Magh Gupt Navratri 2024: माघ मास गुप्त नवरात्रि 2024 कब से शुरू हो रहे है? गुप्त नवरात्रि का महत्व है?
By: Acharya Rekha Kalpdev | 03-Feb-2024
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नवरात्र देवी शक्ति के नौ रूपों की आराधना का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। नव अर्थात नौ और रात्रि अर्थात सिद्धि। सिद्धि प्राप्ति हेतु नौ रात्रियाँ। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि आते है। चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ माह में आने वाले नवरात्र। इस प्रकार चैत्र, आश्विन माह में आने वाले नवरात्र की जानकारी हम सभी को है। आषाढ़ और माघ माह में आने वाले नवरात्र के विषय में बहुत कम लोग जानते है। अधिकांश लोग सिर्फ चैत्र और आश्विन नवरात्र ही जानते है। गुप्त नवरात्र का पालन साधक गुप्त विद्याओं जिसे दस महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है, कि प्राप्ति के लिए किया जाता है। चारों प्रकार के नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ माह के शुक्ल पक्ष कि प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक के नौ दिनों में किये जाते है।
घट स्थापना पूजन का शुभ मुहूर्त वर्ष 2024
इस वर्ष 2024 में माघ माह में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र 10 फरवरी, 2024, शनिवार से शुरू होकर, नवमी तिथि 18 फरवरी, रविवार के साथ समाप्त हो रहे है। माघ मास के शुक्ल पक्ष कि प्रतिपदा तिथि का प्रारम्भ, 10 फरवरी 04:29 प्रात: से होकर और अगले दिन 11 फरवरी, 04:48 प्रात:, रविवार तक रहेगी। ऐसे में घट स्थापना पूजन का शुभ मुहूर्त 10 फरवरी, 2024, 08:45 से लेकर 10:10 के मध्य का रहेगा। यह मुहूर्त समय दिल्ली स्थान के अनुसार है। अन्य स्थानों के लिए मुहूर्त समय अलग हो सकता है।
सनातन धर्म में नवरात्रों में शक्ति आराधना का पूजन किया जाता है। एक वर्ष में चार नवरात्र आते है। पहला चैत्र, दूसरा आश्विन नवरात्र एवं इसके अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्र भी आते है। एक माघ माह गुप्त नवरात्र तथा आषाढ़ माह का गुप्त नवरात्र। सनातन धर्म में नवरात्र को शक्ति आराधना का पर्व माना जाता है। नवदेवी आराधना की आध्यात्मिक गंगा में स्नान कर हर सनातनी कि आत्मा तृप्त हो जाती है। जिस प्रकार हम सभी शरीर को तृप्त करने के लिए भोजन ग्रहण करते है, ठीक उसी प्रकार आत्मा का भोजन देवी-देवताओं का भजन, कीर्तन, आराधना और दर्शन-पूजन है। सभी व्यक्तियों को अपनी आत्मा को धर्म-आध्यात्म का भोजन देते रहना चाहिए।
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चैत्र और आश्विन नवरात्रि में नवदेवी पूजन किया जाता है - नवरात्रि में नव देवियों में शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी का दर्शन-पूजन किया जाता है। वासंतिक नवरात्र और शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होती है। जबकि माघ और आषाढ़ गुप्त नवरात्र में।
नवदेवियों के साथ साथ दस महाविद्याओं - काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला माता कि साधना-आराधना की जाती है। चैत्र और आश्विन नवरात्रि गृहस्थ साधकों के लिए विशेष है और गुप्त नवरात्र सिद्ध, संत, ऋषि मुनियों के लिए विशेष महत्त्व रखते है। गुप्त नवरात्र में साधक नवरात्रों का मन, वचन, कर्म से दस महाविद्याओं के मन्त्रों का जाप करते है। मानसिक जाप अधिक किया जाता है। साधना आराधना को गुप्त रखा जाता है। एकांत में ध्यान और मन्त्र जप किया जाता है।
मन्त्र सिद्धि और तंत्र सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्री अवधि श्रेष्ठ समझी जाती है। नवरात्रि व्रत पालन के नियम बहुत अधिक कठोर नहीं है, परन्तु दस महाविद्याओं कि साधना और आराधना के नियम अत्यंत कठोर है। इन नियमों का पालन करना सब के लिए सहज नहीं है। सिद्ध साधू संत ही पूर्ण रूप से इन नियमों का पालन कर सकते है। गुप्त नवरात्र में साधक अष्ट सिद्धि को प्राप्त करने के लिए साधना आराधना करते है। तंत्र का सबसे बड़ा मन्दिर असम में।
माता कामयाख्या जी का मंदिर है। इस मंदिर के प्रांगण और आसपास अनेक सिद्ध संत, तंत्र-मन्त्र सिद्ध करते प्रत्यक्ष देखे जा सकते है।
दस महाविद्या की दसों देवियां माता सती के काली रूप के दस प्रकार है। इन दस प्रकारों में काली, तारा, छिन्नमस्ता, बगला और धूमावती देवियों का रूप उग्र प्रकृति का है, जबकि शेष पांच का स्वरुप सौम्य है, जिसमें भुवनेश्वरी, षोडशी (ललिता), त्रिपुरभैरवी, मातंगी और देवी कमला है।
दस महाविद्याओं कि आराधना और साधना को सार्वजनिक या किसी के सामने नहीं किया जाता है। इन्हें गुप्त रूप से किया जाता है। इन साधानों का नियम कहता है कि इनके जाप, पूजन और साधना को किसी को नहीं बताना चाहिए। बताने से सिद्धियों का फल जाता रहता है। शक्ति ऊर्जा ग्रहण करने के लिए वर्ष में चार बार नवरात्र का पूजन किया जाता है।
भारत में किस-किस स्थान पर गुप्त नवरात्र कि पूजा की जाती है?
गुप्त नवरात्र पर साधना और आराधना मुख्य रूप से उत्तर भारत में की जाती है। उत्तर भारत में भी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और असम में गुप्त नवरात्र विशेष रूप से किये जाते है।
गुप्त नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि क्यों कहा जाता है?
गुप्त नवरात्रि व्रत, साधना आराधना नवदेवियों की आराधना न होकर दस महाविद्याओं की आराधना है और दस महाविधाओं कि आराधना तभी सिद्ध, सफल और सार्थक होती है, जब इन्हें गुप्त रूप से किया जाता है। गुप्त न रखने से साधना असफल हो जाती है। इसलिए प्रत्येक साधक को इसे गुप्त रखना चाहिए।
गुप्त नवरात्र 2024 में साधना, आराधना और पूजन कैसे करें? पूजा विधि और नियम?
गुप्त नवरात्र में देवी और महादेव का दर्शन पूजन किया जाता है। साधक को प्रतिपदा तिथि 10 फरवरी 2024 के दिन प्रात: काल में सूर्योदय से पहले उठकर, स्नानादि क्रियाओं से मुक्त होकर, नए वस्त्र धारण कर, गुप्त नवरात्रि व्रत, साधना आराधना के लिए श्रीगणेश जी, देवी सती और महादेव को चौकी पर स्थापित कर, कलश स्थापना करनी चाहिए।
कलश स्थापना विधि इस प्रकार है-
कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, अक्षत, रोली, कुमकुम, पुष्प, हल्दी, चन्दन डालना चाहिए। कलश पर आम के पत्ते सजाने चाहिए। इसके बाद कटोरी में चावल भरकर रखें, उस पर जट्टा वाला नारियल लाल कपडे में लपेटकर रखें। साधक को पूजन चौकी उत्तर पूर्व दिशा में स्थापित करनी चाहिए। कलश स्थापना और पूजन चौकी स्थापित करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। चौकी के सम्मुख लाल आसन बिछाकर महादेव और देवी काली को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए। सर्वप्रथम भगवान् श्री गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश जी का पूजन धूप, दीप और फूल से करना चाहिए। अखंड ज्योति जलाये, जो नवदिन अखंड रूप से जलती रहनी चाहिए। भगवान् महादेव और देवी सती का पूजन करें। सभी देवी देवताओं को भोग लगाए। देवी को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। लाल चुनरी भी माता को भेंट करें।
तत्पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और देवी मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का एक माला जाप करें।
गुप्त नवरात्र के नवदिन इसी प्रकार से साधना आराधना करें-
गुप्त नवरात्रि व्रत साधना आराधना कथा
एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तों को उपदेश दे रहे थे। तभी भक्तों कि भीड़ से निकलकर एक दुखी स्त्री उनके पास आई। ऋषि श्रृंगी से दुखी स्त्री ने अपना कष्ट कहा कि उसके पति का आचरण, जीवन शैली, संगत नैतिक नहीं है। अपने पति को सही मार्ग पर लाने का मार्ग बताये। ऋषि श्रृंगी ने दुखी स्त्री कि बात सुन उन्हें, मार्ग बताया। ऋषि श्रृंगी ने कहा कि आप गुप्त नवरात्रि के व्रत का पालन करें। माता काली की कृपा से आपके पति सद्मार्ग पर आएंगे और आपके दुखों का भी नाश होगा। जो गुप्त नवरात्र व्रत का पालन करता है। उसे अन्य कोई व्रत करने कि आवश्यकता ही नहीं रहती है। आप सभी को अपने जीवन को धन्य करने के लिए इस व्रत का पालन करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि में क्या करें? क्या न करें ?
- दुर्गा सप्तशती का प्रतिदिन पाठ करें।
- देवी मंत्र का कम से कम 5 माला जाप करें।
- अखंड ज्योति जलानी चाहिए।
- गुप्त नवरात्र साधना आराधना को गुप्त रखना चाहिए।
- सात्विक भोजन करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सात्विक आचरण का पालन करें।
- मांस मदिरा, लहसुन प्याज का पूर्णत त्याग करें।
- झूठ, कपट और लालच का भी त्याग करें।
- किसी को अपशब्द न कहें।
- इन दिनों में किसी स्त्री का भूलकर भी अपमान नहीं करना चाहिए।
- घर और बाहर दोनों जगह स्त्रियों को मां दें।
- किसी जीव जंतु, जानवर के साथ अन्याय न करें।
- उजले रंग, गेरुए, लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। काले और गहरे नीले रंग के वस्त्र न पहने।
- चमड़े कि वस्तुओं को इन दिनों में धारण करने से बचे।
- बाल, दाढ़ी और नाखून न काटें।
- खट्टी वस्तुओं का सेवन न करें, अच्छा होगा निम्बू भी न काटें।
गुप्त नवरात्र व्रत करने के लाभ -
देवी आराधना के नौ दिन धर्म, आध्यात्म, साधना और सिद्धि के दिन होते है। नवरात्र के नौ दिन नवग्रहों की शांति के दिन है। नौ दिन उपवास कर अंतर्मन को शुद्ध करने का दिन है। नवरात्रि उपवास करने से व्रती को निम्न लाभ होते है-
- उपवास करने से मनोबल मजबूत होता है।
- व्रत करने से शारीरिक विकारों का नाश होता है।
- व्रती में रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
- व्रती की मनोकामना पूर्ण होती है।
- धन, धान्य सुख समृद्धि बढ़ती है।
- जीवन बाधारहित होता है।
- ऊर्जा और उत्साह का जीवन में आगमन होता है।
- शत्रुओं का नाश होता है।
- ज्ञान और अंत: चेतना जागृत होने लगाती है।
- परिवार में सुख शांति का वास रहता है।
- शरीर की शुद्ध होती है।
- नकारात्मक सोच सकारात्मक सोच में बदलती है।
- शरीर के नवद्वार खुलते है।
- शक्ति उपासना से संकल्प शक्ति बढ़ती है।