जानिए ज्योतिष के अनुसार कौन सा वार अच्छा है यात्रा करने के लिए
By: Future Point | 20-Apr-2020
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हर व्यक्ति को अपने जीवनकाल में अनेक बार यात्राएं करनी पड़ती है। कभी ये यात्राएं आजीविका के चलते व्यावसायिक कारणों से करनी पड़ती हैं। तो कभी-कभी निजी कारणों, सैर-सपाटे और मूड बदलने के लिए भी यात्राएं करते हैं। यानी जीवन में किसी न किसी उद्देश्य से हर व्यक्ति को कभी न कभी यात्रा करनी पड़ती है। कभी-कभी आपने महसूस किया होगा कि कई बार आपके द्वारा की गई यात्राएं एकदम व्यर्थ व असफल हो गई। ऐसी यात्रा में कार्यसिद्ध न होकर केवल आवागमन ही शेष रहा।
कई यात्राओं से तो लाभ होने के स्थान पर हानि हो जाया करती है। ज्योतिषशास्त्र में यात्रा के संदर्भ में कुछ नियमों का वर्णन किया गया है। माना जाता है कि इन नियमों का पालन किया जाए तो यात्रा सुखद और उद्देश्य में सफलता दिलाने वाली होती है। ज्योतिषशास्त्र में वार का बहुत बड़ा महत्व है। भारतीय धर्मशास्त्र ग्रंथो में सातों वारों को विशेष महत्त्व दिया गया है और यह भी वर्णन मिलता है कि किस देव की पूजा किस वार को करनी चाहिए। और कौन सा वार किस देव के लिए विशेष है।
ज्योतिषशास्त्र के मुख्य पंचअंग ( पंचांग) का निर्माण करने में भी वार का प्रमुख स्थान है समय की गणना या सभी प्रकार के मुहूर्त, संस्कार, हवन, पूजा अनुष्ठान,यात्रा आदि समय को निर्धारण करने में वारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यात्रा समय में वार और दिशा का मानव जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव रहता है। आओ जानते हैं, ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि किस दिन यात्रा करनी चाहिए और किस दिन यात्रा करना शुभ नहीं होता है। अगर कुछ खास दिनों में यात्रा की जाए तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किस दिन, किस दिशा की यात्रा करना शुभ नहीं रहता है,
यात्रा के शुभ-अशुभ शगुन
यात्रा पर जाते समय घर से निकलते ही यदि दही, दूध, घी, फल, फूलमाला, हाथी, घोड़ा, गाय, बैल, चावल, पानी भरा घड़ा, सफेद वस्त्र पहने कुंवारी कन्या, बैंड-बाजे, घुड़सवार आदि अचानक सामने आ जाएँ, तो इन्हें शुभ लक्षण माना जाता है। इनके दर्शन मात्र से कार्य की सफलता की आशा और संभावना दोगुनी हो जाती है।
इसके ठीक विपरीत यदि घर से निकलते ही खोटे, बदसूरत, दुखदायी पदार्थ जैसे तेल बेचता हुआ व्यक्ति, लंगड़ा, काना, कपड़े धोते हुए व्यक्ति, हड्डी, बिल्ली, विधवा स्त्री, वस्त्रहीन मनुष्य, सांप, भैंस, सियार, ग्वाला, बीमार कुत्ता, रोने की आवाज, गंदे सुअर आदि सामने पड़ें, तो इसे अशुभ लक्षण माना जाता है। ऐसी स्थिति में यथासंभव यात्रा टाल देनी चाहिए। यदि यात्रा पर जाना अति आवश्यक हो, तो इष्ट देव, कुल देव, पितृ देव आदि का ध्यान कर समुचित संकल्प द्वारा शांति परिहार कर यात्रा प्रारंभ करनी चाहिए।
यात्रा के संदर्भ में वार का महत्व-
ज्योतिषशास्त्र के नियम के अनुसार सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा करने पर दिशाशूल लगता है। दिशाशूल का अर्थ है संबंधित दिशा में बाधा और कष्ट प्राप्त होना। इसलिए सोमवार एवं शनिवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा में दिशाशूल लगता है। मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा अनुकूल नहीं होती है तथा गुरूवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा कष्टकारी होती है।
दक्षिण की दिशा में यात्रा के लिए सोमवार को उत्तम माना जाता है। मंगलवार पूर्व व दक्षिण दोनों ही दिशाओं में यात्रा के लिए शुभ होता है। बुधवार के दिन पूर्व एवं पश्चिम दिशा की यात्रा अनुकूल रहती है। गुरूवार को दक्षिण दिशा को छोड़कर अन्य सभी दिशाओं में यात्रा सुखद रहती है। शुक्रवार के दिन शाम के समय शुरू की गयी यात्रा सुखद और शुभ फलदाय होती है।
शनिवार के विषय में कहा गया है कि शनिवार को अपने घर की यात्रा को छोड़कर अन्य किसी भी स्थान की यात्रा लाभप्रद नहीं होती है। शनिवार के दिन यात्रा करना अशुभ माना गया है। रविवार के दिन पूर्व दिशा में की गयी यात्रा उत्तम रहती है।
रविवार- रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा करना शुभ नहीं माना जाता है।
सोमवार- सोमवार को पूर्व दिशा की यात्रा पर नहीं जाना चाहिए|
मंगलवार- मंगलवार के दिन उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, ज्योतिषशास्त्र में मंगलवार के दिन यात्रा करना शुभ नहीं माना जाता है।
बुधवार- बुधवार के दिन भी उत्तर दिशा में यात्रा करना शुभ नहीं माना जाता है। इस दिन यात्रा करने से जातक को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
गुरुवार- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विशेष कर गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा करना शुभ नहीं माना जाता है ।
शुक्रवार- शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
शनिवार- शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए।
यदि आपको किसी विशेष कार्य के लिए यात्रा पर जाना ही पड़ रहा है और कार्य में असफलता से बचना है तो आप उस दिन किस समय घर से निकलें। जो आपके लिए शुभकारी हो और आपको शुभफल प्रदान करे।
यात्रा दोष दूर करने के उपाय-
कई बार न चाहते हुए भी उस दिशा में यात्रा करनी पड़ती है जिस दिशा में दिशाशूल होता है। उपर्युक्त बताए गए दिनों में अगर यात्रा अत्यंत आवश्यक हो तो दिशा दोष की शांति के लिए शास्त्रों में कुछ तरीके बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार यात्रा पर निकलने से पहले कुछ विशेष वस्तुओं का सेवन, दान या दर्शन करने से दोष की समाप्ति हो जाती है और यात्रा मनोनुकूल फलदायी होती है।
रविवार- दही-शकर या पान-इलायची खाकर यात्रा के लिए निकलें।
सोमवार- सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित होता है, इस दिन दर्पण देखकर और खीर खाकर यात्रा हेतु प्रस्थान करें।
मंगलवार- मंगलवार का दिन संकटमोचन हुनमान जी को समर्पित होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन की गई यात्रा कभी सफल नहीं होती। यदि बहुत जरुरी हो तो इस दिन गुड़ खाकर यात्रा करें।
बुधवार- बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा कर दूध पीकर यात्रा प्रारंभ करें।
गुरुवार- दही व जीरा खाकर यात्रा पर जाएं।
शुक्रवार- मीठा दूध या लस्सी पीकर यात्रा करें।
शनिवार- उड़द दाल की खिचड़ी या इमरती खाकर यात्रा हेतु प्रस्थान करें।
यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान का स्मरण कर 'श्रीकृष्णं शरणम् मम:' बोलकर अपनी यात्रा प्रारंभ करें। ऐसा करने से निश्चित ही सुख, संपत्ति और सफलता घर में आती है। यात्रा में जाने से पूर्व इन नियमों का पालन प्रातः घर से निकलने से पहले किया जाता है। यह हर तरह से शुभ फलदायी होता है।
विशेष ध्यान देने योग्य बात-
यदि एक जगह से रवाना हो कर उसी दिन गंतव्य स्थान पर पहुंचं जाना तय हो तो ऐसी यात्रा में तिथि, वार नक्षत्र,दिशा-शूल,प्रतिशुक,योगनी आदि का विचार नहीं होता है|