नाग पंचमी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, इस एक चीज का दान करने से जीवनभर मिलेगी नागों से सुरक्षा
By: Future Point | 07-Aug-2022
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श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार पंचम तिथि के स्वामी स्वयं नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की ही पूजा की जाती है।
नाग पंचमी का मुहूर्त (Nag Panchami Muhurta)
सावन के महीने में 2 अगस्त को नाग पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन मंगलवार पड़ रहा है। नाग पंचमी पूजा का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि 2 घंटे 42 मिनट की है। गुजरात में नाग पंचमी मंगलवार, 16 अगस्त को मनाई जाएगी।
पंचमी तिथि आरंभ - 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से
पंचम तिथि समाप्त - 3 अगस्त को सुबह 5 बजे तक
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नाग पंचमी का व्रत और पूजन विधि (Nag Panchami vrat or pujan vidhi)
- इस त्योहार में 8 नागों की पूजा की जाती है जिनके नाम हैं अनंत, वासुकि, पदमा, महापदमा, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख।
- नाग पंचमी से एक दिन पूर्व यानि चतुर्थी के दिन एक ही समय खाना खाएं और अगले दिन पंचमी को व्रत रखें। व्रत खोलने के बाद रात्रि को भोजन कर सकते हैं।
- पूजा के लिए लकड़ी के पाटे पर नाग देवता की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- नाग देवता को हल्दी, रोली, अक्षत और फूल अर्पित करें।
- इसके बाद नाग देवता को दूध, चीनी और घी चढ़ाएं।
- नाग पंचमी के दिन नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए आप दान भी कर सकते हैं। पूजा में चढ़ाया गया दूध नाग रखने वाले लोगों को दे सकते हैं।
- अब नाग पंचमी की कथा सुनें और इसके पश्चात् नाग देवता की आरती करें।
नोट : कई हिससों में चैत्र शुक्ल पंचमी या भाद्रपद शुक्ल पंचमी को भी नाग पंचमी मनाई जाती है। संस्कृति और सभ्यताओं में भिन्नता होने की वजह से अलग-अलग हिस्सों या क्षेत्रों में इस त्योहार को अलग दिन और भिन्न तरीके से मनाया जाता है। कुछ जगहों पर कृष्ण पक्ष पर भी नाग पंचमी मनाई जाती है।
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नाग पंचमी का महत्व (Significance of Nag Panchami)
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय से ही नागों को देवता के रूप में पूजा गया है। नाग पंचमी के दिन नाग पूजा का विशेष महत्व होता है।
- ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन नाग पूजन करता है, उसे सांपों के डर से मुक्ति मिल जाती है या उसे सर्प नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
- नाग पंचमी को सांपों को दूध पिलाने या दूध चढ़ाने से व्यक्ति को नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र बनाने का भी रिवाज है। माना जाता है कि इससे घर पर नाग देवता की कृपा से कोई संकट नहीं आता है।
नाग पंचमी पर पूजा का लाभ (Benefits of Worship on Nag Panchami)
मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति इस दिन नागों की पूजा करता है या उन्हें दूध अर्पित करता है, वह जीवनभर के लिए नागों के भय से मुक्त हो जाता है और नागों से सुरक्षा प्राप्त होती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में नाग दोष है, तो उसे भी इस दिन नागों को पूजा करनी चाहिए। जब कुंडली में राहू और केतु एक ही तरफ आ जाएं और बाकी सभी ग्रह उनके बीच में हो , तब उस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्व दोष का निर्माण होता है।
नाग पंचमी की प्रचलित कथा
इसके अलावा अर्जुन के पोते और परिक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नागों से प्रतिशोध लेने और उनके पूरे वंश को नाश करने के लिए नाग यज्ञ रखा था क्योंकि परिक्षित के पिता को तक्षक नाग ने ही मारा था। नागों की रक्षा के लिए ऋषि जराटकारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को रोका था। जिस दिन उन्होंने यज्ञ को रोका था, उस दिन श्रावण शुक्ल की पंचमी थी। उन्होंने तक्षक और उनके पूरे वंश का नाश होने से रोका था। मान्यता है कि उसी दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाने की शुरुआत हुई थी।
हिंदू पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा के पुत्र ऋषि कश्यप की 4 पत्नियां थीं। किवदंती है कि उनकी पहली पत्नी ने देवता, दूसरी ने गरुड़ और चौथी पत्नी ने राक्षस को जन्म दिया था। हालांकि, तीसरी पत्नी कद्रु का संबंध नाग वंश से था। उन्होंने नागों बनाया था।
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नाग पंचमी से जुड़ी रीतियां
देशभर के अलग-अलग हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन हर जगह अलग-अलग तरह के रिवाज प्रचलित हैं। आगे हम बता रहे हैं कि किस तरह अलग-अलग तरीके से इस त्योहार को मनाया जाता है।
इस दिन नाग देवता के मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस पवित्र दिन पर सांपों को दूध अर्पित किया जाता है।
देश के कुछ हिस्सों में सांपों को दूध से स्नान करवाने का भी रिवाज है। माला जाता है कि नाग देवता से रक्षा और आशीर्वाद पाने का यह एक तरीका है।
पश्चिम बंगाल में नागों की रानी मनसा की इस दिन पूजा की जाती है। रानी का आशीर्वाद लेने के लिए उन्हें दूध और पांच पौधे चढ़ाए जाते हैं।
इस दिन को लेकर अन्य रिवाज है कि लकड़ी तख्त पर चंदन से नाग देवता का चित्र बनाया जाता है और इसकी पूजा की जाती है।
पंजाब के कुछ हिससों में आटे से नाग की बड़ी-सी मूर्ति या चित्र बनाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है और इस तरह नाग पंचमी का त्योहार मनाते हैं। इस त्योहार में नृत्य और संगीत भी होता है। इसके जरिए लोग नाग देवता के प्रति अपना आभार प्रकट करते हैं।
महाराष्ट्र में सपेरों के पास रखे सांपों को दूध,कुमकुम, हल्दी और चावल अर्पित करती हैं।
नाग पंचमी को करने वाले उपाय (Remedies to do Nag Panchami)
भगवान शिव अपने गले में नाग धारण करते हैं और स्वयं विष्णु भगवान इस पर विराजमान होते हैं। कहा जाता है कि नाग पचंमी को नाग देवता की पूजा करना बहुत शुभ रहता है और व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
इस शुभ दिन पर सांप को दूध पिलाने से सभी पापों और नाग दोष से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी मुश्किलें दूर होती हैं।
यदि कोई व्यक्ति कालसर्प दोष से पीडित है, तो उसे नाग पंचमी के दिन अपने घर के प्रवेश द्वार पर मांगलिक या स्वास्तिक बनाना चाहिए।
इसके अलावा नाग पंचमी को 11 नारियल बहते हुए पानी में चढ़ाने से भी कालसर्प दोष को खत्म करने में मदद मिलती है।
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