मानसिक और शारीरिक क्लेश कारक तलाक और पुनर्विवाह के ज्योतिषीय उपाय | Future Point

मानसिक और शारीरिक क्लेश कारक तलाक और पुनर्विवाह के ज्योतिषीय उपाय

By: Future Point | 09-Aug-2018
Views : 12386मानसिक और शारीरिक क्लेश कारक तलाक और पुनर्विवाह के ज्योतिषीय उपाय

आज के समय में दांपत्य जीवन क सुखमय बनाए रखना सबसे कठिन कार्य हो गया है। दिन प्रतिदिन के बढ़ते तनाव के चलते पति पत्नी दोनों में आपसी सामंजस्य बिठाना सरल नहीं रह गया है। स्थिति यह बन गई है कि आज छोटी छोटी बातों पर तलाक के निर्णय लिए जा रहे हैं। वैवाहिक जीवन में नोंकझौंक और विवाद की स्थिति होना आम बात है परन्तु जब यह स्थिति गंभीर रुप धारण कर लें तो पति और पत्नी दोनों का सुख चैन छिन जाता है। प्रारम्भ में दोनों प्रयास करते हैं कि बातचीत से स्थिति को बेहतर किया जाए, इस पर भी जब सब नियंत्रण में ना आए तो ज्योतिषीय उपायों का सहारा लेना लाभप्रद साबित होता हैं। उपायों पर बात करने से पूर्व हम तलाक की स्थिति तक पहुंचाने के ज्योतिषीय योगों पर प्रकाश डालते हैं-

कुंडली का सातवां भाव विवाह भाव कहलाता है। विवाह और जीवन साथी की स्थिति का विचार इसी भाव से किया जाता हैं। सप्तम भाव वैवाहिक स्थिति का पूर्ण वर्णन करता है। इसके बाद सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह की स्थिति देखी जाती हैं। सप्तम भाव, सप्तमेश और कारक ग्रह तीनों में से किसी का भी पाप प्रभाव में होना और पाप ग्रहों से पीडित होना वैवाहिक जीवन में तनाव, सुख-शांति की कमी और तलाक का कारण बनता हैं।

  • सातवें भाव में सूर्य की स्थिति वैवाहिक जीवन को कष्टमय बनाती हैं। ज्योतिषीय शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव जिस स्थान पर बैठते है उस स्थान के फलों में कमी करते हैं। क्रूर ग्रह होने के कारण इन्हें अलगाव देने वाला ग्रह भी कहा जाता हैं। इसके अलावा सूर्य अंहकार और क्रोध की स्थिति दर्शाते हैं। यही वजह है कि यदि विवाह भाव में सूर्य स्थित हों तो व्यक्ति के जीवन साथी में अहंकार अधिक होता है। जिसके कारण ग्रहस्थ जीवन के सुखों में तनाव की स्थिति बनी रहती हैं। शास्त्रों के अनुसार यदि लग्नेश शुभ स्थित हों, चंद्रमा की स्थिति और शुक्र की स्थिति अनुकूल हों तो स्थिति अनुकूल रहती हैं।

  • यदि सप्तमेश और बारहवें भाव का स्वामी एक साथ सप्तम भाव या बारहवें भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में सुख का अभाव रहता है। ऐसे में यदि ध्यान ना दिया जाए तो तलाक की स्थिति भी बन सकती हैं।

  • लग्न भाव में शनि अथवा शुक्र के साथ राहू स्थित हों तो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में तलाक की नौबत आ जाती हैं।

  • सूर्य, शनि और राहू की स्थिति बारहवें भाव में व्यक्ति का तलाक करा सकती हैं।

  • सूर्य, शनि और राहू तीनों को अशुभ ग्रह कहा जाता हैं। इन तीनों का सप्तम भाव, सप्तमेश और कारक ग्रह का साथ होना तलाक के प्रबल संभावनाएं बनाता है।

  • सातवें भाव में राहू का होना अलगाव का कारण बनता है। इस योग में जातक का जीवन साथी विश्वास के योग्य नहीं होता और प्राय: झूठ बोलता है। सातवें भाव पर अधिक पाप ग्रह हों तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन कष्टमय रहता हैं। विवाह भाव पर जितने अधिक ग्रहों का पाप प्रभाव होता हैं वैवाहिक जीवन उतना ही तनावपूर्ण होता है और तलाक की संभावनाएं उतनी ही अधिक बढ़ जाती हैं।

  • यदि कुंडली में गुरु और शुक्र दोनों पीडित हों और इन्ही ग्रहों का दशा प्रभाव चल रहा हों तो जीवन साथी के साथ व्यक्ति का प्राय: कलह रहता है।

तलाक की स्थिति का सामना कर रहे व्यक्तियों को निम्न उपाय कर लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। यहां दिए गए उपाय कारगर और लाभकारी हैं-

  • जन्म कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक योग की वजह से यदि तलाक की स्थिति बन रही हों तो व्यक्ति को तलाक से बचने के लिए हनुमान जी का नित्य पूजन करना चाहिए।

  • जीवन साथी के माथे या फोटो पर दक्षिणामुखी हनुमान मंदिर का सिंदूर लगाएं।

  • जन्म कुंडली में राहू दोष के कारण यदि वैवाहिक जीवन में तनाव हो रहा हो तो व्यक्ति को दक्षिणामुखी हनुमान मंदिर में नारियल चढ़ाने चाहिए और हनुमान की साथ बार परिक्रमा भी करनी चाहिए।