कुबेर यंत्र - उपयोग विधि, लाभ और धारण विधि
By: Future Point | 07-Jun-2018
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धन-धान्य, बुद्धि और शुभता प्राप्ति के लिए भगवान श्रीगणेश की आराधना की जाती हैं। विघ्न नाशक श्रीगणेश के साथ धन की देवी लक्ष्मी जी का पूजन करना। लक्ष्मी गणेश जी का पूजन आर्थिक स्थिति और धन आगमन के साधनों में वृद्धि करता हैं। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि धन के आगमन से संबंधित परेशानियां आ रही हों तो लक्ष्मी गणेश जी का ध्यान करें और आए हुए धन को बनाए रखना हों तो कुबेर जी का पूजन करें।
शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी धन के स्वामी देव हैं। कुबेर जी का पूजन जब देवी लक्ष्मी जी के साथ किया जाता हैं तो वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार कुबेर जी उत्तर दिशा के स्वामी हैं। इसीलिए घर की उत्तर दिशा शुभ हों तो घर में धन और सुख की कोई कमी नहीं रहती हैं। कुबेर जी दस दिशापालकों में से एक हैं। यह माना जाता हैं कि सभी देवताओं की पूजा-पाठ करने के बाद अंत में कुबेर जी के मंत्र का पाठ किया जाता हैं।देव कुबेर सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाले देव हैं। इनकी कृपा से धन वैभव और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं।
देव कुबेर से जुड़ी एक कथा का वर्णन पुराणॊं में मिलता हैं। कथा के अनुसार कुबेर जी इससे पहले के जन्म से पहले वेद ब्राह्मण थे। इनका नाम गुणनिधि था। पूजा-पाठ, संध्यावंदन और देववंदन का कार्य करते थे। शास्त्रों के बहुत ज्ञाता व धर्मात्मा व्यक्ति थे। परन्तु गलत आचरण में पड़कर इन्होंने अपनी सारी संपत्ति खो दी। एक दिन इन्हें पता चला कि इनकी बुरी संगत की सूचना इनके माता-पिता तक पहुंच गई हैं।
अपने माता-पिता के भय से गुणनिधि वन में चले गए। वन में सारा दिन भटकने के बाद सायंकाल में इन्हें एक शिवालय दिखाई दिया। निकट गांव के लोग यहां शिवपूजन के लिए आते थे। इसलिए मंदिर में पूजन सामग्री और प्रसाद की कोई कमी नहीं थे। खाने-पीने की वस्तुएं देख गुणनिधि को ओर अधिक भूख लगने लगी। परन्तु शिवभक्तों के जागने के कारण इन्हें अपने पकड़े जाने का भय था। अत: ये प्रतीक्षा करने लगे कि कब भक्तगण सो जाएं और ये प्रसाद चुराकर खाएं।
सबके सोने पर ये प्रसाद और फल लेकर मंदिर से भाग ही रहे थे, कि आहट से पुजारी जाग गए। भक्तजनों ने इन्हें चोर समझ कर पीट पीट कर मारा डाला। गुणनिधि के प्राण यमदूत लेकर भगवान शिव के सम्मुख पहुंचे। सारा दिन भूखा प्यासा रहने से इनका उपवास हो गया था। मंदिर में दर्शन और पूजन का भी ये भाग बने। इसलिए शिव पूजन का इन्हें लाभ मिला और अगले जन्म में गुणनिधि ने कुबेर के रुप में जन्म लिया।
कुबेर यंत्र के प्रभाव
वैसे तो कुबेर देव (Sri Kuber Yantra) का पूजन सब दिन किया जा सकता है। फिर भी प्रतिमा रुप में पूजन करने के स्थान पर यंत्र रुप में पूजन करना विशेष शुभता देता हैं। कुबेर यंत्र को पूजा घर में स्थापित कर पूजन भी किया जा सकता हैं तथा अमावस्या तिथि अथवा विशेष तिथियों में इसका पूजन कर घर की तिजोरी में रखा जा सकता हैं। यह माना जाता हैं कि महालक्ष्मी जी वहीं निवास करती हैं जहां कुबेर जी (Kuber Ji )स्थापित होते हैं।
अलग अलग कामनाओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग देवताओं की यंत्र रुप में पूजा की जाती हैं। श्रीलक्ष्मी, श्रीगणॆश जी और कुबेर जी का यंत्र धन प्राप्ति का सरल और सहज उपाय है। यंत्र के शुभ प्रभाव से व्यापार की नई संभावनाएं खुलती हैं। धन-वैभव प्राप्ति के लिए भी कुबेर यंत्र की साधना की जाती हैं।
श्री कुबेर यंत्र स्वर्ण, रजत, अष्टधातु, ताम्र और भोजपत्र अथवा कागज आदि कई रुपों में प्रयोग किया जाता है। कुबेर यंत्र स्थापना विधि - शुभ दिन, शुभ मुहूर्त में कुबेर यंत्र की किसी योग्य ब्राह्मण के द्वारा पूर्ण विधि-विधान से प्राण-प्रतिष्ठा कराएं और घर या व्यापारिक स्थल दोनों में से किसी भी जगह इसे स्थापित कराया जा सकता हैं। स्थापित कराने के बाद नित्य प्रात: स्नानादि कार्यों से निवॄत कमलगट्टे की माला पर निम्न मंत्र का जाप करें। धूप, दीप और फूल से प्रतिदिन यंत्र की पूजा करें।
मंत्र - ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥