कुंडली में राजयोग बनने की जानें स्थितियां, ये राजयोग चमका सकते हैं आपकी किस्मत
By: Future Point | 04-Jun-2021
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ज्योतिषशास्त्र में राजयोग अत्यंत शुभ एवं प्रभावशाली माना जाता है। वहीं कुछ व्यक्ति कुंडली में ऐसे योग लेकर जन्म लेते हैं, कि उनकी पूरी जिंदगी आराम, शासन और ठाट से गुजरती है। ऐसे लोगों के लिए ही कहा जाता है, कि वे राजयोग के साथ पैदा हुए हैं। प्राय: ऐसे लोगों को धन की कमी नहीं होती और जहां भी वे कदम रखते हैं, सफलता उनके साथ चलती है।
यही नहीं, इनका व्यक्तित्व भी अत्यंत प्रभावशाली होता है और लोग उनके सम्मोहन में बंधते चले जाते हैं। इस योग के परिणामस्वरूप जातक अपने जीवन में राजा समान सुख-सुविधा व मान-सम्मान प्राप्त करता है। कुंडली में राजयोग कई प्रकार के होते हैं। जानें, क्या आपकी कुंडली में भी कोई ऐसा राजयोग बन रहा है।
ज्योतिषशास्त्र में कुल 32 प्रकार के राजयोग होते हैं। किसी भी इंसान की कुंडली में इन सभी राजयोग के मिलने की संभावनाएं बहुत कम होती है, लेकिन इनमें से कोई भी राजयोग मौजूद हो तो ऐसा मनुष्य अपने जीवन में पूरी सुख-सुविधाएं व अपार धन हासिल करता है। यह हमारे जीवन को किस तरह से बदलने की ताकत रखता है?
सिर्फ राजयोग ही नही बल्कि हमारी कुंडली में मौजूद कोई भी योग ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर बनते हैं। ऐसे में ग्रहों का अपने जीवन पर प्रभाव जानने की इच्छा रखते हैं तो इसमें बृहत् कुंडली सहायक साबित हो सकती है। बृहत् कुंडली में आपको अच्छे और बुरे योगों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है।
ज्योतिष के अनुसार राजयोग-
कुंडली में मौजूद राजयोग किसी भी व्यक्ति के जीवन पथ को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल योग बनते हैं तो उसे जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कुंडली में बनने वाले विभिन्न योगों में सबसे महत्वपूर्ण होता है राज योग।
‘राज’ का शाब्दिक अर्थ है राजा जिसे प्रतिष्ठा, आर्थिक मज़बूती, समाज में मान समान आदि शब्दों से भी व्यक्त किया जा सकता है। किसी जातक की कुंडली में राज योग का होना यह बताता है कि, उसको जीवन में कई तरह की सुख-सुविधाएँ प्राप्त होंगी। हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि उसकी जन्मकुंडली में राज योग है या नहीं।
आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जाने फ्यूचर पॉइंट के अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से
ज्योतिष के प्रमुख राजयोग -
गजकेसरी योग-
जन्म कुंडली में जब गुरु एवं चन्द्रमा एक-दूसरे से केन्द्र में हो तो ऐसी स्थिति में गजकेसरी योग बनता है और इस योग के शुभ प्रभाव से इंसान सफलताएं, सुख—समृद्वि व प्रतिष्ठा हासिल करता है।
बुधादित्य योग-
जब कुंडली के किसी भाव में सूर्य और बुध एक साथ मौजूद हो तो बुधादित्य योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक अपने जीवन में काफी धन,यश और कार्यक्षेत्र में बडी सफलताएं हासिल करता है।
नीचभंग राजयोग-
जन्म कुंडली में नीचभंग राजयोग भी बेहद असरदार योग है। यदि कुंडली के 6, 8 और 12वें भाव के स्वामी अपने भाव में स्थित हों तो इस प्रकार का राजयोग बनने पर इंसान सफलताएं,उच्च पद व वर्चस्व हासिल करता है।
पराशरी राज योग-
जब केंद्र और त्रिकोण भावों का आपस में संबंध होता है तो इससे कुंडली में पराशरी राज योग बनने की संभावना रहती है। इस राज योग के चलते व्यक्ति आर्थिक रुप से मजबूत होता है, समाज में ऐसे व्यक्ति को ख्याति प्राप्त होती है।
अखंड राज योग -
अखंड साम्राज्य योग एक दुर्लभ राज योग है, जिस जातक की कुंडली में यह राज योग होता है वह अच्छा शासक होता है। यह राज योग तब निर्मित होता है जब कुंडली के लग्न से मजबूत बृहस्पति द्वितीय, पंचम या एकादश भाव का स्वामी होता है। इसके साथ ही जब चंद्रमा से केंद्र में द्वितीय, नवम या एकादश भाव के स्वामी का स्वामित्व होता है तो अखंड साम्राज्य योग का निर्माण होता है। ऐसे जातक जीवन की हर सुख सुविधा भोगते हैं, ऐसे लोग बड़े राजनेता भी हो सकते हैं।
धन योग-
इस योग का निर्माण तब होता है जब प्रथम, द्वितीय, पंचम, नवम और एकादश भाव के स्वामी ग्रह आपस में युति बनाते हैं या एक दूसरे पर दृष्टि डालते हैं। इस योग में जन्मे लोग बहुत धन कमाते हैं। राज योग रिपोर्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि यह राज योग आपकी कुंडली में है या नहीं।
अधि योग-
इस राज योग का निर्माण तब होता है जब जन्मकालिक चंद्रमा से बुध, बृहस्पति और शुक्र ग्रह षष्ठम और अष्ठम भाव में स्थित हों। कुछ ज्योतिषी मानते हैं कि चंद्रमा के स्थान पर यदि लग्न से षष्ठम, सप्तम और अष्टम भाव में शुभ ग्रह स्थित हों तो इस राज योग का निर्माण होता है। इस राज योग के चलते व्यक्ति में नेतृत्वकारी गुण आते हैं।
इन स्थितियों में भी बनते हैं राजयोग -
- जब दो या दो से अधिक ग्रह अपनी उच्च राशि या स्वराशि में होकर केन्द्र में स्थित हो तब इस तरह राजयोग बनता है।
- यदि कुंडली में नवमेश व दशमेश का राशि परिवर्तन हो और नवमेश नवम में व दशमेश दशम भाव में हो या नवमेश व दशमेश नवम या दशम भाव में स्थित हो तो राजयोग निर्मित होता है।
- जिस जातक की कुंडली में त्रिकोण के ग्रह अपने घर में हों या उच्च के हों तो यह स्थिति भी राज योग कहलाती है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक प्रकृति का होता है और जीवन में काफी धन कमाता है।
- जिस जातक की कुंडली के दूसरे,पांचवें,नवें या ग्यारहवें भाव में सभी शुभ ग्रह मौजूद हो तो ऐसा इंसान धनवान बनता है।
- जिस जातक की कुंडली में त्रिकोण के ग्रह अपने घर में हों या उच्च के हों तो यह स्थिति भी राज योग कहलाती है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक प्रकृति का होता है और जीवन में काफी धन कमाता है।
- कुंडली में अगर राजयोग बन रहा है और अन्य अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी है तो राजयोग का प्रभाव कम होता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के एकादश भाव में बहुत सारे शुभ ग्रह विराजमान हों तो ऐसे में राज योग का निर्माण होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में सुख-सुविधाएँ पाता है।
- यदि किसी जातक की कुंडली में लग्न, पंचम और नवम भाव के स्वामी ग्रह एक दूसरे के घरों में विराजमान हों तो ऐसे में राज योग का निर्माण होता है और ऐसा व्यक्ति राजा की जैसी जिंदगी जीता है।
- इस तरह जन्मकुंडली में राजयोग बनने की प्रमुख स्थितियों और मिलने वाले प्रमुख शुभ परिणामों के बारे में पता किया जा सकता है।
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