जीवन में उत्साह व समृद्धि का कारक - सूर्य ग्रह | Future Point

जीवन में उत्साह व समृद्धि का कारक - सूर्य ग्रह

By: Future Point | 30-Apr-2022
Views : 3575जीवन में उत्साह व समृद्धि का कारक - सूर्य ग्रह

ज्योतिष का मानव जीवन में अत्यंत महत्व है और ज्योतिष में ग्रहों की चाल का मनुष्य के जीवन के हर पहलू पर गहरा असर पड़ता है। यदि हम ज्योतिष के ग्रहों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते हैं, तो हम जीवन की बाधाओं को नष्ट कर एक सुखमय जीवन की आशा कर सकते हैं। जन्म कुंडली मनुष्य के जीवन से सम्बंधित हर क्षेत्र की भविष्यवाणी करने में सक्षम है। ज्योतिष में 9 ग्रह हैं लेकिन इन सबमे से जिस ग्रह को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है वह ग्रह है - सूर्य। सूर्य का महत्व इसी से समझा जा सकता है की सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है।

सूर्य, व्यक्ति के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाता है। सूर्य ही जातक को समाज में यश या अपयश दिलवाने के लिए जाना जाता है। एक सुव्यवस्थित सूर्य, जातक को व्यवसाय में अत्यधिक सफलता व नाम और शोहरत दिलवा सकता है। वहीँ कमज़ोर सूर्य व्यक्ति को नकारात्मक बनाता है और उसे अपमान व अपयश का भागी बनाता है। 

इस लेख में हम ग्रहों के राजा सूर्य के बारे में विस्तार से जानेंगे।  सूर्य का अच्छा व बुरा प्रभाव और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है? और कैसे सूर्य को अपने अनुरूप बनाया जाये ? इन सभी तथ्यों की जानकारी इस लेख के माध्यम से आप पा सकते हैं।

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सूर्य ग्रह और वैदिक ज्योतिष

ज्योतिष में सूर्य ग्रह का अत्यंत महत्व है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सूर्य को देवता की उपाधि दी गयी है और इसकी पूजा अर्चना की जाती है। सूर्य जीवनदायिनी शक्ति है जो धरती पर ऊर्जा का उपलब्ध सबसे बड़ा स्रोत है। वैदिक ज्योतिष के मतानुसार सूर्य सभी ग्रहों का राजा है और व्यक्ति के व्यक्तित्व को अत्यंत प्रभावित करता है। 

  • सूर्य आत्मकारक है यानि हमारी आत्मा का द्योतक। जिसका सूर्य कुंडली में सुव्यवस्थित होता है वह आत्मा से सात्विक व आदर्शवादी होता है। खगोल सूर्य को तारा मानता है पर ज्योतिष में यह एक ग्रह कहा गया है। किसी भी जन्म कुंडली के अध्ययन में सूर्य की भूमिका अहम रहती है।
  • सूर्य व्यक्ति को कार्य करने की ऊर्जा एवं बल देता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य के पिता महर्षि कश्यप व माता देवी अदिति हैं। अपनी माँ के नाम पर ही उन्हें "आदित्य" भी कहा गया है। सूर्य को चिकित्सीय गुणों का भण्डार कहा गया है और इसके चिकित्सीय व आध्यात्मिक गुणों को ग्रहण करने के लिए लोग प्रातः उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। सप्ताह का रविवार, सूर्य ग्रह को समर्पित है। 
  • वैदिक ज्योतिष में जब सूर्य, भचक्र की किसी राशि में गोचरवश प्रवेश करता है तो उसे सूर्य संक्रांति कहा जाता है। किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्यों के लिए यह बहुत ही शुभ समय होता है। संक्रांति के दौरान लोग आत्म शांति के लिए प्रार्थना व धर्म ध्यांन करते हैं।  इस समय सूर्य की उपासना करना अत्यंत लाभप्रद होता है। सूर्य का गोचर ही हिन्दू पंचांग की गणना का अभिन्न अंग है। 
  • सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। 
  • सूर्य एक राशि में एक माह तक रहता है व जातक को शुभ या अशुभ फल प्रदान करता है। राशिचक्र की 12 राशियों का चक्कर पूरा करने में सूर्य को पूरा एक वर्ष लगता है। सूर्य कभी वक्री गति से भ्रमण नहीं करता यह अज्ञान के अन्धकार को मिटा हमारी आत्मा को ज्ञान से प्रकाशित करता है। यह सदा ही सकारात्मक कर्म करने की प्रेरणा देता है। 
  • सूर्य को क्रूर ग्रह माना गया है क्योंकि इसकी अथाह रौशनी व गर्मी, हमें कोमलता का एहसास नहीं देती है।  यह एक सात्विक ग्रह है जो अपनी स्थिति से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक उत्थान को सुनिश्चित करता है। 
  • सूर्य आत्मा, पिता, चिकित्सा, निर्माण, राजसी जीवन, यश, सम्मान, सरकारी विभाग, राजनीति, लकड़ी, निर्माण, रौशनी, गर्मी, अहंकार, न झुकने की प्रवृत्ति व डॉक्टर आदि को प्रदर्शित करता है। 

कुंडली में एक बली सूर्य क्या कर सकता है ?

ज्योतिष के अनुसार सूर्य जब अपनी मित्र या उच्च राशि में होता है तो जातक के जीवन में अच्छे फल प्राप्त होते हैं। व्यक्ति के सभी बिगड़े काम बन जाते है। बली सूर्य जातक को बीमार नहीं पड़ने देता और सकारात्मक विचारधारा देता है। ऐसा व्यक्ति जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखता है। एक बली सूर्य के प्रभाव से जातक अपने जीवन में निरंतर उन्नति करता है और प्रसिद्धि प्राप्त करता है। यह व्यक्ति के अंदर सद्गुणों को विकसित करता है।

एक बली सूर्य जातक को- अदम्य साहस, लक्ष्य की और प्रयासरत, प्रतिभावान, नेता, ऊर्जा व आत्म-विश्वास से भरा हुआ, आशावादी, हमेशा प्रसन्न, दयालु, शाही व्यक्तित्व वाला,  वफादार, कुलीन, सत्यवादी, मर्यादा को समझने वाला, न्यायप्रिय व जीवन शक्ति से भरा हुआ व्यक्ति बनाता है।

  • एक अच्छा सूर्य जीवन में राजसी लाभ के साथ-साथ यश व सुकीर्ति ले कर आता है। यदि सूर्य अच्छा है तो जातक को इन सभी क्षेत्रों में आशतीत सफलता मिलती है। 
  • एक अच्छा सूर्य, सेवा क्षेत्र में एक उच्च व प्रशासनिक पद दिलवाता है।  
  • यह व्यक्ति को नेतृत्व क्षमता देता है और व्यक्ति अपने समुदाय या समाज का प्रतिनिधि बनता है। 
  • शारीरिक संरचना में सूर्य, हृदय को दर्शाता है। सूर्य पुरुषों की दायीं व स्त्रियों की बायीं आँख को भी दर्शाता है।

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कुंडली में एक कमज़ोर सूर्य क्या कर सकता है?

एक पीड़ित सूर्य जातक को- अहंकार से भरा हुआ, हमेशा उदास, थका हुआ, विश्वास न करने योग्य, ईर्ष्यालु, अत्यधिक महत्वाकांक्षी, स्वार्थी व बिना बात के क्रोधित होने वाला व्यक्ति बनाता है।

  • यदि सूर्य पाप प्रभाव में है तो व्यक्ति को अपमान झेलना पड़ता है और उसके कोई भी कार्य सफल नहीं होते हैं। वह अनेक बीमारियों से घिरा रहता है क्योंकि सूर्य हमारी प्रतिरोधक क्षमता भी है।  और एक कमज़ोर सूर्य हमारी प्रतिरोधक क्षमता की हानि करता है। 
  • यदि कुंडली में सूर्य, राहु या केतु के साथ स्थित होकर ग्रहण योग का निर्माण कर रहा है या इन ग्रहों के प्रभाव में है तो व्यक्ति की पहचान नहीं बन पति।  वह अनेक परेशानियों से घिरा रहता है और आर्थिक स्थिति कमज़ोर हो जाने से ऋण के बोझ तले दब जाता है। ऐसे लोग कर्ज में डूबे रहते हैं और एक के बाद एक कर्जा लेते रहते हैं।
  • व्यक्ति के मान- सम्मान में भारी कमी आ सकती है और कोई गलती न होने पर भी वह आरोपी सिद्ध हो जाता है।
  • एक कमज़ोर सूर्य दिल की बीमारियां, आत्मविश्वास की कमी, आत्मशक्ति में गिरावट, ऊर्जा की कमी, अवचेतना, चेहरे में मुहांसे, तेज़ बुखार, टाइफाइड, मिर्गी, पित्त, सिर से जुडी बीमारिया या चोट, रीढ़ की हड्डी, दांतों से संबंधित रोग दे सकता है।  
  • यह एक अग्नि ग्रह है और मांसपेशियों में दर्द, पाचन शक्ति में कमी, दृष्टि दोष, हड्डियों में दर्द आदि परेशानियां दे सकता है।
  • यदि आपकी कुंडली में सूर्य किसी पाप ग्रह से पीड़ित हो तो यह हृदय और आँखों के रोग देता है। यदि यह शनि से पीड़ित है तो निम्न रक्त दाब जैसी बीमारी देता है। गुरु के साथ पीड़ित होने पर सूर्य उच्च रक्त दाब की परेशानी देता है। 
  • एक कमज़ोर सूर्य पिता के भाग्य व सेहत के लिए भी हानिकारक है।  

कुंडली में सूर्य को शुभ बनाने हेतु कुछ उपाय-

  • भगवान शिवशंकर की पूजा सूर्य के अशुभ परिणामों को निरस्त करती है। 
  • सूर्य को प्रातःकाल अर्घ्य अर्पित करें।  इसके लिए तांबे के लोटे में जल, अक्षत, लाल फूल, लाल चन्दन मिला लें व अर्घ्य दें | अर्घ्य देते समय ‘ऊं घृणि सूर्याय नमः’ का जाप भी करे।
  • रविवार को उपवास करें व इस दिन नमक का सेवन न करें। केवल एक ही बार भोजन करें। 
  • सूर्य के बलहीन होने पर लाल और पीले रंग के वस्त्र, सोना, तांबा, गुड़, माणिक्य, गेहूं, लाल फूल, लाल मसूर दाल इत्यादि का दान करें।
  • कोई भी उपाय करने से पहले अपनी जन्म कुंडली का ज्योतिषी से विश्लेषण करवा लें। 
  • सूर्य के मन्त्रों का जाप करें।  

सूर्य के मंत्र-

सूर्य का वैदिक मंत्र

ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च।

हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।

सूर्य का बीज मंत्र

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

सूर्य का तांत्रिक मंत्र

ॐ घृणि सूर्याय नमः

ज्योतिष में सूर्य ग्रह कितना महत्वपूर्ण है, यह अब हम सभी समझ चुके है। हमारी पृथ्वी पर सूर्य के द्वारा ही जीवन संभव है और केवल सूर्य ही प्रत्यक्ष देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यही कारण है की सूर्य को समस्त जगत की आत्मा कहा जाता है। सूर्य ही हमें जीवन की सबसे बड़ी पूँजी यानि आध्यात्मिक पूँजी प्रदान करता है।

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