किस्मत बदलने वाले उपाय - भाग्य बदल जाएगा इन उपायों से
By: Acharya Rekha Kalpdev | 23-Mar-2024
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प्रारब्ध के कर्मों के आधार पर हमें यह जीवन प्राप्त होता है। भाग्य की कृपा से कुछ लोगों को जन्म से सब कुछ हासिल हो जाता है। और कुछ लोग सारा जीवन सिर्फ मेहनत करते रह जाते है। भाग्य क्या है? क्या धन अर्जित करना भाग्य है? या भोग विलास की वस्तुएं होना भाग्य है। आज भी बहुत से लोगों के लिए भाग्य की परिभाषा धनवान होना है, जबकि ऐसा नहीं है। जीवन अकस्मात होने वाली घटनाओं का खेल है। एक पल में घटनाएं घटित होकर हमें हैरान कर देती है। जिसे लोग भाग्य और दुर्भाग्य का नाम दे देते है। वास्तव में सच्चाई यह है कि ज्योतिर्विज्ञान भविष्य की घटनाओं का संकेत देता है, वह कभी भी भाग्य बदलने का दावा नहीं करता है।
हमारी आज के हालत और परिस्तिथियों के लिए हम स्वयं जिम्मेदार है, न कोई हमें सुख दे सकता है, और न दुःख दे सकता है। हमारे सुख और दुःख सभी के लिए हम ही जिम्मेदार है। वैदिक ज्योतिष कभी भी किसी को भी भाग्यवादी नहीं बनाता है। ग्रह, नक्षत्र, तारे सब के द्वारा हमारा जीवन संचालित होता है।
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उपाय क्या भाग्य बदलते है?
हमारा भाग्य हमारे द्वारा समय पर लिए गए निर्णयों पर भी निर्भर करता है। निर्णय बदलने से हमारा भाग्य भी बदल जाता है। इस उक्ति को हम गलत नहीं कह सकते, निर्णय भाग्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है, परन्तु सही निर्णय लेने की योग्यता भी हमारी कुंडली में स्थित ग्रहों के आधार पर ही आती है। इसका सीधा सम्बन्ध हमारे प्रारब्ध के कर्मों से तय होता है। जो लोग बार बार जीवन लक्ष्य बदलते रहते है, उनके भाग्य में कमी संभावित है। कर्म के आधार पर पाप-पुण्य निश्चित होते है, और पाप-पुण्य से प्रारब्ध। प्रारब्ध के कर्मों का फल हमारा आज का जीवन है। वो व्यक्ति अधिक सफल होते है जो अपने जीवन में एक लक्ष्य रखते है और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अर्जुन की तरह दिनरात लगे रहते है, उनके लिए अन्य लक्ष्य गौण हो जाते है, छोटे हो जाते है। सफलता का स्वाद वही चखते है जो प्रयास को मध्य में नहीं छोड़ते है।
किस्मत को पलट कर रख देंगे - ये उपाय
कर्म की मिटटी से ही भाग्य की इमारत खड़ी होती है। परिश्रम के साथ अपने पर विश्वास कर, सफलता के लिए प्रयासरत रहकर ही कर्म के माध्यम से सुभाग्य का निर्माण किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति का भाग्य तीन बातों से तय होता है- प्रथम हमारी इच्छाशक्ति, द्वितीय शालीन व्यवहार और तृतीय-उपाय। इच्छाशक्ति से अभिप्राय: दृढ निश्चयता से है, अपनी ऊर्जा, अपनी काबिलियत का पूरा उपयोग करना ही इच्छाशक्ति है। हमारा शालीन व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितनी शालीनता से अपने आसपास के माहौल को देखे है। हमारी संवेदनशीलता, बुद्धिमता और जागरूकता इस बात पर निर्भर करती है।
किस्मत बदलने के लिए उपायों के साथ-साथ निम्न व्यवहार में भी बदलाव करना चाहिए-
- सकारात्मक विचारधारा रखे।
- व्यवहार के द्वारा भी भाग्य को बदला जा सकता है।
- अधिक से अधिक अवसरों की तलाश
- अपने मन कि आवाज सुनकर आगे बढ़ें।
- चुनौतियों से घबराएं बिना कड़ी मेहनत करते रहें।
- घर विपत्ति को अवसर में बदलने का सुअवसर समझे।
उपायों से किस्मत बदलें
- राहु की शांति के लिए निम्न वस्तुओं को एक काले वस्त्र में बांधकर पोटली बनाये और सूप में रखकर किसी गरीब को दान में दे दें।
- राहु वस्तुएं - नीला वस्त्र, काला वस्त्र, काले तिल, काला कम्बल, सूप, सरसों के तेल से भरा पात्र, लोहा, सप्तधान्य, अभ्रक, गोमेद और खडग।
- राहु को खुश करने के लिए- शीशे के 8 टुकड़े लेकर शनिवार के दिन बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए।
- पंचधातु पर राहु यन्त्र बनवाकर मंदिर में स्थापित कर नित्य दर्शन पूजन करें।
किस्मत बदलने वाले उपाय -
हनुमंत कृपा से किस्मत बदलें -
हनुमान जी को चमेली का तेल बहुत ही प्रिय है। शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान जी को चमेली का तेल चढ़ाएं। यहाँ यह ध्यान रखें कि हनुमान जी को चमेली का तेल उनके शरीर पर लगाना है, उनके सामने चमेली के तेल का दीपक नहीं जलाना है। साथ ही हनुमान जी को नियमित रूप से धूप-दीप और फूल भी अर्पित करने चाहिए। इस प्रकार हनुमान जी की नियमित रूप से पूजा-दर्शन करने से हनुमंत कृपा प्राप्त होती है।
रोग-कष्ट दूर करने के उपाय
शनिवार के दिन सवा किलो बैंगन और आलू लें। उन्हें सरसों के तेल में बना लें, और सवा किलो ही गेंहूं का आटा लेकर उनकी पूरियां सरसों के तेल में ही तल लें। इस प्रकार सब्जी और पूरी बनाकर लंगड़े और गरीब भिखारियों को यह भोजन खिलाएं। यह उपाय लगातार तीन सप्ताह करें। शीघ्र ही रोग, बीमारी दूर होगी और स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।
भाग्य बढ़ाने वाला उपाय
गेंहूं का आटा, गुड, लेकर सरसों के तेल में तलकर सात पुए बना लें। सात मदार (आक) के फूल लें, सिन्दूर, आटे से बना दीपक लें, सभी को पत्तल पर रखकर, मध्य रात्रि में किसी चौराहे पर रखकर हाथ जोड़कर प्रार्थना करें, कि हे दुर्भाग्य में आपका साथ छोड़ रहा हूँ, विनती है कि आप भी मेरा साथ छोड़ दें। यह कहकर चले आये, पीछे मुड़कर न देखें। कुछ ही दिनों में दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाएगा।
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घर में धन-समृद्धि हेतु उपाय
- मंगलवार और शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं, उसमें दो लौंग डालकर हनुमान जी कि आरती करें। इस प्रकार यह उपाय लगातार 7सप्ताह करने से धन वृद्धि के योग बनते है। और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- मंगलवार के दिन गेंहूं का आटा और सरसों का तेल किसी अनाथ आश्रम में दान करें। यह सौभाग्य को बढ़ाएगा।
घर प्राप्ति का उपाय
शनिवार की सांयकाल में शमी के पेड़ की जड़ के पास मिटटी या लोहे के दीपक में सरसों का तेल डालकर, काले धागे की आठ बत्ती बनाकर जलाएं। अगले दिन उस दीपक को बहते जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय को लगातार 27 सप्ताह करें। उपाय के प्रभाव से जल्द ही सोचा हुआ कार्य पूरा होता है।
मंदी से छुटकारे का उपाय
व्यापार यदि बहुत अच्छा नहीं चल रहा हो तो, आप एक छोटी शीशी ले लें, उसमें सरसों का तेल भरकर, शनिवार के दिन किसी बहती नदी या पानी में प्रवाहित कर दें। जल्द ही व्यापार में लाभ होना शुरू होगा।
गंभीर रोगमुक्ति का उपाय
सरसों के तेल में गुड मिलाकर रोगी के सिर से लेकर पैरों तक सात बार घडी की उलटी दिशा में उतार लें। इसे शनिवार या मंगलवार के दिन किसी भैंसे को खिला दें। यह उपाय लगातार 7 सप्ताह करें। उपाय के प्रभाव से जल्द ही रोगी की स्थिति में सुधार होगा।
कामना पूर्ति हेतु
- पीपल के पेड़ की जड़ों के पास, 41 शनिवार, सरसों के तेल का दीपक जलाने से मांगी गई कामना पूरी होती है।
- शनिवार के दिन सरसों के तेल में अपनी छाया देख कर, तेल का दान करने से शनि जनित दोषों का निवारण होता है।
- शनिवार के दिन सरसों के तेल से भगवान् शनि देव को तेलाभिषेक करें, यह शनि शांति का अचूक उपाय है।
रत्नों से भाग्य परिवर्तन
- रत्न सहज उपलब्ध होते है, और रत्न धारण करना सरल भी होता है। साथ ही रत्नों का प्रभाव दीर्घकालीन भी होता है। रत्न यदि कुंडली की अनुकूलता को ध्यान में रखे हुए धारण किये जाए है तो अतिशुभ होकर भाग्य को बदल देते है।
- रत्न धारण करने से रत्नों में विध्यमान रश्मियां त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है जिससे रत्नों का प्रभाव धारक को प्राप्त होता है। Kundli में जो ग्रह सबसे शुभ हो, उस ग्रह से सम्बंधित रत्न धारण किया जाता है।
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रुद्राक्ष धारण कर अशुभता को दूर करें
रत्न शुभ ग्रह का धारण किया जाता है और रुद्राक्ष त्रिक भावेशों (6,8,12) के भी धारण किया जा सकते है। जिन भावों के स्वामी अशुभ भावों से सम्बन्ध रखते हो, या स्वयं नीच, पीड़ित या अशुभ भावों में स्थित हो, ऐसे भावों के स्वामियों का रत्न धारण नहीं किया जाता है, ऐसे भाव के भावेशों का रत्न न पहनकर रुद्राक्ष धारण किया जाता है।
रुद्राक्ष अशुभ को भी शुभ करता है और रुद्राक्ष धारण का कोई भी नेगेटिव प्रभाव नहीं होता है। जिन भावों की फल अनुकूल करने हो, और ग्रह स्थिति प्रतिकूल हो, उन ग्रहों की रुद्राक्ष धारण कर भाग्य को बदला जा सकता है।
यन्त्र
रत्न, रुद्राक्ष की बाद जो सबसे उपाय सबसे अधिक लाभकारी रहते है और स्थायी रूप से शुभ फल देते है, उनमें से यन्त्र भी एक है। यंत्र एक प्रकार की विशेष आकृति होती है, जिसे विशेष मुहूर्त, विशेष आकार, विशेष प्रकार की होती है। कुछ यंत्रों में कुछ निश्चित अंक भी अंकित होते है, जो किसी देव विशेष, या ग्रह विशेष से सम्बंधित होते है। यंत्रों में विग्रह या प्रतिमा पूजन से सौ गुना अधिक फल मिलता है। यंत्रों का देव प्रतिमाओं की समान दर्शन पूजन किया जाता है। इनके फल बहुत शीघ्र और चमत्कारिक होते है। जिस भी देव या ग्रह को शुभ करना हो उस ग्रह या देव का यंत्र स्थापित कर दर्शन पूजन करना चाहिए।