जानिए शनि साढ़ेसाती 2020 से किसको होगा नुकसान और किसको होगा लाभ
By: Future Point | 09-Jan-2020
Views : 8564
शनिदेव के विषय में अनेक आख्यान पुराणों में प्राप्त होते हैं| शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है, यह एक राशि का भ्रमण ढाई साल में तथा सम्पूर्ण बारह राशियों का भ्रमण 30 साल में पूर्ण करते हैं| शनिदेव कृष्ण वर्ण, वायुतत्व, तमोगुणी व नपुंसक ग्रह है| यह पश्चिम दिशा का स्वामी, रात्रि बली तथा कृष्ण पक्ष में, दक्षिणायन में बली होता है| और वृद्धावस्था का कारक है| शनि पुष्य, अनुराधा व उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी है, मकर-कुंभ राशि का अधिपति, तुला में उच्च का व मेष में नीच का होता है| इनके बुध शुक्र मित्र ग्रह हैं, सूर्य, चन्द्र व मंगल शत्रु और गुरु सम है|
शनि जन्म कुंडली में जिस भाव में स्थित हों, वहां से 3, 7, 10वें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है| कर्मक्षेत्र, मजदुर तथा निचले स्तर के लोगों पर शनि का विशेष प्रभाव रहता है| ज्योतिष में शनि से रोग व दु:ख का विचार किया जाता है| अत: शनि के शुभ होने पर व्यक्ति निरोगी व सुखी और अशुभ होने पर रोगी व दु:खी रहता है| शुभ शनि अपनी साढ़ेसाती में जातक को आशातीत बनाते हैं और लाभ प्रदान करते हैं, वहीं अशुभ शनि अपनी साढ़ेसाती में जातक को घोर व असहनीय कष्ट देते हैं| शनि न्याय के कारक हैं, जो प्रकृति में संतुलन पैदा करते हैं, और हर प्राणी के साथ उनके कर्मों के अनुसार उचित न्याय करते हैं| शनिदेव का सम्बन्ध सीमेंट, लोहा, लकड़ी, तेल, पेट्रोल, उद्योग, कारखाना, इंजीनियरिंग, वकालत, अस्पताल, पुलिस, ऑटो मोबाईल का बिजनेस, धातु से संबंधित व्यापार, और अधिक परिश्रम करने वाले कार्य आदि कार्यक्षेत्रों पर है|
शनि ग्रह एक से दूसरी राशि तक गोचर करने में ढाई वर्ष का समय लेता है| गोचर में शनि ग्रह जिस राशि में स्थित होते हैं उस राशि पर और उससे दूसरी व द्वादश राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है| इस वर्ष 24 जनवरी 2020, को शनि ग्रह धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे| आइए जानते हैं कि वर्ष 2020 में किन राशि वाले जातकों पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी| तीन राशियों से होकर गुजरने में शनिदेव को सात साल और छः महीने मतलब साढ़े सात साल का समय लगता है| भारतीय ज्योतिष में इसे ही शनि की साढ़ेसाती के नाम से जाना जाता है|
साढ़ेसाती का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक अशुभ और पापी ग्रह है, साढ़ेसाती में शनिदेव व्यक्ति के चन्द्रमा अर्थात मन को प्रभावित करते हैं| किसी भी जातक की कुंडली में इसकी उपस्थिति अशुभ और व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने वाली मानी जाती है| शनि साढ़ेसाती की गणना चंद्र राशि पर आधारित होती है| शनिदेव को 'कर्मफल दाता' रूप में माना गया है| ऐसा कहा जाता है मनुष्य जो भी कर्म करेगा उसका फल शनिदेव उसे देते हैं| जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ होता है, उन लोगों के लिए साढ़ेसाती का समय काफी फलदायक होता है| साढ़ेसाती के समय अगर आपके काम रुकने लगें, और लाख परिश्रम के बाद भी सफलता नहीं प्राप्त हो, तो इसका मतलब है कि यह शनिदेव का प्रकोप है जो आपको पीड़ित कर रहा है| ऐसी स्थिति में जातक शनिदेव को खुश करने के उपाय करके अपने नुकसान और हो रही परेशानियों को कम कर सकता है| वृश्चिक राशि वालों का अंतिम चरण 24 जनवरी को समाप्त हो जायेगा| वृषभ और कन्या राशि वालों की ढय्या उतर जाएगी, मकर राशि में शनि का प्रवेश होने से कुंभ राशि पर साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी| और वहीं धनु, मकर और कुम्भ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा| जिसमे कुम्भ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण, मकर पर दूसरा, और धनु राशि पर तीसरा चरण रहेगा| तथा मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी|
कुंडली के अनुसार शनि ग्रह आपके लिये किस प्रकार लाभकारी हो सकते हैं जानने के लिए अभी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से बात करने के लिए क्लिक करें
साढ़ेसाती के चरण
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, यदि शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में जहाँ चन्द्रमा स्थित है वहां से बारहवें, पहले, दूसरे भाव से होकर गुजरे तो उसे शनि की साढ़ेसाती कहते हैं| शनिदेव के इस भ्रमण को तीन अलग-अलग चरणों में बांटा गया है| इन तीनों अवधि में से दूसरा चरण व्यक्ति के लिए कष्टदायी माना जाता है| लेकिन सबसे कष्टकारी समय तब होता है जब शनिदेव आपकी साढ़ेसाती के दौरान आपके जन्म नक्षत्र के उसी चरण में प्रवेश करते हैं, जिसमे आपका जन्म हुआ है| यह ९० दिनों की अवधि विशेष कष्टकारक होती है|
साढ़ेसाती का प्रथम चरण–
इस वर्ष २४ जनवरी से शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण कुम्भ राशि वालों के लिए शुरू होगा, प्रथम चरण में साढ़ेसाती का प्रभाव जातक के मस्तक पर रहता है| जिसके कारण व्यक्ति को आर्थिक कठिनाईओं का सामना करना पड़ता है, प्रत्येक कार्य में विघ्न पड़ने लगते हैं| आमदनी कम और खर्च अधिक होते हैं| दो दिन का काम दश दिन में होता है, या बनते काम बिगड़ जाते हैं| व्यक्ति को नींद से जुड़ी समस्याएं होती हैं| और स्वास्थ खराब भी रहने लगता है| सोचे गए कार्य पूरे नहीं होते और धन से जुड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है| दाम्पत्य जीवन में कठिनाईयां आती हैं और मानसिक चिंताओं में बढ़ोतरी होती है, इस प्रकार की अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है|
साढ़ेसाती का द्वितीय चरण–
इस वर्ष २४ जनवरी से शनि की साढ़ेसाती का द्वितीय चरण मकर राशि वालों के लिए शुरू होगा, द्वितीय चरण में साढ़ेसाती का प्रभाव जातक पर अधिक नकारात्मक और मुश्किलों से भरा हुआ होता है| पहले चरण में जहाँ आपको दूसरे लोग नुकसान पहुंचते हैं, वहीँ इस चरण में स्वास्थ्य और मनोदशा दोनों प्रभावित होते हैं| इस प्रभाव के कारण व्यक्ति को व्यवसायिक तथा पारिवारिक जीवन में उतार-चढाव का सामना करना पड़ता है| जातक को अपने रिश्तेदारों से कष्ट प्राप्त होते है, उसे घर -परिवार से दूर रहना पड़ता है, लम्बी यात्राओं पर भी जाना पड़ता है| व्यक्ति को शारीरिक रोग परेशान करते हैं, धन-संपति से जुड़े मामले भी परेशान कर सकते हैं, मित्रों का सहयोग नहीं मिलता है और किसी भी कार्य को करने के लिए सामान्य से अधिक कोशिश करनी पड़ती है, जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, और वह आर्थिक परेशानियां से भी घिरा रहता है| इस स्थिति में आपको धैर्य से काम लेना चाहिए, तथा अपनी मेहनत को दुगुना कर देना चाहिए|
साढ़ेसाती का तृतीय चरण-
इस वर्ष २४ जनवरी से शनि की साढ़ेसाती का तृतीय चरण धनु राशि वालों के लिए शुरू होगा, तृतीय चरण में साढ़ेसाती का प्रभाव उन जातकों पर थोड़ा राहत भरा रहेगा| जिनकी जन्म कुंडली में शनि अच्छे हैं| इस चरण में व्यक्ति को भौतिक सुखों का लाभ नहीं मिलता और उसके मान-सम्मान व अधिकारों में कमी आती है| जितनी आमदनी होती है उससे ज्यादा खर्च होते हैं| स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है| संतान के साथ वैचारिक मतभेद होता है| इस दौरान आर्थिक स्थिति के कमजोर होने से मानसिक परेशानी की स्थिति बनती है, जिन लोगों की जन्मराशि में शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण चल रहा हो, उन लोगों को किसी भी तरह के वाद-विवाद से बच कर रहना चाहिए| और परिस्थितियों का सामना करना चाहिए| इस समय अवधि में घर में, बिजनेस और नौकरी में होने वाले आर्थिक मामलों को सूझ-बुझ के साथ हल करना चाहिए|
वैदिक ज्योतिष के अनुशार शनि ग्रह का गोचर आपके लिए कैसा रहेगा? जानिए शनि गोचर 2020 रिपोर्ट द्वारा
साढ़ेसाती से बचने के उपाय
- शनि के इस गोचर के दौरान कमजोर और गरीब लोगों को नहीं सताना चाहिए,
- अपने साथ काम करने वाले लोगों पर अनावश्यक दबाव बनाना और उन्हे तंग नहीं करना चाहिए,
- मांस मदिरा का सेवन शनिवार के दिन ना करें,
- प्रत्येक शनिवार को छाया पात्र का दान करें| लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपना मुख देखकर उस तेल को कटोरी सहित दान करें|
- हर दिन एक रोटी किसी कुत्ते को खिलाएं,अगर कुत्ता काले रंग का हो तो उत्तम रहेगा|
- शनिवार के दिन जल में कच्चा दूध मिलकर पीपल की जड़ में अर्पित करें|
- चींटियों को आटा और शक्कर डालें, यह उपाय कम से कम 21 दिन या पूरे गोचर के दौरान करें|
- शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि के गोचर के दौरान हर शनिवार गुड़ और चना से शनि महाराज की पूजा करें, और प्रसाद लोगों में बांटें|
- प्रतिदिन "ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:" इस मंत्र का १०८ वार जाप करें|
- काला जूता, काला कंबल, काले तिल, उड़द दाल और खिचड़ी का वितरण करना शुभ होता है|
- प्रतिदिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें|
- शनिवार के दिन काला अथवा नीला कंबल ज़रूरतमंद को दान करें
- ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें|
- साढ़ेसाती के दौरान साल में दो वार हनुमानजी की पूजा करवाएं, और हनुमान चालीसा का पाठ करें|
- अपने दाहिने हाथ की मध्य उँगली में घोड़े की नाल से बनी अंगूठी पहनें|
- "शिव पञ्चाक्षरि" तथा महा मृत्युंजय मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव की पूजा करें|
- रोज़ाना "शनि स्तोत्र" का पाठ करें|
- प्रतिदिन "शनि कवचम" का उच्चारण करें|
- भिखारी और शारीरिक रूप से विकलांग को दही-चावल का दान करें|
- साढ़े साती के दौरान शनि ग्रह को खुश करने के लिए प्रत्येक शनिवार को भगवान शनि की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है|
- साढ़ेसाती के दोषपूर्ण प्रभाव को कम करने के लिए आप ज्योतिषीय सलाह लेने के बाद नीलम रत्न पहन सकते हैं|
इसे भी पढ़ें: शनिदेव की असीम कृपा पाने के लिए इस प्रकार कीजिए व्रत विधि।
साढ़ेसाती के दौरान सावधानियां-
साढ़ेसाती एक ऐसी अवधि है, जो मानव मन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है| क्योंकि साढ़ेसाती चन्द्रमा को प्रभावित करती है और चन्द्रमा है मन, साढ़ेसाती के दौरान हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए|
- हमें किसी भी जोखिम से भरे कार्य को करने से बचना चाहिए|
- साढ़ेसाती के दौरान आलस नहीं करना चाहिए हलांकि अधिक मेहनत करनी चाहिए|
- ड्राइविंग करते समय हमें सतर्क रहना चाहिए|
- साढ़ेसाती के दौरान हमें घर पर या कार्य स्थल पर किसी भी तरह के तर्क-वितर्क से बचना चाहिए|
- हमें किसी भी औपचारिक या कानूनी समझौते में फंसने से बचना चाहिए|
- हमें शनिवार और मंगलवार को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए|
- साढ़ेसाती के दौरान शनिवार और मंगलवार को काले कपड़े या चमड़े के सामान खरीदने से बचना चाहिए|
- हमें किसी भी तरह के अवैध या गलत चीज़ों में भाग लेने से बचना चाहिए|
शनि को ज्योतिष में सबसे अधिक अनिष्टकारी ग्रह माना जाता है| हालांकि, यह हमेशा सच नहीं होता है, शनि आपके कार्यों और कर्मों के आधार पर न्याय करता है| यदि आप अच्छे कर्म करते हैं, तो यह निश्चित रूप से आपको उसका फल प्रदान करता है| ये हो सकता की आपके अच्छे कर्मों का परिणाम आने में देरी जरूर हो जाये, लेकिन आपकी मेहनत का शुभ फल आपको निश्चित रूप से प्राप्त होगा| साढ़ेसाती सांसारिक प्राणियों के लिए हमेशा से ही भय और उत्सुकता भरा विषय रहा है| शनि साढ़ेसाती लोगों को अच्छे और बुरे दोनों तरह के समयों का अनुभव कराती है| शनि मूल रूप से आपके धैर्य की परीक्षा लेते हुए आपको आपके कर्मों का फल देता है| अतः हम शनि को एक "न्यायधीश" की तरह मान सकते हैं जो हमे हमारे कर्मों के अनुसार फल देता है|
इसे भी पढ़ें: मकर संक्रांति 2020: इस बार कब है मकर संक्रांति