नवरात्री का आठवां दिवस – माँ महागौरी के स्वरूप् का महत्व एवं पूजा विधि ।
By: Future Point | 04-Apr-2019
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नवरात्री के आठवें दिन माँ दुर्गा जी के महागौरी स्वरूप् की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओ के अनुसार महागौरी की उपासना से मनुष्य को हर पाप से मुक्ति मिल जाती है, वैसे तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं लेकिन माना जाता है कि अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना ज्यादा फलदायी रहता है. माँ महागौरी की पूजा करने से मन पवित्र हो जाता है और भक्तो की सभी मनोकामनाये पूरी होती हैं।
देवी महागौरी के स्वरूप् का महत्व –
शास्त्रो के अनुसार भगवान शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया. महागौरी का रूप गौर वर्ण का हो गया इसलिए ये महागौरी कहलायीं, महागौरी की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गयी है, देवी महागौरी के वस्त्र व आभूषण सफ़ेद हैं, इनकी चार भुजाएं हैं, महागौरी का वाहन बैल है, देवी महागौरी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है, बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है.
नवरात्री अष्टमी को देवी महागौरी की पूजा करने से असम्भव कार्य भी सम्भव होने लगते हैं, जो महिलाएं शादीशुदा हैं अगर वो माँ गौरी को लाल चुनरी अर्पित करती हैं तो माँ गौरी उनके सुहाग की रक्षा करती हैं और कुंवारी कन्याओ को मनचाहे जीवनसाथी की मुराद पूरी होती है. देवी महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तो को सभी सुख की स्वतः ही प्राप्ति हो जाती है और साथ ही देवी महागौरी की भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है, माँ की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
देवी महागौरी – अष्टमी की पूजा विधि –
- माँ गौरी के सामने घी का दीपक जलाएं और उनके स्वरूप् का ध्यान करें इस मन्त्र का जप करते हुए सिद्ध गन्धर्व यक्षा धैर सुरैर मरैरपि । सेव्यामाना सदा भूयात् सिद्धिधा सिद्धिदायिनी ।।
- माता को रोली, अक्षत, पुष्प अर्पित करें
- माँ महागौरी की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाना चाहिए और काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाना चाहिए
- हवन की अग्नि जलाकर धूप, कपूर, घी, गुग्गल और हवन सामग्री की आहुतियां दें
- सिंदूर में एक जायफल को लपेटकर आहुति देने का भी विधान है
- धूप, दीप, नैवेध से माँ की पूजा करने के बाद मातेश्वरी की जय बोलते हुए 101 परिक्रमाएं दी जाती हैं
- माँ गौरी की आरती करें और इसके बाद कम से कम आठ कन्याओ को भोजन करवाएं इससे माँ महागौरी प्रसन्न होंगी
- माँ गौरी की पूजा करते समय इस मन्त्र का जप करें श्वते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरां शुचिः । महागौरी शुभं दधान्महादेव प्रमोदया ।।
- जो महिलाएं शादीशुदा हैं उनके लिए ये दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, सुहागिन महिलाओं को माँ की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान करा कर वस्त्र आभूषणों द्वारा पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए इसके बाद विधिपूर्वक आराधना करनी चाहिए
माता महागौरी की ध्यान -
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
महागौरी की स्तोत्र पाठ -
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
माता महागौरी की कवच -
ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥