जानिए मंगलवार के व्रत से कैसे मिलती है हनुमान जी की विशेष कृपा
By: Future Point | 25-May-2020
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प्रत्येक धर्म के लोग अपने-अपने धर्म व संस्कृति के अनुसार व्रत एवं पूजा करते हैं। वहीं हिन्दू धर्म में मंगलवार के दिन को अति उत्तम माना जाता है और इस दिन को मंगल देवता के नाम से भी जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर पौराणिक व धार्मिक कथाओं के अनुसार इसे हनुमान का दिन माना जाता है।
मंगलवार व्रत बहुत ही मंगलकारी व्रत है, इस व्रत में राम भक्त हनुमान जी की आराधना और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। मंगल के व्रत से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत सम्मान, बल, साहस और पुरुषार्थ को बढ़ाता है। संतान प्राप्ति के लिए भी है व्रत बहुत फलदायक है। इस व्रत से पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। कहा जाता है कि काली शक्तियों का दुष्प्रभाव भी इस व्रत करने वाले पर कोई असर नहीं डालता।
हनुमान जी की पूजा-पाठ की विधि बहुत ही सरल और आसान है, कोई भी भक्त इसे बहुत ही आसानी के साथ कर सकता है और हनुमान जी की कृपा का पात्र बन सकता है। ज्योतिष के अनुसार मंगलवार का व्रत उन्हें भी रखना चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह भारी हो या फिर जीवन में कोई भी शुभ काम न हो रहा हो।
ऐसे में अपने जीवन में खुशियां लाने और कार्यों को शुभ बनाने के लिए इस दिन व्रत किया जाता है। मंगलवार व्रत के लिए भी कुछ विधि, नियम और महत्व है जिनका सही तरीके से पालन करने पर हनुमान जी की हमेशा कृपा बनी रहती है और जीवन के सारे कार्य बहुत ही आसानी से होते चले जाते हैं।
मंगलवार व्रत विधि-
मंगलवार व्रत को प्रारंभ करने के लिए किसी भी हिन्दु माह की शुक्ल पक्ष की तिथि में पडने वाले मंगलवार से किया जा सकता है। यह व्रत लगातार 21 मंगलवार तक किया जाना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व नित्य कर्म से निपूर्ण होकर नहा लें, स्वच्य वस्त्र धारण करें तद उपरांत ईशान कोण की दिशा में किसी एक एकांत स्थान पर बजरंग बली की मूर्ति को स्थापित करें या फिर उस जगह पर हनुमान जी की फोटो की स्थापना करें।
व्रत के दिन लाल वस्त्र धारण करें। व्रत को शुरु करने के लिए अपने हाथ में जल लेकर संकल्प लें और मगलवार के व्रत को सच्ची आस्था एवं भक्ति के साथ शुरू करें। अब हनुमान जी की मूर्ति के सामने गाय के शुद्ध घी का एक दीपक प्रज्वलित करें। हनुमान जी की मूर्ति पर पीले या लाल रंग के पुष्प की माला हनुमान जी की मूर्ति पर चढ़ाएं। मंगलवार व्रत कथा पढ़ें फिर उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें। सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर स्वयं प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
पूरे दिन में सिर्फ एक बार भोजन करें। अपने आचार विचार पूरे दिन शुद्ध रखे और रात्रि में सोने से पहले फिर एक बार हनुमानजी की पूजा करे। मंगलवार व्रत में कुछ नियमों का पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है, तभी आपको इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त हो पाता है। इस दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पूरा पालन करना चाहिए और साथ ही मंगलवार के व्रत के दिन सात्विक विचार का रहना आवश्यक है।
मंगलवार के इक्कीस व्रत करने के बाद मनोकामना पूर्ति करने के लिये मंगलवार व्रत का उद्धापन किया जाता है। उद्ध्यापन करने के बाद इक्कीस ब्रहामणों को भोजन कराकर यथाशक्ति के अनुसार दान-दक्षिणा दी जाती है। मंगलवार व्रत को नियमित जारी रखना चाहिए जब तक की आपके संकल्प के अनुसार पूर्ण न हो जाये परंतु अगर बीच में कोई बाधा या विपरीत परिस्थिति या किसी कारण आप व्रत नही रह पाते है तो तो घर का कोई सदस्य मंगलवार व्रत रह सकता है।
इस व्रत में एक बार भोजन लें और वो भी सूर्य अस्त के 2-3 घंटे पहले अगर संभव हो तो भोजन में नमक शामिल न करें। मंगलवार व्रत का महात्म बहुत ही पूण्यदायी और कल्याणकारी है, इसके व्रत से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और सम्मान, बल, पुरुषार्थ और साहस में बढोतरी होती है। इस व्रत के करने से जीवन में भय का नाम मात्र भी शेष नही रह जाता है क्योंकि हनुमान जी को भय मुक्ति के देवता भी कहा जाता है ।
मंगलवार की व्रत कथा-
प्राचीन काल की बात है एक नगरी में एक ब्राह्मण पति-पत्नी रहते थे उनके पास कोई भी संतान न होन की वजह से वह बहुत दुखी रहते थे। हर बार की तरह इस बार भी वह ब्राह्मण वन में पूजा करने के लिए गया और वह ब्राह्मण वन में बैठकर पूजा करने लगा तथा पूजा होने के बाद वह हनुमान जी से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने लगा और दूसरी ओर उस ब्राह्मण की पत्नी भी अपने घर पर पुत्र की प्राप्त करने के लिये हर मंगलवार का व्रत रखती थी और हर मंगलवार को व्रत के अंत में बजरंगबली को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करती थी। व्रत के एक दिन वह ब्राह्मणी किसी कारण न तो भोजन तैयार कर सकी और न ही वह हनुमान जी को भोग लगा सकी।
तभी उस दिन उस ब्राह्मणी ने प्रण लिया कि वह आने वाले अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही अन्न ग्रहण करेगी। भूखे प्यासे छः दिन के विताने के बाद ही वह मंगलवार के दिन वह ब्राह्मणी बेहोश हो गयी। और तब उसकी इस निष्ठा, त्याग एवं सच्ची लगन व भक्ति को देखकर हनुमान जी प्रसन्न हो गये। और उस ब्रह्माणी को दर्शन दिया और कहा कि वह उस ब्रह्माणी से बहुत प्रसन्न है और उसे पुत्र प्राप्ति का वर देते हैं। तथा वर स्वरूप उस ब्रह्माणी को हनुमान जी पुत्र देकर अंतर्धान हो जाते है।
ब्राह्मणी पुत्र प्राप्ति से अति प्रसन्न हो जाती है और उस पुत्र का का नाम मंगल रख देती है। कुछ समय के बाद जब ब्राह्मण अपने घर वापस आया, तो वह उस बालक को देखकर पूछाता है कि यह बालक कौन है। जब उसकी पत्नी उस ब्राह्मण को पूरी कथा बताती है। वह ब्राह्मणी की बातों को छल पूर्ण जानकर उस ब्राह्मण ने अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं किया।
एक दिन ब्राह्मण को जब मौका मिला तो ब्राह्मण ने उस बालक को कुएं में गिरा दिया और घर लौटने के बाद जब ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से पूछा कि पुत्र मंगल कहां है उसी समय पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ जाता है और ब्राह्मण उसे वापस देखकर चौंक जाता है।
उसी रात हनुमान जी ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन देकर कहा कि वह पुत्र उन्होंने ही ब्राह्मणी को दिया है तथा सच जानकर ब्राह्मण अति प्रसन्न हो जाता है और वह ब्राह्मण पति-पत्नी नियमित रूप से हर मंगलवार को व्रत रखने लगते है। अतः इस प्रकार मंगलवार को व्रत रखने वाले हर मनुष्य पर हनुमान जी की असीम कृपा बनी रहती है।
मंगलवार व्रत के फायदे-
मंगलवार का व्रत करने वाले सभी मनुष्यों को मांगलिक दोष और मंगल के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिल जाती है। जो व्यक्ति शनि की महादशा, साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या से ग्रस्त है उन सभी के लिए यह मंगलवार का व्रत बहुत ही कारगर होता है। उनकी सभी परेशानिया दूर हो जाती है। इस मंगलवार के व्रत से मनुष्य को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है। मंगलवार का व्रत करने वाले मनुष्य के घर में कभी भी किसी प्रकार की नकारात्मकता नहीं आती है। मंगलवार का व्रत करने से सभी व्यक्तियों का काम-काज व् रोजगार में भी वृद्धि होती है और इससे जुडी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती है तथा उस व्यक्ति पर हनुमान जी की असीम कृपा सदा बनी रहती है।
जीवन में किसी भी प्रकार का भय हो तो आप नियमित 11 पाठ हनुमीन चालीसा करें और देखें की भय न जाने आपसे कितनी दूर चला कि फिर आपको कभी महसूस ही नही होगा ।
यह व्रत उपवासक को राजकीय पद भी देता है। सम्मान और संतान की प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत किया जाता है । इस व्रत की कथा का श्रवण करने से भी मंगल कामनाएं पूरी होने की संभावनाएं बन रही है। इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।