाना होता है। शनि के द्वादशेश के पाप प्रभाव में होने पर व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रस्त रहने लगता है अथवा व्यसन में डूब जाता है।