नवरात्री के छठे दिन इस प्रकार कीजिये मां कात्यायनी की पूजा आराधना। | Future Point

नवरात्री के छठे दिन इस प्रकार कीजिये मां कात्यायनी की पूजा आराधना।

By: Future Point | 16-Sep-2019
Views : 6419नवरात्री के छठे दिन इस प्रकार कीजिये मां कात्यायनी की पूजा आराधना।

नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी देवी की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है. कात्यायनी देवी दुर्गा जी का छठा अवतार हैं. शास्त्रों के अनुसार देवी ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ गया. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं. शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता कात्यायनी की अवश्य ही उपासना करनी चाहिए।

कात्यायनी देवी का स्वरूप-

दिव्य रुपा कात्यायनी देवी का शरीर सोने के समाना चमकीला है. चार भुजा धारी मां कात्यायनी सिंह पर सवार हैं. अपने एक हाथ में तलवार और दूसरे में अपना प्रिय पुष्प कमल लिए हुए हैं. अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं. इनका वाहन सिंह हैं.


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मां कात्यायनी की पूजा विधि-

  • गोधूली वेला के समय पीले या लाल वस्त्र धारण करके मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए।
  • मां कात्यायनी को पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
  • मां कात्यायनी को शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है।
  • मां कात्यायनी को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होती हैं।

मां कात्यायनी की कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार एक वन में कत नाम के एक महर्षि थे. उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया. इसके पश्चात कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया. उनकी कोई संतान नहीं थी. मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने की इच्छा रखते हुए उन्होंने पराम्बा की कठोर तपस्या की. महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें पुत्री का वरदान दिया. कुछ समय बीतने के बाद राक्षस महिषासुर का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया. तब त्रिदेवों के तेज से एक कन्या ने जन्म लिया और उसका वध कर दिया. कात्य गोत्र में जन्म लेने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ गया।

मां कात्यायनी को शहद का भोग प्रिय है-

नवरात्री के दौरान षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है. इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।

देवी कात्यायनी का मंत्र-

सरलता से अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने वाली मां कात्यायनी का उपासना मंत्र है-

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना|
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि||


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माँ कात्यायनी ध्यान मंत्र –

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहा रूढ चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्ण वर्णा आज्ञा चक्र स्थितां षष् ठम्दुर्गा त्रिनेत्राम।
वरा भीतंकरांषगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानांस्मेरमुखीं नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयुर किंकिणि रत्न कुण्डल मण्डिताम्।।
प्रसन्न वंदना पज्जवाधरां कातंकपोलातुग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यांत्रिवली विभूषितनिम्न नाभिम्॥

माँ कात्यायनी का स्तोत्र पाठ –

कंचनाभां कराभयं पदम धरा मुकुटोज्वलां।
स्मेर मुखी शिवपत्नी कात्यायन सुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानांनाना लंकार भूषितां।
सिंहा स्थितां पदमहस्तां कात्यायन सुते नमोअस्तुते॥
परमदंद मयीदेवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति,परम भक्ति् कात्यायन सुते नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती,विश्वभर्ती,विश्वहर्ती,विश्वप्रीता।
विश्वाचितां,विश्वातीता कात्यायन सुते नमोअस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानंदकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहíषणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मूत्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क:ठ:छ:स्वाहारूपणी॥

माँ कात्यायनी कवच –

कात्यायनौमुख पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।
ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्य संदरी॥
कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥