जानिए गणेश चतुर्थी की पूजा और मुहूर्त का समय | Future Point

जानिए गणेश चतुर्थी की पूजा और मुहूर्त का समय

By: Future Point | 11-Sep-2018
Views : 10703जानिए गणेश चतुर्थी की पूजा और मुहूर्त का समय

हिंदू शास्‍त्र में भगवान गणेश जी को सबसे शुभ देवता माना गया है। किसी भी शुभ कार्य से पूर्व भगवान गणेश जी का नाम लेना मंगलकारी माना जाता है। भारत के हर राज्‍य में अलग-अलग त्‍योहार मनाए जाते हैं जिनकी मान्‍यता सदियों पुरानी है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का अधिक महत्‍व है तो वहीं महाराष्‍ट्र में गणुश चतुर्थी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी के पर्व को भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

दस दिन तक मनाते हैं पर्व

गणेश चतुर्थी का उत्‍सव 10 दिन तक मनाया जाता है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है। भाद्रपद मास की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश की मूर्ति को घर लाया जाता है और इस दिन तक इनकी पूजा-आरती की जाती है, इसके दस दिन बाद बड़ी धूमधाम से गणेश विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु बड़ी धूमधाम से भगवान गणेश की मूर्ति का जुलूस निकालते हुए उन्‍हें किसी सरोवर, नदी या जलाशय में विसर्जित कर देते हैं।

गणेश चतुर्थी 2018

इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर, 2018 को बृहस्‍पतिवार के दिन है। 13 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का धूमधाम से विसर्जन किया जाएगा। वैसे तो हर माह में चतुर्थी आती है लेकिन भाद्रपद माह में आने वाली अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे भगवान गणेश का जन्‍मोत्‍सव कहा गया है।

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

मध्‍याह्न गणेश पूजा का समय : 11.03 से 13.30 तक

अवधि : 2 घंटे 27 मिनट

12वीं को, चंद्रमा नहीं देखने का समय : 16.07 से 20.33 तक

अवधि : 4 घंटे 26 मिनट

13वें चंद्रमा को नहीं देखने का समय : 9.31 से 21.12 तक

अवधि : 1 घंटा 40 मिनट

चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 12 सितंबर, 2018 को 16.07 बजे से

चतुर्थी तिथि समाप्‍त : 13 सितंबर, 2018 को 14.51 बजे पर

गणेश पूजा कब करनी चाहिए

शास्‍त्रों के अनसुार माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्‍म मध्‍याह्न में हुआ था और इस वजह से उनका पूजन मध्‍याह्न के समय उपयुक्‍त माना जाता है। हिदूं दिन के विभाजन के अनुसार मध्‍याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर का होता है।

हिंदू समय की गणना के आधार पर सूर्योदय और सूर्यास्‍त के बीच के समय को पांच बराबर हिस्‍सों में बांटा गया है। इन पांच हिस्‍सों में सुबह, सड्गव, मध्‍याह्न, अपराह्न और सायं काल आता है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी की मूर्ति की स्‍थापना और गणेश पूजा दोपहर के समय ही की जानी चाहिए। वैदिक ज्‍योतिष में गणेश पूजन के लिए मध्‍याह्न का समय सबसे उपयुक्‍त माना गया है।

मध्‍याह्न मुहूर्त में श्रद्धालु विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।

डंडा चौथ भी कहते हैं

गणेश भगवान की दो पत्नियां हैं ऋद्धि और सिद्धि और इसीलिए भगवान गणेश की उपासना से व्‍यक्‍ति को अपने जीवन में ऋद्धि-सिद्धि एवं बुद्धि की प्राप्‍ति होती है। गुरु शिष्‍य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्‍ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्‍चे डंडे बजाकर खेलते भी हैं। शायद इसी वजह से इस गणेश चतुर्थी को डंडा चौथ भी कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी की पूजन विधि

गणेश चतुर्थी के अवसर पर प्रात:काल जल्‍दी उठें और स्‍नान आदि से निवृत्त होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाने का विधान है। सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से आप गणेश जी की मूर्ति बना सकते हैं। वैसे अब लोग बाहर से बनी हुई मूर्तियों की पूजा ज्‍यादा करते हैं। आप चाहें तो ऐसा कर सकते हैं।

अब एक कोरा कलश लें और उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांध दें। इसके पश्‍चात् इस पर गणेश जी की प्रतिमा की स्‍थापना करें और प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर सका पूजन करें।

भगवान गणेश को दक्षिणा अर्पित कर उन्‍हें 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। भगवान गणेश की मूर्ति के पास पांच लड्डू रखकर बाकी ब्राह्मणों में बांट दें। गणेश आरती करें। पूजन के बाद रात्रि को दृष्टि नीचे रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्‍य दें। शास्‍त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा दें और इसके बाद स्‍वयं भी भोजन ग्रहण करें।

इस प्रकार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजन के पश्‍चात् बड़ी धूमधाम और जोर-शोर से गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करने के लिए ले जाया जाता है।

भगवान गणेश मंगलकारी और शुभता के देवता माने गए हैं। अगर आपकी भी कोई मनोकामना अधूरी रह गई है तो आप भी इस 13 सितंबर को भगवान गणेश जी से अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना कर सकते हैं। आपको बता दें कि गणेश जी को लड्डू बहुत प्रिय हैं इसलिए उनके पूजन में लड्डू का ही भोग लगाएं। इससे वे जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाएंगें और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगें।