घटस्थापना से घरों में विराजेंगी माँ दुर्गा, जानें शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
By: Future Point | 13-Sep-2022
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नवरात्रि हिंदु धर्म का एक विशेष पर्व है। यह संस्कृत से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देशभर में यह त्यौहार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं, लेकिन एक चीज़ जो हर जगह सामान्य होती है वो है माँ दुर्गा की पूजा।
प्रत्येक व्यक्ति नवरात्री के समय में माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पूर्ण श्रद्धा से पूजा-अर्चना करता है। अपने दुखों से मुक्ति की प्रार्थना करता है। नवरात्री का यह पर्व अत्यंत शुभ और शक्ति से भरपूर होता है। मां जगदम्बा के भक्तों के लिए ये नवरात्री पर्व विशेष होता है। आश्विन शारदीय नवरात्रि में 9 दिन तक पूरे देश में माँ के जगराते और जयकारे गूंजते हैं। भगतजन पूर्ण श्रद्धा से माँ दुर्गा के सिद्ध पीठों की यात्रा करते हैं।
नवरात्रि में आदि शक्ति माँ जगदम्बा के भक्त उनके नव रूपों की बड़े ही विधि-विधान के साथ उनका पूजन और वंदन करते हैं। नवरात्री के उपलक्ष पर घरों में भक्तजन पूर्ण श्रद्धा के साथ कलश स्थापना कर माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करके दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करते हैं। नवरात्रि के समय देशभर के कई शक्ति पीठों में मेले लगते हैं। मंदिरों में जागरण तथा मां जगदम्बा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां भी निकाली जाती हैं।
अश्वनी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है। फ्यूचर पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से होगी। जिसका समापन 5 अक्टूबर को होगा। यह 9 दिन तक चलते हैं। इस 9 दिन के पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और दशमी दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा के नौ रूपों का व्रत विधि विधान से रखने वाले भक्तों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है। इस दिन लोग विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि के शुभ मुहूर्त के बारे में।
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नवरात्रि के पहले दिन क्यों किया जाता है कलश स्थापना -
पुराणों के अनुसार कलश को भगवान विष्णु का रुप माना गया है, और कलश में सभी देवताओं का निवास होता है, इसलिए लोग माँ दुर्गा की पूजा से पहले कलश स्थापित कर उसकी पूजा करते हैं।
कैसे करें घटस्थापना -
नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त, सही समय और सही तरीके से ही घटस्थापना करनी चाहिए। पूजा स्थल पर मिट्टी की वेदी बनाकर या मिट्टी के बड़े पात्र में जौ या गेहूं बोएं। अब एक और कलश या मिट्टी का पात्र लें और उसकी गर्दन पर मौली बाँधकर उसपर तिलक लगाएँ और उसमें जल भर दें। कलश में अक्षत, सुपारी, सिक्का आदि डालें। अब एक नारियल लें और उसे लाल कपड़े या लाल चुन्नी में लपेट लें। नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र में बांध लें। इन चीज़ों की तैयारी के बाद ज़मीन को साफ़ कर के पहले जौ वाला पात्र रखें, उसके बाद पानी से भरा कलश रखें, फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें। अब आपकी कलश स्थापना की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कलश पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर दुर्गा जी और शालीग्राम को विराजित कर उनकी पूजा करें। इस कलश को 9 दिनों तक मंदिर में ही रखें। आवश्यकतानुसार सुबह-शाम कलश में पानी डालते रहें।
शारदीय नवरात्रि प्रारंभ तिथि और घट स्थापना -
फ्यूचर पंचांग के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर 2022 से प्रारंभ होकर पांच अक्टूबर तक चलेगी। इसी दिन कलश स्थापना होगी। जिसे घटस्थापना भी कहते हैं। घटस्थापना शुभ मुहूर्त 26 सितंबर 2022, सुबह 6 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
शारदीय नवरात्रि तिथि व पूजा -
26 सितंबर 2022, प्रथम दिवस - घटस्थापना तथा मां शैलपुत्री की पूजा
27 सितंबर 2022, द्वितीय दिवस- मां ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा-अर्चना
28 सितंबर 2022, तृतीय दिन- मां चंद्रघंटा देवी की पूजा-अर्चना
29 सितंबर 2022 चतुर्थ दिन - मां कुष्मांडा देवी की पूजा
30 सितंबर 2022 5वां दिन - पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
1 अक्टूबर 2022 छठा दिन - षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा
02 अक्टूबर 2022, 7वां दिन - मां कालरात्रि देवी की पूजा-अर्चना
03 अक्टूबर 2022, 8वां दिन - दुर्गा अष्टमी, महागौरी देवी की पूजा-अर्चना
4 अक्टूबर 2022, 9वां दिन - महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण
5 अक्टूबर 2022 दसवां दिन - दशमी, दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)
नवरात्रि पूजा सामग्री -
एक चौकी, लाल कपड़ा, ताम्बे का कलश, कुमकुम, पान के पत्ते, पांच सुपारी, लौंग, कपूर, जौ, जटा वाला नारियल, जयफल, कलावा, मिश्री, बताशे, आम के पत्ते, लाल झंडा, घी, केले, दीपक, धूप, अगरबत्ती, ज्योत, माचिस, एक बड़ी चुनरी, एक छोटी चुनरी, माँ दुर्गा का श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा, फूल, फूलों के हार, गंगाजल, मिठाई, सूखे मेवे, दुर्गा सप्तशती और दुर्गा स्तुति आदि।
नवरात्रि में क्यों बोया जाता है जौ -
नवरात्रि में जौ को बोने के पीछे का प्रमुख कारण है कि जौ यानि अन्न को ब्रह्म का स्वरुप माना गया है, अन्न ही हमे जीवन देता है और हमें अन्न का सम्मान करना चाहिए। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार धरती पर सबसे पहली फसल जौ की ही उगाई गई थी।
नवरात्रि में क्यों किया जाता है कन्या पूजन -
नौ साल से छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है। वे कन्यायें ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं, इसीलिए नवरात्रि में इनकी विशेष पूजा करने का विधान है।
कन्या पूजन में क्यों भैरव के रूप में रखते हैं बालक -
भगवान शिव ने माँ दुर्गा की सेवा के लिए हर शक्तिपीठ के साथ एक-एक भैरव को रखा हुआ है, इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी ज़रूरी होती है। तभी कन्या पूजन में भैरव के रूप में एक बालक को भी रखते हैं।
बुक नवरात्रि में हवन और कन्या पूजन