कार्तिक मास 2022 - विष्णु जी की कृपा चाहिए, पर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये भूल?
By: Future Point | 08-Oct-2022
Views : 2891
कार्तिक मास को सनातन धर्म में विशेष महत्व दिया गया है, इस मास को दामोदर मास भी कहा जाता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु व उनके दस अवतारों की पूजा करना अत्यंत लाभदायी माना गया है।
इस मास की महिमा बताते हुए स्वयं ब्रह्माजी ने कहा है कि यह मास साल के सभी मासों में सर्वोपरि, भगवान् विष्णु सभी देवताओं में सर्वोपरि और नारायण तीर्थ सभी तीर्थों में सर्वोपरि है। कहा भी गया है, कार्तिक के समान कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं। ऐसा माना गया है कि कार्तिक मास में तेंतीस कोटि देवी-देवता मनुष्य के समीप हो जाते हैं।
पूरे कार्तिक मास के दौरान स्नान,दान और विष्णु जी का पूजन किया जाता है, इस माह को अक्षय फल देने वाला माह बतलाया गया है। और इस माह में किए हुए स्नान, दान व व्रत अत्यंत लाभदायी हैं। इस पूरे मास में भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं, और यही कारण है कि इस माह में पवित्र नदी में स्नान अदि करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक का महीना भगवान विष्णु और शिव दोनों को ही अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में यहां तक लिखा गया है कि जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत, तप, मंत्र-जाप, दान-पुण्य और दीपदान आदि करता है वह अपने जीवन में समस्त सुखों का भोग करता है और मृत्यु के उपरान्त बैकुंठ में निवास करता है। इस आइयें जानते हैं, भगवान विष्णु की विशेष कृपा वाला, कार्तिक मास कब से शुरू हो रहा है और इसका क्या महत्व है।
कब से शुरू होगा कार्तिक मास 2022?
अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के बाद से ही कार्तिक मास का आरंभ हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2022 में कार्तिक मास 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और यह 8 नवंबर 2022 को समाप्त होगा। जिसके बाद मार्गशीर्ष आरंभ हो जाएगा।
कार्तिक मास का क्या महत्व है ?
चातुर्मास शुरू होते ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते है, और कार्तिक माह की एकादशी के दिन ही वे अपनी शयन मुद्रा से उठते है। इस एकादशी को 'देवउठनी एकादशी' कहा जाता है। इस एकादशी के बाद ही सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। भगवान विष्णु के सबसे प्रिय मास यानि कार्तिक मास को हिंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता दी गयी है। इस माह का सीधा सम्बन्ध देवों से है। कार्तिक मास में पूजा-अर्चना, स्नान-दान व जप-तप करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवन विष्णु इस माह, जल में वास करते है और सभी पवित्र नदियों के द्वारा अपने भक्तों के अत्यंत करीब आ जाते हैं।
ऐसे में गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से देवत्व की प्राप्ति होती है और सभी पाप धुल जाते हैं। कार्तिक मास में भगवान विष्णु के साथ तुलसी पूजा करना भी अत्यंत फलदायी माना गया है। इसके अलावा दीप दान, यज्ञ व दान आदि का भी विशेष महत्व है। इसी मास में सभी महत्वपूर्ण पर्व जैसे कि दिवाली, छठ-पूजा, धनतेरस व कार्तिक पूर्णिमा जैसे व्रत व त्योहार भी आते है। धार्मिक दृष्टि से यह अत्यंत ही विशेष महीना है।
क्या करें कि कार्तिक मास में भाग्य ही पलट जाये ?
पूरे कार्तिक मास में सूर्य उदय से पहले उठकर तारों की छाया में स्नान करने और पूरा दिन व्रत का पालन कर सांय तारों की छाया में भोजन करने का विशेष महत्व कहा गया है। इसे तारा स्नान और तारा भोजन के नाम से जाना जाता है। प्रात: काल आकाश में जब तारें विद्यमान हो तब स्नान करें व शाम को तारे उदित हो जाने के उपरान्त भोजन करें। शास्त्रों में इस तरह के स्नान को पापों से मुक्त करने वाला और कई पवित्र स्नानों के बराबर फल देने वाला कहा गया है। कार्तिक पूर्णिमा पर यदि गंगा स्नान किया जाए तो यह अत्यंत ही लाभदायी होता है।
कार्तिक के महीने में किया गया स्नान एक हजार बार गंगा स्नान के बराबर फल देने वाला माना गया है।
कार्तिक माह में भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी में प्रतिदिन सुबह जल अर्पित करने से और सायंकाल में तुलसी पर दीपक प्रज्जवलित करने से घर में समस्त सुखों का भंडार लगता है। कार्तिक महीने में मंत्र जाप का प्रभाव अन्य दिनों की अपेक्षा करोड़ों गुना अधिक लाभ मिलता है। जो भी व्यक्ति किसी विशेष कार्य की पूर्ति के लिए मंत्र सिद्धि चाहते हैं वे इस माह में नियम से मंत्र जाप करें। इस पूरे महीने गायत्री मंत्र का जाप सभी सुखों को देने वाला है। अपने जीवन में साहस, निडरता, बुरी नजरों से बचने और जन्मकुंडली के समस्त दोषों को सुधारने के लिए कार्तिक मास में गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
कार्तिक माह भगवान विष्णु का प्रिय है इसलिए उनकी पूजा-अर्चना करने से लक्ष्मी माँ भी अत्यंत प्रसन्न होती है। वे भक्तों को अपरम्पार धन-धान्य व भौतिक सुखों का आशीर्वाद देती हैं। इस महीने में प्रतिदिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ भी करें। मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए शुक्रवार को श्रीसूक्त का पाठ भी करना चाहिए। इस माह में अपने तन-मन के साथ अपने आसपास के परिवेश को भी साफ सुथरा रखना चाहिए, यह लक्ष्मी जी की कृपा पाने का अचूक उपाय है। भगवान शिव की पूजा भी अत्यंत लाभकारी रहती है। बीमारियों से छुटकारा व निरोगी काया के लिए यह महीना राम बाण जैसा असर देता है। दीर्घायु के लिए इस पूरे मास भगवान शिव का जल-अभिषेक करें।
दीपदान
कार्तिक के महीने की पहली पंद्रह रातें वर्ष की सबसे काली रातों में से एक मानी गयी हैं। देव शयन के इन पंद्रह दिनों में प्रतिदिन दीप का प्रज्ज्वलन करने से जीवन में सही दिशा की प्राप्ति होती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस महीने प्रतिदिन किसी पवित्र नदी, तीर्थ स्थल, मंदिर या फिर घर में रखी तुलसी के पौधे के पास दीपदान अवश्य करना चाहिए। जो स्वयं दीपदान न कर पाए, वह दूसरे के बुझे हुए दीप को जला सकता है और दीप की हवा आदि से रक्षा कर सकता है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी सौभाग्य का वरदान देती हैं।
तुलसी की पूजा
कार्तिक मास में वृंदा या तुलसी की पूजा का सबसे अधिक महत्व है। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है और इसके बिना उनका पूजन सम्पूर्ण नहीं होता। इस मास में तुलसी पूजा करने व तुलसी दल को ग्रहण करने से स्वास्थ्य वृद्धि होती है। मान्यता है कि तुलसी यमदूत के भय से भी मुक्ति देती है। इस पूरे महीने तुलसी के सामने दीपदान करें और सुख समृद्धि पाएं। इस माह में तुलसी के पौधे लगाना भी बहुत पुण्यदायी है। इसके साथ ही कार्तिक मास में ही तुलसी माता और शालिग्राम का विवाह करने की परंपरा है जिसे तुलसी विवाह कहा जाता है। कार्तिक मास में आप तुलसी की माला भी धारण कर सकते है।
शालिग्राम की पूजा और कीर्तन
कार्तिक में भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए शालिग्राम का पूजन और उनके सभी नामों का वंदन करना चाहिए। यह व्यक्ति को भय मुक्त करता है। जितना पुण्य सात समुद्रों तक की पृथ्वी को दान करने से प्राप्त होता है, उतना ही फल शालिग्राम शिला को दान करने से प्राप्त होता है। मनुष्य यदि कार्तिक मास में प्रतिदिन गीता पाठ करे तो उसे अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है।गीता के पठन से मनुष्य घोर नरक से मुक्त हो जाते हैं। स्कंद पुराण में इस महीने अन्न दान करना सर्व-पापों का दमन करता है।
ब्रह्ममुहूर्त में स्नान
कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी में यदि ब्रह्ममुहूर्त में स्नान किया जाये तो बहुत लाभकारी होता है। यदि कोई नदी के जल में स्नान न कर पाए तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है।
भूमि पर सोना
भूमि पर सोने से कुंडली के पाप ग्रह जैसे राहु, शनि आदि शांत हो जाते हैं। विलासिता के जीवन से कुछ दिनों की मुक्ति प्राप्त करना मनुष्य के लिए अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक होता है। इससे शारीरिक व मानसिक तनाव भी दूर हो जाता है।
कार्तिक व्रत को कैसे खोलें
भक्त कार्तिक मास के प्रारंभ से लेकर अंत तक पूर्ण माह व्रत करते हैं। प्रतिदिन, सांयकाल तारों को अर्घ्य देकर भोजन करते हैं। मास के अंतिम दिन उजमन होता है। उजमन में पांच सीधे व पांच सुराही किसी ब्राह्मण को दान में दिए जाते हैं। साथ ही एक साड़ी-ब्लाउज व कुछ दक्षिणा रखकर सास को चरण स्पर्श करके देना चाहिए।
इन खास नियमों का ज़रूर रखें ध्यान
यदि आप पूरे कार्तिक महीने व्रत का पालन करते हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। इस पूरे महीने किसी दूसरे द्वारा दिया भोजन ना करें। भोजन केवल एक बार सायंकाल में तारों के निकलने के बाद ही करें। पूरे महीने ब्रह्मचर्य का पालन करें व मन, वचन और कर्म की शुद्धता रखें। पूरे महीने भूमि पर ही सोएं। इस महीने लौकी, नाशपाती, गाजर, उड़द-चना व मूंग दाल और मटर नहीं खाना चाहिए। सात्विक भोजन करें और तले-भुने मसालेदार, मांसाहारी भोजन और शराब का सख्त परहेज़ करें। दुष्कर्म न करें व क्रोध पर नियंत्रण रखें।