शनि और सूर्य की युति कर सकती है पिता-पुत्र के रिश्ते बर्बाद
By: Future Point | 20-Oct-2018
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सौरमंडल में नौ ग्रह विद्यमान हैं और इनमें सूर्य और उनके पुत्र शनि देव को प्रमुख ग्रह माना गया है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य और शनि देव पिता एवं पुत्र हैं किंतु इन दोनों के बीच का संबंध अच्छा नहीं है। शनि देव अपने पिता सूर्य से नाराज़ रहते हैं और इस वजह से जिस जातक की कुंडली में सूर्य और शनि एकसाथ एक ही घर में आ जाएं उसके अपने पिता से संबंध खराब हो जाते हैं।
सूर्य और शनि का प्रभाव
सूर्य यश, सम्मान, कीर्ति और प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है। मनुष्य के शरीर में पेट, आंख, हड्डियों, ह्रदय और चेहरे पर इसका आधिपत्य माना जाता है। अगर सूर्य खराब फल दे तो इसके कारण
वहीं सूर्य के पुत्र शनि को न्याय का देवता कहा गया है जोकि मनुष्य को उसके कर्मों का फल देते हैं। शनि की कृपा से कार्यों में सफलता मिलती है और आय के साधन बढ़ते हैं।
सूर्य-शनि का योग
- जन्मकुंडली में सूर्य-शनि का योग हो तो उस व्यक्ति को अपने पुत्र से दूर रहना पड़ता है। इस योग के प्रभाव की वजह से पिता-पुत्र के संबंधों में खटास आ जाती है।
- वहीं अगर कुंडली में सूर्य और शनि एक दूसरे के समसप्तक यानि आमने-सामने हों तो पिता और पुत्र के बीच वैचारिक मतभेद होते हैं।
- लग्न भाव में सूर्य हो और कुंडली के सातवें भाव में शनि विराजमान हो तो पारिवारिक सदस्यों विचारों में मतभेद उत्पन्न होता है। ये पारिवारिक क्लेश का कारण बनता है। सेहत अच्छी नहीं रहती है और सदस्य अपने विचारों पर संयम नहीं रख पाते हैं। इस वजह से काम बिगड़ सकते हैं और धन से जुड़ी परेशानियां भी उत्पन्न होती हैं।
- कुंडली में सूर्य तीसरे और शनि नौवे भाव में बैठा हो तो इस योग की वजह से जातक के अपने भाईयों, दोस्तों, पार्टनर से तालमेल बनाने में दिक्कत आती है। इस वजह से भाग्य का साथ भी नहीं मिल पाता है। धर्म से जुड़े कार्यों में रूचि नहीं रहती है।
- चौथे भाव में सूर्य और दसवें भाव में शनि हो तो उस व्यक्ति को अपने पिता या पुत्र से वियोग सहना पड़ता है। ऐसे में पिता-पुत्र एकसाथ नहीं रहते हैं। किसी भी वजह से इन दोनों के बीच दूरियां बढ़ जाती हैं।
- पंचम भाव और एकादश भाव में समसप्तक के योग बनने पर जातक को शिक्षा के क्षेत्र में कठिनाईयां आती हैं। संतान से भी वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते हैं।
- षष्टम और एकादश भाव में सूर्य और शनि का समसप्तक योग इंसान के नेत्रों पर आक्रमण करता है। ये योग नेत्र रोगी बना देता है। इस योग में कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों में सफलता मिलती है।
सूर्य और शनि का अशुभ प्रभाव
सूर्य के उच्च स्थान में होने पर जातक का रंग गेहुंआ और कद लंबा होता है। ये लोग अपनी मेहनत से सफलता पाते हैं। वहीं सूर्य नीच का हो तो उस व्यक्ति के मुंह से हमेशा लार बहती रहती है। इन्हें लकवा मार सकता है। आपको गुड़ खाकर किसी नए कार्य को आरंभ करना चाहिए।
सूर्य का शनि से संयोग हो तो वह व्यक्ति आशिक, मजनू और प्रेमी बनता है।
सूर्य-शनि को शांत करने के उपाय
- सूर्य को रोज़ सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।
- शनिवार के दिन तेल का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनिवार को शनि देव की उपासना करें।
- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें।
- सूर्य देव और उनके पुत्र शनि देव को एकसाथ प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की उपासना करें। इस उपाय से शनिदोष भी शांत होता है।
- सूर्य के मंत्र – ऊं सूर्याय नम: का जाप करें।
- शनि के मंत्र – ऊं शं शैनश्चराय नम: का जाप करें।
- ज्योतिषशास्त्र में हर ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए ग्रह शांति पूजा करवाई जाती है। अगर आप भी शनि दोष या सूर्य दोष से पीडित हैं या इनके अशुभ प्रभाव के कारण पिता-पुत्र के संबंधों में कटुता आ रही है तो आप अपने लिए ग्रह शांति पूजा करवा सकते हैं।
आपको बता दें कि आप Future Point के अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से भी ग्रह शांति पूजा करवा सकते हैं। इस पूजा की सबसे खास बात ये है कि आप घर बैठे भी ऑनलाइन इस पूजा में शामिल हो सकते हैं।