जन्मकुंडली के अनुसार कैसा होगा आपका लाइफ पार्टनर | Future Point

जन्मकुंडली के अनुसार कैसा होगा आपका लाइफ पार्टनर

By: Future Point | 31-Aug-2021
Views : 11017जन्मकुंडली के अनुसार कैसा होगा आपका लाइफ पार्टनर

Life Partner: प्रत्येक व्यक्ति अपना दाम्पत्य जीवन सुख से जीना चाहता है। हमारे यहाँ कहावत है कि जोड़े स्वर्ग से तय होकर आते हैं और उनका मिलन पृथ्वी पर निर्धारित समय में विवाह-संस्कार से होता है अर्थात सब कुछ विधि के विधान के अनुसार तय होने के बावजूद जब बेटी की उम्र 20-22 के पार हो जाती है तो मां-बाप की चिंताएं बढ़ने लगती है। दिन-रात उन्हें यही सवाल सताने लगता है कि हमारी लाडली के हाथ पीले कब होंगे?

हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी शादीशुदा जिदंगी खूबसूरत हो। लेकिन कई बार पार्टनर से स्वभाव विपरीत होने या विचारों के न मिलने से अक्सर कपल्स के बीच झगड़े होने लगते हैं।

जिसकी वजह से रिश्ता ज्यादा लंबा नहीं चलता है।  पुरुष की Kundli का सप्तम भाव और शुक्र उसकी पत्नी से सम्बन्ध रखते हैं। और वहीँ स्त्री की कुंडली में बृहस्पति और सप्तम भाव से उसके पति का विचार किया जाता है।

इन्ही गृह स्थितियों के आधार पर हम पति-पत्नी के रंग-रूप, स्वभाव और करियर आदि के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं।

वैदिक ज्योतिष में लग्न कुंडली का प्रथम भाव जातक का स्वयं का होता है, और इसके ठीक सामने वाला सातवां भाव जीवनसाथी का होता है। इस भाव से मुख्य रूप से विवाह का विचार किया जाता है।

इसके अलावा यह भी पता कर सकते हैं कि जीवनसाथी का स्वभाव कैसा होगा? उसका चरित्र कैसा होगा, ससुराल कैसा मिलेगा और वर-वधू में आपसी मित्रता कैसी रहेगी।


किसी लड़के या लड़की की जन्मकुंडली से उसके होने वाले पति/पत्नी एवं ससुराल के विषय में सब कुछ स्पष्टत: पता चल सकता है। Janam Kundli में लग्न से सप्तम भाव उसके पति/पत्नी, दाम्पत्य जीवन तथा वैवाहिक संबंधों का भाव है।

इस भाव से उसके होने वाले पति/पत्नी का कद, रंग, रूप, चरित्र, स्वभाव, आर्थिक स्थिति, व्यवसाय या कार्यक्षेत्र परिवार से संबंध आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यहां सप्तम भाव के आधार पर वर/कन्या के विवाह से संबंधित विभिन्न तथ्यों का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

शादी की आयु :-

यदि लडके या लड़की की जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव में सप्तमेश बुध हो और वह पाप ग्रह से प्रभावित न हो तो शादी 20 से 22 वर्ष की आयु सीमा में होती है।

सप्तम भाव में सप्तमेश मंगल पापी ग्रह से प्रभावित हो तो शादी लगभग 22 वर्ष के अंदर होगी। शुक्र ग्रह युवा अवस्था का द्योतक है। यदि सप्तमेश शुक्र पापी ग्रह से प्रभावित हो तो 23 वर्ष की आयु में विवाह होता है।

चंद्रमा सप्तमेश होकर पापी ग्रह से प्रभावित हो, तो विवाह 25 वर्ष की आयु में होगा। बृहस्पति सप्तम भाव में सप्तमेश होकर पापी ग्रहों से प्रभावित न हो तो शादी 27-28वें वर्ष में होगी।

सप्तम भाव को सभी ग्रह पूर्ण दृष्टि से देखते हैं तथा सप्तम भाव में शुभ ग्रह से युक्त होकर चर राशि हो तो जातक का विवाह उचित आयु में सम्पन्न हो जाता है।

यदि किसी लड़के या लड़की की जन्म कुंडली में बुध स्व राशि मिथुन या कन्या का होकर सप्तम भाव में बैठा हो तो विवाह बाल्यावस्था में होगा।

अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में

ससुराल की दूरी :-

यदि सप्तम भाव में चंद्र, शुक्र तथा गुरु हों तो लडके/लड़की की शादी जन्म स्थान के समीप होती है।

सप्तम भाव में अगर वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ राशि स्थित हो, तो लडके/लड़की की शादी उसके जन्म स्थान से 90 किलोमीटर के अंदर ही होगी।

अगर सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि मिथुन, कन्या, धनु या मीन राशि स्थित हो तो विवाह जन्म स्थान से 80 से 100 किलोमीटर की दूरी पर होगा।

यदि सप्तम भाव में चर राशि मेष, कर्क, तुला या मकर हो तो विवाह उसके जन्म स्थान से 200 किलोमीटर के अंदर होता है।

यदि सप्तमेश सप्तम भाव से द्वादश भाव के मध्य हो तो विवाह विदेश में होगा या लड़का शादी करके लड़की को अपने साथ लेकर विदेश चला जाएगा।

विवाह की दिशा-

यदि लडके या लड़की के जन्मांक में सप्तम भाव में स्थित राशि के आधार पर शादी की दिशा ज्ञात की जाती है।

उक्त भाव में मेष, सिंह या धनु राशि एवं सूर्य और शुक्र ग्रह होने पर पूर्व दिशा वृष, कन्या या मकर राशि और चंद्र, शनि ग्रह होने पर दक्षिण दिशा, मिथुन, तुला या कुंभ राशि और मंगल, राहु, केतु ग्रह होने पर पश्चिम दिशा, कर्क, वृश्चिक, मीन या राशि और बुध और गुरु होने पर उत्तर दिशा की ओर शादी होगी।

अगर जन्म लग्न कुंडली में सप्तम भाव में कोई ग्रह न हो और उस भाव पर अन्य ग्रह की दृष्टि न हो, तो सप्तमेश कुंडली की जिस दिशा में स्थित होगा तो उसी ग्रह स्थिति के आधार पर ग्रह की दिशा समझें।

आपकी कुंडली के अनुसार कौन सी पूजा आपके लिए लाभकारी है जानने के लिए प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यो से परामर्श करें 

पति का व्यक्तित्व और स्वभाव -

ज्योतिष के अनुसार सप्तमेश अगर शुभ ग्रह (चंद्रमा, बुध, गुरु या शुक्र) हो या सप्तम भाव में स्थित हो या सप्तम भाव को देख रहा हो, तो लड़की का पति सम आयु या दो-चार वर्ष के अंतर का, गौरांग और सुंदर होता है।

अगर सप्तम भाव पर या सप्तम भाव में पापी ग्रह सूर्य, मंगल, शनि, राहु या केतु का प्रभाव हो तो बड़ी आयु वाला अर्थात लड़की की उम्र से 5 वर्ष बड़ी आयु का होगा।

सूर्य का प्रभाव हो तो गौरांग, आकर्षक चेहरे वाला, मंगल का प्रभाव हो तो लाल चेहरे वाला होगा। शनि अगर अपनी राशि का उच्च न हो तो वर काला या कुरूप तथा लड़की की उम्र से काफी बड़ी आयु वाला होगा। अगर शनि उच्च राशि का हो तो पतले शरीर वाला गोरा तथा उम्र में लड़की से 12 वर्ष बड़ा होगा।

सप्तमेश अगर सूर्य हो तो पति गोल मुख तथा तेज ललाट वाला, आकर्षक, गोरा, सुंदर, यशस्वी एवं राज कर्मचारी होता है। चंद्रमा अगर सप्तमेश हो, तो पति शांत चित्त वाला गौर वर्ण का, मध्यम कद तथा सुडौल शरीर वाला होगा। मंगल सप्तमेश हो, तो पति का शरीर बलवान होगा। वह क्रोधी स्वभाव वाला, नियम का पालन करने वाला, सत्यवादी, छोटे कद वाला, शूरवीर, विद्वान तथा भ्रातृ प्रेमी होगा तथा सेना, पुलिस या सरकारी सेवा में कार्यरत होगा।

लाल किताब रिपोर्ट में जानें जन्म कुंडली में स्थित विभिन्न ग्रहों के प्रभाव 

पत्नी का स्वभाव -

यदि पुरुष की कुंडली में मंगल या सूर्य की प्रधानता हो तो पत्नी साधारण स्वभाव की मिलती है। अगर पुरुष की राशि वृषभ, मिथुन, कन्या, मकर, तुला और कुंभ हो तो पत्नी साधारण स्वभाव की मिलती है।

वहीं शनि या चंद्रमा प्रधान पुरुषों की पत्नियां आम तौर पर गृहस्थ होती हैं। कर्क, वृश्चिक, मीन, मिथुन, तुला और कुंभ राशि के जातकों की भी पत्नियां गृहस्थ होती हैं।

बृहस्पति, बुध और मंगल प्रधान व्यक्ति को आम तौर पर कामकाजी पत्नी मिलती है। पुरुष की कुंडली में शुक्र और चंद्रमा अगर बेहतर हों तो पत्नी शांत स्वभाव की होती है। आम तौर पर वृषभ,कन्या,मकर राशि वाले जातकों की भी पत्नियां शांत स्वभाव की होती हैं।

यदि कुंडली में शुक्र या चंद्रमा में से कोई भी एक पापक्रांत हो अथवा जिन जातकों की मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि हो उनकी पत्नियां सुनाने वाली होती हैं, अर्थात क्रोधी स्वभाव की होती हैं।  

पति या पत्नी उग्र स्वभाव के हों तो करें ये उपाय-

  • अपनी आदतों में सुधार लाएं, उन आदतों को छोड़ने का प्रयास करें, जिनसे दोनों के बीच क्लेश होता है।
  • नित्य प्रातः भगवान सूर्य को जल अर्पित करें, साथ ही गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं, और सुख समृद्धि के लिए नित्य अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
  • काले रंग से पति और पत्नी को परहेज करना चाहिए।
  • शयन कक्ष में हलकी सुगंध का प्रयोग करते रहें।
  • दोनों को ही शुक्रवार के दिन स्फटिक की माला गले में धारण करनी चाहिए।

जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !