पितृपक्ष में जरूर जानें पितरों की तस्वीरों के बारे में ये बातें
By: Future Point | 06-Sep-2018
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पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष का विधान है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की शांति के लिए पित्तर दान किए जाते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं करता है उसे पितृदोष लगता है। इस दोष से मुक्ति पाने और अपने पूर्वजों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने का सबसे सरल उपाय है पितरों का श्राद्ध करना। श्राद्ध करने के बाद पित्तरों को मुक्ति मिल जाती है।
पितृ पक्ष के दिनों में कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता है तो पितृ नाराज़ हो जाते हैं और इसका दंड उस व्यक्ति को भुगतना पड़ता है।
पितृ पक्ष के दौरान पित्तरों की तस्वीर को लेकर कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसा नहीं है कि आप अपने पित्तरों की तस्वीर घर के किसी भी कोने में लगा सकते हैं। इसके लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
तो चलिए जानते हैं पितृ पक्ष में पित्तरों की तस्वीर से जुड़ी कुछ खास बातें।
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घर के पूजन स्थल में पित्तरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। मंदिर में अपने किसी भी पूर्वज की तस्वीर ना लगाएं।
अगर आपके घर में मंदिर उत्तर पूर्व दिशा में है तो आपको पित्तरों की तस्वीर को पूर्व दिशा में स्थान देना चाहिए। इसके अतिरिक्त अगर पूजा पूर्व दिशा में होती है तो तस्वीर को उत्तर पूर्व दिशा में लगाएं।
अपने घर के उत्तरी हिस्से में कमरों में या फिर जिस भी कक्ष में आप पितरों की तस्वीर को लगाना चाहते हैं उस कक्ष की उत्तर दिशा की दीवार पर पित्तरों की तस्वीर लगाना शुभ माना जाता है।
घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में पित्तरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे घर की तरक्की के मार्ग बंद हो जाते हैं और वहां रहने वाले लोगों को सफलता पाने में कठिनाईयां आती हैं।
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अपने घर की दक्षिण और पश्चिम दिशा में पितरों की तस्वीर को लगाना वर्जित माना गया है। इस दिशा में तस्वीर लगाने से घर की संपत्ति को नुकसान होता है। ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है।
घर के बीचों-बीच वाले स्थान पर भी पितरों की तस्वीर लगाना अशुभ फल देता है। इस जगह पर पितरों की तस्वीर लगाने से वहां के लोगों के मान-सम्मान में कमी आ सकती है। अगर कोई अपने घर में इस स्थान पर पितरों की तस्वीर लगाता है तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा कम हो सकती है।
इसके अलावा पितृ पक्ष के दौरान कुछ कार्यों को करना भी निषेध माना गया है। अगर आप इन कार्यों को करते हैं तो आपके जीवन में मुसीबतें आ सकती हैं और आपके पूर्वज आपसे नाराज़ हो सकते हैं।
बेहतर होगा कि आप पितृ पक्ष के दौरान इन कार्यों को ना करें :
- पितृ पक्ष के दौरान आपके पूर्वत किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं इसलिए अपने घर आए किसी भी जीव का निरादर ना करें। अगर कोई आपके घर के दरवाज़े पर कुछ मांगने आता है तो उसे खाली हाथ ना लौटाएं।
- पितृ पक्ष के दौरान पक्षियों को अन्न और जल देने से बहुत लाभ होता है। इन्हें भोजन देने से पितृगण प्रसन्न होते हैं।
- पित्तरों का श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मांस-मछली आदि का सेवन बंद कर दें।
- श्राद्ध कर्म में स्थान का विशेष महत्व होता है। गया, प्रयाग, बद्रीनाथ जैसे स्थानों पर पिंडदान करने से पित्तरों को मुक्ति मिलती है। इन स्थानों पर पिंडदान या श्राद्ध नहीं कर सकते हैं तो अपने घर के आंगन में कहीं तर्पण कर सकते हैं।
- श्राद्ध के दिनों में तर्पण क्रिया में काले तिल का भी बहुत महत्व है। पितृ कर्म में काले तिल का इस्तेमाल करें। लाल या सफेद तिल का प्रयोग करना वर्जित है।
- पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन करवाने का नियम है। भोजन सात्विक होना चाहिए एवं धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति को ही भोजन करवाएं।
- पितृ पक्ष के दौरान कुत्ते, बिल्ली और गाय को किसी भी प्रकार की हानि ना पहुंचाएं।
- श्राद्ध के दिनों में किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है इसलिए इन दिनों में नए वस्त्र भी धारण नहीं करने चाहिए और कोई भी नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
- पितृ पक्ष में चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, मूली, काला नमक, लौकी, खीरा और बासी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
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मान्यता है कि श्राद्ध के दिनों में हमारे पितृ किसी ना किसी रूप में धरती पर आते हैं और इसलिए हमें अपने घर आए किसी भी जीव का अनादर नहीं करना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि उन्हीं के रूप में हमारे पूर्वज हमारे घर आए हों। पितृ पक्ष के दौरान अगर कोई कुछ मांगने आए या भिखारी आपके द्वार आए तो उसे खाली हाथ ना लौटाएं। ऐसा करने से पितृ आपसे नाराज़ हो सकते हैं।