महीने में दो बार आता है एकादशी का व्रत, जानिए क्या है महत्व
By: Future Point | 03-Sep-2018
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हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वैष्णव और हिंदू धर्म के लिए एकादशी व्रत अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। एक माह में दो एकादशी के व्रत होते हैं जिनमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। तो चलिए जानते हैं भगवान विष्णु को समर्पित इस खास व्रत के बारे में।
एकादशी व्रत की पूजन विधि
नारदपुराण में भी एकादशी के व्रत का उल्लेख मिलता है। जिस प्रकार चतुर्थी को गणेश जी, त्रयोदशी को भगवान शिव, पंचमी को लक्ष्मी मां की पूजा होती है उसी प्रकार एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी के व्रत के लिए दशमी के दिन सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की आराधना करें और रात्रि के समय पूजन स्थन के समीप सोएं।
अगले दिन एकादशी तिथि पर उठकर स्नान के बाद पुष्प, धूप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें :
एकादशी निाराहार: स्थित्वाद्यधाहं परेडह्न।
भोक्ष्यामि पुण्डरीकाक्ष शरणं में भवाच्युत।।
एकादशी तिथि पर पूरा दिन व्रत रखें और रात्रि में भगवान विष्णु की सच्चे मन से प्रार्थना करें। एकादशी के अगले दिन यानि द्वादश तिथि को सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं। पंडित जी को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें और व्रत का पारण करें।
एकादशी व्रत 2018
अब साल 2018 में अगस्त महीने से जो एकादशी के व्रत आने वाले हैं उनकी तिथि इस प्रकार है :
- 22 अगस्त को श्रावण पुत्रदा एकादशी
- 6 सितंबर को अजा एकादशी
- 20 सितंबर को पार्श्व एकादशी
- 5 अक्टूबर को इंदिरा एकादशी
- 20 अक्टूबर को पापनकुशा एकादशी
- 3 नवंबर को राम एकादशी
- 4 नवंबर को वैष्णव राम एकादशी
- 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी
- 3 सिंबर उत्पन्ना एकादशी
- 18 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी
- 19 दिसंबर को गौण मोक्षदा एकादशी
एकादशी व्रत के नियम
वैसे तो एकादशी के व्रत में जल का सेवन भी नहीं किया जाता है किंतु अगर आपसे ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है आप जल ग्रहण कर सकते हैं एवं व्रत में कांसे के बर्तनों में भोजन ना करें। एकादशी के दिन मूंग, मसूर, चना, कद्दू, शाक और शहद का भी प्रयोग वर्जित है। व्रत में जिस भी वस्तु का सेवन करें उसे घर पर ही बनाएं और किसी और के घर का अन्न ग्रहण ना करें। व्रत के दिन क्रोध आदि से दूर रहें। झूठ ना बोलें और ना ही व्रत के दिन किसी की निंदा करें।
एकादशी व्रत का फल
जो व्यक्ति सच्चे मन से एकादशी का व्रत करता है उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए आप इस व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत से भक्तों को बिना मांगे ही सब सुखों की प्राप्ति होती है। एकादशी के व्रत में दीपदान का भी बहुत महत्व है और रात्रि में संकीर्तन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
एकादशी व्रत का महत्व
जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे भगवान विष्णु की कृपा से जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। भगवान विष्णु की कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। सालभर में 24 एकादशियां होती हैं जिनमें से निर्जला एकादशी का व्रत सबसे खास होता है। निर्जला एकादशी में पूरा दिन निर्जल व्रत रखना पड़ता है। साल में 24 एकादशियों का व्रत नहीं रख सकते हैं तो ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत जरूर रखें।
एकादशी व्रत पूजन में तुलसी का महत्व
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन में तुलसी का प्रयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन आप पूजन सामग्री में तुलसी के पत्ते डाल सकते हैं। चूंकि, भगवान विष्णु ने शालिग्राम के रूप में तुलसी से विवाह किया था इसलिए भगवान विष्णु के पूजन में तुलसी का प्रयोग महत्वपूर्ण माना जाता है। किंतु अगर आप एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ उनकी पत्नी मां लक्ष्मी की पूजा भी कर रहे हैं तो पूजन में तुलसी का प्रयोग ना करें। इससे आपको पूजा के फल के स्थान पर मां लक्ष्मी का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
इस दिन व्रत करने से पाप का नाश होता है और इस शुभ दिन पर जप, तप, गंगा स्नान, दान, होम आदि करने से अक्षय फल प्राप्त होता है।