मूंगा रत्न दिलाएगा मगंल ग्रह से जुडी सभी समस्यांओ से छुटकारा । | Future Point

मूंगा रत्न दिलाएगा मगंल ग्रह से जुडी सभी समस्यांओ से छुटकारा ।

By: Future Point | 29-May-2019
Views : 8586मूंगा रत्न दिलाएगा मगंल ग्रह से जुडी सभी समस्यांओ से छुटकारा ।

मूंगा एक तरह की जैविक लकड़ी है यह समुद्र की गहराई में पाई जाती है, इसकी साफ़ सफाई करके तराशा जाता है तभी यह मूंगा बनता है, मूंगा दो आकार में पाया जाता है, एक कैप्सूल के आकार में और दूसरा त्रिकोण के आकार में पाया जाता है, मूंगा लाल व नारंगी रंग में मिलता है.

मूंगा मंगल का रत्न है, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल देव के शुभ फल नही मिल रहे हैं तो उस स्थिति में मूंगा रत्न को धारण किया जाता है, मंगल साहस, बल और ऊर्जा का प्रतिक माना जाता है, और अस्थि संबंधी रोग मंगल की ख़राब स्थिति के कारण ही होते हैं, जिन व्यक्तियों की कुंडली में मंगल देव शुभ स्थिति में होते हैं परन्तु निर्बल होते हैं और फल देने में कमजोर होते हैं उन व्यक्तियों को मूंगा धारण करना चाहिए।

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मूंगा को कौन से लग्न के जातक धारण कर सकते हैं-

मेष लग्न, कर्क लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न, धनु लग्न, मीन लग्न के जातकों को ही मूंगा धारण करना चाहिए।

मूंगा रत्न किस लग्न के जातकों को धारण नही करना चाहिए –

वृषभ लग्न, मिथुन लग्न, कन्या लग्न, तुला लग्न, मकर लग्न और कुम्भ लग्न के जातकों को कभी भी मूंगा धारण नही करना चाहिए।

मूंगा रत्न धारण करने के लाभ -

  • मूंगा रत्न का पहला लाभ दुश्मनों और शत्रुओं पर विजय है, चूंकि मंगल ग्रह युद्ध का देवता है, इससे बाधाओं और दुश्मनों पर काबू पाने के लिए आवश्यक हिम्मत मिलती है और व्यक्ति के लिए जीत सुनिश्चित करता है।
  • लाल मूंगा रत्न का शायद सबसे अच्छा लाभ इसकी चमत्कारी उपचार परिणाम है मुँहासे, त्वचा रोग आदि जैसी समस्याएं असामान्य रूप से ख़तम हो जाती हैं और इसके अलावा, यह एक सुरक्षात्मक ढाल के रूप में कार्य करता है और घाव और अन्य चोटों से बचाव करता है, और रक्त शुद्धि में भी सुधार होता है।
  • मूंगा रत्न मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्वास्थ्य में भी मदद करता है और अपनी मजबूत प्रकृति के कारण यह मनोबल को बढ़ावा देने के लिए मन में उदासी दूर करने और इच्छाशक्ति को पुनर्जीवित करने में मदद करता है और यह आपको ऊर्जा, धृष्टता और अपने भय को जीतने की शक्ति भी देता है।
  • जातक की जन्म कुंडली में मंगल की अपूरिस्थित स्थिति की वजह से अधीरता, भाव, चिड़चिड़ापन और क्रोध जैसे मुद्दों से पीड़ित व्यक्ति लाल कोरल रत्न का प्रयोग करने के बाद उनकी स्थिति में एक महत्वपूर्ण सुधार होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की अपनी जन्म कुंडली में एक मंगल की अवधारणा होती है जिससे व्यक्तिगत संबंधों में असहमति पैदा हो सकती है, मूंगा रत्न पहने से संबंधों को फिर से मधुर करने में मदद मिलती है परन्तु यह केवल जन्म पत्री का पूरी तरह से विश्लेषण करने के बाद किया जाना चाहिए।
  • मूंगा रत्न धारण करने का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह लालच, बुरी नज़र और काला जादू से रक्षा करता है।
  • जो व्यक्ति भारी कर्ज में हैं, वे ऋण की चुकौती में मदद करने के लिए इस मूंगा रत्न पहन सकते हैं।
  • लाल मूंगा भी वैवाहिक संबंधों और पति या पत्नी के लंबे जीवन के प्रभावी सुदृढ़ीकरण का समर्थन कर सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से ज्योतिषीय विश्लेषण के बाद पहना जाना चाहिए।

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  • यदि कोई व्यक्ति खांसी की समस्या से पीड़ित तो उससे मूंगा पत्थर पहनना चाहिए है, सभी खांसी संबंधी रोगों से यह मूंगा रत्न बचाता है।
  • मंगल कुंडली में राहू या शनी के साथ कहीं भी स्थित हो तो मूंगा पहनना बहुत लाभ पहुंचाता है।
  • मंगल अगर प्रथम भाव में हो तो भी मूंगा धारण करना बहुत लाभदायक होता है।
  • मंगल यदि कुंडली में तीसरे भाव में हो तो भाई बहनों के साथ क्‍लेश कराता है। ऐसे में मूंगा धारण करना लाभदायक होता है और भाई बहनों के बीच प्रेम बना रहता है।
  • चौथे भाव में मंगल जीवन साथी के स्‍वास्‍थ्‍य को खराब करता है। इस परिस्‍थि‍ति में मूंगा धारण करने से जीवन साथी स्‍वस्‍थ्‍य रहता है।
  • सप्‍तम और द्वादश भाव में बैठा मंगल अशुभ कारक होता है। यह जीवन साथी को कष्‍ट देता है और उनसे संघर्ष कराता है। इस स्थिति में मूंगा पहनना बहुत लाभ देता है।
  • अगर कुंडली में धनेश मंगल नौवे भाव में, चतुर्थेश मंगल एकादश भाव में या पंचम भाव का स्‍वामी मंगल बारहवें भाव में हो तो मूंगा पहनना अत्‍यंत लाभकारी होता है।
  • अगर कुंडली में नौवे भाव का स्‍वामी मंगल चौथे स्‍थान में हो या दशवें भाव का स्‍वामी मंगल पांचवें तथा ग्‍यारवें भाव में हो तो ऐसे में मूंगा पहनना अच्‍छा होता है।
  • मंगल की दृष्‍टि सूर्य पर पड़ रही हो तो भी मूंगा पहनना लाभदायक होता है।
  • कुंडली में मंगल चंद्रमा के साथ हो तो यदि मूंगा धारण किया जाए तो आर्थिक स्थिति अच्‍छी होती है।
  • कुंडली में मंगल छठें भाव और आठवें भाव के स्‍वामी के साथ बैठा हो तो या इन ग्रहों की दृ‍ष्‍टि मंगल पर पड़ रही हो तो मूंगा धारण करने पर लाभ होता है।

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मूंगा रत्न के गुण-

मूंगा चमकदार रत्‍न होता है और बहुत चिकना होता है, धनत्‍व अधिक होने के कारण इसका औसत वजन भी अधिक होता है मंगल का रत्‍न प्रकाश पड़ने पर सिंदूरी रंग की आभा प्रकट करता है।

मूंगा रत्न धारण करने की विधि –

  • 5 से 8 कैरेट का मूंगा (अपने वजट के अनुसार) सोने या तांबे की अंगूठी में जड़वा लें।
  • शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को सूर्योदय के पश्चात् पंचामृत, गंगाजल, दूध, शहद और घी से इसे शुद्ध करने के पश्चात् इसका पूजन करें.
  • मूंगा रत्न की अंगूठी को दायें हाथ की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
  • मूंगा धारण करते समय अंगूठी का पूजन करने के बाद ऊं अं अंगारकाय नम: मंत्र का दस हजार बार जाप करें।