महाशिवरात्रि पर्व - 4 मार्च, सोमवार 2019
By: Future Point | 25-Feb-2019
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भगवान शिव सबका कल्याण करने के लिए जाने जाते है। यह माना जाता है कि भगवान शिव सहज प्रसन्न होते है। महाशिवरात्रि के पर्व पर व्रत, दर्शन, पूजन और अनुष्ठान से भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। इस दिन देव प्रसन्न होकर अपने भक्तों का कल्याण करते है। पौराणिक शास्त्रों में यह उल्लेख है कि भगवान शिव की कॄपा प्राप्त करने के लिए स्वयं को भगवान शिव का जैसा बनाना आवश्यक है। सरल, सहज और भावयुक्त होकर शिव पूजन करना भक्त को भगवान शिव के समान बनाता है।
इस प्रकार की गई साधना करने के फल मनोनुकूल और सकारात्मक रुप में प्राप्त होते है। भगवान शिव हिदुओं के प्रमुख तीन देवताओं में से एक है। यह पर्व भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष लाभदायक होता है। यह भक्ति, श्रद्धा और उत्साह का पर्व है। फाल्गुण मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाने का विधि-विधान है। इस दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दिन में उपवास और रात्रि में जागरण करते है। साथ ही इस दिन शिवलिंग का अभिषेक और पूजन करने का भी विशेष महत्व है।
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महाशिवरात्रि पर्व कथा
महाशिवरात्रि पर्व के विषय में अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है। इनमें से जो कथा सबसे अधिक लोकप्रिय है, उसके अनुसार इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। एक अन्य मत के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने इस रात्रि तांड्व नृत्य किया था, यह नृत्य मौलिक निर्माण, संरक्षण और विनाश का नृत्य था। इसके अतिरिक्त लिंग पुराण इस विषय में कहता है कि इस दिन भगवान शिव लिंग रुप में प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन को शिव भक्तों द्वारा बेहद शुभ माना जाता है और वे इसे महाशिवरात्रि - शिव की भव्य रात्रि के रूप मनाते है। इन सभी मतों में से भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह का प्रसंग सबसे अधिक प्रचलित है। इस अवसर पर भगवान शिव के भक्त उपवास कर यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का विवाह पार्वती मां से हुआ था। इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं और शिव लिंग पर फल, फूल और बिल्व पत्र चढ़ाते हैं।
शिवरात्रि को शिवारात्रि के रूप में भी जाना जाता है। महा शिवरात्रि पर्व को व्यापक रूप से 'शिवरात्रि' के रूप में भी जाना जाता है। इसका अर्थ है 'शिव की महान रात'। यह शुभ दिन भगवान शिव और देवी शक्ति की दिव्य शक्तियों के मिलाप का दिन माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन ब्रह्मांड में ग्रहों की स्थिति के सुस्थिर होने के कारण आध्यात्मिक ऊर्जा बहुत आसानी से प्राप्त की जा सकती है। इस दिन लोग पूरे दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं और "ओम नमः शिवाय" का जाप करते हैं। कुछ भक्त भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का जाप भी करते हैं।
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शिवरात्रि अनुष्ठान
महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव के भक्त श्रद्धा और निष्ठा के साथ विधि विधान के अनुसार अनुष्ठान का पालन करते हैं और जलाभिषेक कर शिवरात्रि महोत्सव मनाते हैं। दिन भर भक्त भोजन करने से परहेज करते हैं और रात्रि पूजन के बाद अगली सुबह ही अपना उपवास तोड़ते हैं। शिव उपासक द्वारा मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा कई शिव मंदिरों में स्थित शिवलिंग का अनुष्ठान, शिवरात्रि पर विशेष पूजन और परंपराओं के अनुरुप पूजन की इस दिन की खास विशेषता है। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि शिवरात्रि के शुभ दिन भगवान शिव का पूजन अनुष्ठान करने से उन्हें पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।
अनुष्ठान शिवरात्रि की सुबह मनाया जाता है। एक परंपरा के अनुसार भक्त महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठते हैं और पवित्र जल में स्नान करते हैं। वे सभी महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों पर मनाए गए शुद्धिकरण संस्कार के हिस्से के रूप में सूर्य देव, विष्णु और शिव की प्रार्थना भी करते हैं। नए वस्त्र पहनने के बाद भक्त शिवलिंग के दर्शन कर व्रत का संकल्प लेते हैं। तत्पश्चात व्रत का पालन किया जाता है। शिवरात्रि के दिन, शिव मंदिरों में भक्तों का ताँता लगा रहता है, मुख्यतः महिलाएँ, जो शिवलिंग पूजा करने आती हैं और भगवान से आशीर्वाद माँगती हैं। इस दिन मंदिरों में इतनी भीड़ हो जाती है कि श्रद्धालुओं को पूजा करने के लिए लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। मंदिर में शिवलिंग पूजन के समय भक्त शिवलिंग की तीन या सात परिक्रमाएं करते है, उसके बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। मंदिर परिसर में चारों ओर शंकरजी की जय या शिव, शिव की जय और जयकारों की गूंज सुनाई देती है।
शिवलिंग का जलाभिषेक स्नान
शिवरात्रि जलाभिषेक के समय शिवलिंग को दूध, दही, शहद, चंदन और गुलाब जल से स्नान कराया जाता है। पूजा, ध्यान, साधना और पूजन किया जाता है। ओम नमः शिवाय ’का जप अनुष्ठान के सम्पूर्ण समय किया जाता है। अभिषेक अनुष्ठान के बाद शिवलिंग को सिंदूर से सजाया जाता है।
शिवलिंग को बिल्व पत्र का प्रयोग भी शिव पूजन के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि बिल्व पत्र में भगवान शिव वास करते है। इस दिन बेर या बेर फल भगवान को अर्पित किया जाता है। कई श्रद्धालु और मालाओं से भी लिंग को सजाते हैं और अगरबत्ती और फल चढ़ाते हैं।
पूजा के सामानों का महत्व
शिवपुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव का पूजन कम से कम छ: वस्तुओं से अवश्य करना चाहिए। इस दिन शिव पूजा में उपयोग की जाने वाली छह आवश्यक पूजा सामग्रियों का विशेष महत्व है। जल, दूध, दही, शहद और घी एवं और बिल्व पत्र के साथ शिवलिंग का स्नान आत्मा की शुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। अनुष्ठान स्नान के बाद लिंग पर लगाया जाने वाला सिंदूर का पेस्ट गुण का प्रतिनिधित्व करता है। देव को फलों अर्पित करना इच्छाओं की पूर्ति और संतुष्टि का प्रतीक है। अगरबत्ती जलाने से धन की प्राप्ति होती है। दीपक का प्रकाश ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है। सुपारी चढ़ाने से सांसारिक सुखों से संतुष्टि मिलती है।
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