किन व्यक्तियों को धारण करना चाहिए मूंगा रत्न और क्या हैं इसके लाभ
By: Future Point | 15-Jun-2019
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मूंगा रत्न समुद्र में पाई जानी वाली एक वनस्पति है, और मूंगा रत्न को मंगल ग्रह का रत्न माना जाता है, जिन व्यक्तियों की कुण्डली में मंगल ग्रह निम्न स्थिति में रहकर अशुभ फल दे रहा होता है तो उसे नियंत्रित करने के लिए जातकों को मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए, मूंगा एक ऐसा रत्न है जिसे धारण करने से अनेको प्रकार के लाभ प्राप्त होते है, मूंगा रत्न लाल रंग का होता है ज्योतिष के अनुसार यह मंगल भूमि, मकान, भवन-निर्माण से संबंधित और पुलिस, सेना, प्रशासन क्षमता आदि का भी कारक माना जाता है इसलिए यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि जो व्यक्ति इन सब सुखों के अभाव में जी रहा हो तो उन्हें मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए परन्तु मूंगा रत्न को धारण करने से पहले व्यक्ति को अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष से अवश्य ही दिखा लेनी चाहिए ताकि आप जान सकें कि मूंगा रत्न धारण करना आपके लिए शुभ होगा या अशुभ होगा।
मूंगा रत्न धारण करने के लाभ -
- मूंगा रत्न को सोने, चांदी या तांबे में पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का भय भी खत्म हो जाता है।
- मूंगा रत्न को धारण करने से साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
- मेडिकल क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों को मूंगा रत्न धारण करने से बहुत ही लाभ मिलता है।
- उदासी व मानसिक अवसाद पर भी काबू पाने के लिए मूंगा रत्न को अवश्य धारण किया जाना चाहिए।
- पुलिस, आर्मी, डाक्टर एवं प्रापर्टी का काम करने वाले, हथियार निर्माण करने वाले, सर्जन, कम्प्यूटर साप्टवेयर व हार्डवेयर इन्जीनियर आदि व्यक्तियों को मूंगा रत्न धारण करने से विशेष लाभ मिलता है।
- यदि किसी बच्चे को आलस्य बहुत सताता रहता है तो उसे मूंगा रत्न पहनाने से उसका आलस्य दूर भाग जाता है।
- यदि किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई समस्या है तो उसे मूंगा रत्न धारण करने से अवश्य ही लाभ मिलता है।
मिर्गी तथा पीलिया रोगियों के लिए भी मूंगा रत्न धारण करना बहुत ही फायदेमन्द साबित होता है।
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मूंगा रत्न धारण करने के नुकसान -
- मंगल का प्रभावी़ रत्न मूंगा आत्मविश्वास और साहस बढ़ाता है परन्तु ग्रहों की दशा के अनुसार मूंगा रत्न धारण करना मंहगा भी पड़ सकता है, यदि बिना जन्म कुंडली दिखाए मूंगा रत्न धारण किया जाए तो इससे दुर्घटना भी हो सकती है और इससे जातक की जान तक पर बन सकती है इसके अलावा इसका भार जीवनसाथी के जीवन पर बहुत अधिक पड़ता है।
- पारिवारिक कलह, कुटुंब से मनमुटाव और वाणी में दोष भी उत्पन्न करता है, भले वाणी साथ हो, लेकिन कटु वचन से सब कुछ बिगड़ जाता है, शनि और मंगल की युति कहीं भी हो तो मूंगा रत्न को धारण नहीं करना चाहिए, इसलिए बिना किसी विशेषज्ञ ज्योतिष से परामर्श किए मूंगा रत्न धारण नही करना चाहिए।
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मूंगा रत्न धारण करने की विधि -
- 5 से 8 कैरेट के मूंगा रत्न को स्वर्ण या ताम्बे की अंगूठी में जड़वा कर किसी भी शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार के दिन सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए।
- सर्वप्रथम मूंगा रत्न की अंगुठी को दूध, गंगा जल, शहद, और शक्कर के घोल में डाल दे।
- इसके पश्चात् पांच अगरबत्ती मंगलदेव के निमित्त जलाएं।
- और प्रार्थना करें कि हे मंगल देव मैं आपकी कृपा प्राप्ति करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न मूंगा धारण कर रहा हूं। कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
- इसके पश्चात् 108 बार ॐ अं अंगारकाय नम: मन्त्र का जाप करना चाहिए।
- इसके पश्चात् मूंगा रत्न जड़ित अंगूठी हनुमान जी के चरणों से स्पर्श करें क्योकि वहीं मंगल के अधिष्ठाता देव है।
- इसके पश्चात् तर्जनी या अनामिका उंगली में ये अंगूठी धारण करनी चाहिए।
- मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का जापानी या इटालियन मूंगा ही धारण करना चाहिए।
- मूंगा रत्न धारण करने के 9 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 3 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है अतः इसके पश्चात् नया मूंगा रत्न धारण करना चाहिए।
- मूंगा रत्न का रंग लाल और दाग रहित होना चाहिए और मूंगा रत्न में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा शुभ प्रभाओं में कमी आ सकती है।