जाने क्या लड़की का मांगलिक होना लड़के के लिए सच में खतरनाक है?
By: Future Point | 27-Mar-2019
Views : 11658
मांगलिक योग हमारे जीवन में भयावह रूप में सामने आता है। आज भी जब कुंडली मिलान किया जाता है तो सबसे पहले इसकी जांच की जाती है कि व्यक्ति मांगलिक है या नहीं! यदि जातक की कुंडली में मंगल दोष हो तो उसकी शादी में बहुत समस्याएं आती हैं। ख़ासकर तब, जब वह लड़की हो। हमारे समाज में ऐसी धारणा बना दी गई है कि मांगलिक व्यक्ति दूसरों के लिए हानिकारक होता है। अगर लड़की मांगलिक है तो लोगों को लगता है कि वह मनहूस है। उसकी शादी जिस लड़के से होगी उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा! कुछ लोग यह भी मानते हैं कि ऐसा होने पर व्यक्ति की जान तक चली जाती है!
लेकिन ज्योतिष के अनुसार मांगलिक होना हमेशा अशुभ नहीं होता! मांगलिक लोगों में कुछ अच्छे गुण भी होते हैं। दरअसल, मांगलिक व्यक्ति बहुत अधिक महत्वाकांक्षी होते हैं। उनकी अपने जीवनसाथी से जो अपेक्षाएं होती हैं उन्हें अन्य जातक पूरी नहीं कर पाते इसलिए मांगलिक की शादी मांगलिक से करना ही ठीक समझा जाता है। लेकिन ज्योतिष में कई ऐसे उपाय हैं जिनसे मांगलिक का गैर-मांगलिक से विवाह संभव है।
कौन होते हैं मांगलिक?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव या स्थान में बैठा हो तो वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। कुछ ज्योतिषी मंगल के द्वितीय भाव में होने पर भी उस कुंडली को मांगलिक कुंडली मानते हैं। मांगलिक कुंडली को आमतौर पर अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे जातक और उसके निकट संबंधियों पर अनेक समस्याएं आती हैं। विवाह से पूर्व कुंडली मिलान कराते समय मंगल दोष की विशेष तौर पर जांच की जाती है। ऐसा न करने पर शादी के बाद परिवार में कलह, तनाव और अशांति की स्थिति बनती है।
मांगलिक लोगों की ख़ासियत
समाज में मांगलिक व्यक्ति को लेकर बेहद ग़लत धारणाएं हैं। मांगलिक व्यक्ति को आमतौर पर अच्छा नहीं माना जाता। ऐसी मान्यता है कि उनमें बहुत से ऐब होते हैं। लेकिन ऐब तो हर किसी में होते हैं। हर व्यक्ति में अच्छे और ख़राब, दोनों तरह के गुण होते हैं। मांगलिक व्यक्ति में भी दोनों तरह के गुण पाए जाते हैं। उनकी ख़ासियत है कि उनमें बहुत अधिक जोश, उत्साह और ऊर्जा होती है। यदि उनकी उर्जा को सही जगह पर लगाया जाए तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।
मांगलिक व्यक्ति में जन्म से ही नेतृत्व की अच्छी क्षमता होती है। वे अपने जीवन में बहुत अधिक तरक्की करते हैं। ये लोग डॉक्टर, इंजीनियर, अभिभावक, राजनीतिज्ञ, व्यवसायी आदि हो सकते हैं। इन्हें अपने जीवन में उच्च पद प्राप्त होता है। ये किसी से बहुत अधिक घुलते-मिलते नहीं हैं लेकिन एक बार किसी से घुल जाएं तो फ़िर उस संबंध को पूरी ईमानदारी से निभाते हैं। अधिक महत्वाकांक्षी होने के कारण उनमें क्रोध भी बहुत अधिक होता है। लेकिन साथ ही वे दयालु और मानवतावादी भी होते हैं। वे ग़लत के आगे कभी झुकते नहीं हैं और ना ही किसी के साथ ग़लत करते हैं।
क्या मांगलिक की शादी गैर-मांगलिक से हो सकती है?
मांगलिक और गैर-मांगलिक व्यक्ति को लेकर समाज में कई सारी भ्रांतियां फैली हैं। इस कारण मांगलिक बेटे या बेटी की शादी माता-पिता के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। लेकिन कुंडली में मांगलिक दोष हमेशा घातक नहीं होता। कई ऐसे ज्योतिषीय उपाय हैं जिनसे मांगलिक दोष दूर किया जा सकता है। वर-वधू की कुंडली में राहु, केतु और शनि की स्थिति को देखकर भी बताया जा सकता है कि मांगलिक का गैर-मांगलिक से विवाह हो सकता है या नहीं! इसके अलावा यदि मांगलिक लड़की का विवाह गैर-मांगलिक लड़के से करना हो तो शास्त्रों में ‘घट-विवाह’ का प्रावधान भी है।
29 की उम्र में करें विवाह, नहीं लगेगा मंगल दोष
कई ज्योतिषी मानते हैं कि मांगलिक व्यक्ति अगर 28 वर्ष के पश्चात् 29 या उससे अधिक उम्र में विवाह करे तो वैवाहिक जीवन में मंगल का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन फ़िर भी अगर मंगल से भयभीत हों तो ज्योतिषविद्या में मंगल दोष दूर करने के लिए कई उपाय मौजूद हैं। कुंडली में ग्रहों की कुछ स्थितियों के कारण मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
ऐसा होने पर वैवाहिक जीवन पर नहीं पड़ता मंगल का दुष्प्रभाव
वर-वधू की कुंडली में ग्रहों की निम्न स्थितियां होने पर मंगल का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता:
- यदि शुभ ग्रह केंद्र में हों, शुक्र द्वितीय भाव में हों, गुरु-मंगल साथ हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो वैवाहिक जीवन में मंगल दोष नहीं लगता।
- वर-वधू की कुंडली में से किसी एक में मांगलिक स्थान पर मंगल स्थित हो और दूसरे की कुंडली के उसी स्थान पर सूर्य, शनि, राहु और केतु स्थित हों तो मंगल दोष कट जाता है।
- यदि मंगल स्वराशि (मेष और वृश्चिक), मूलत्रिकोण, उच्च राशि (मकर), मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में हो तो मंगल दोष प्रभावहीन या कम हो जाता है।
- मेष का मंगल लग्न में, वृश्चिक का चतुर्थ भाव में, वृष का सप्तम में, कुंभ का अष्टम में और धनु का द्वादश भाव में हो तो भौम दोष नहीं रहता।
- कन्या की कुंडली में मंगल यदि केंद्र में हो तो मंगल का दुष्प्रभाव नहीं रहता। बल्कि कन्या के वैवाहिक जीवन में सुख-सौभाग्य के योग बनते हैं।
- यदि वर या वधू में से किसी एक की कुंडली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुंडली के तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में से किसी भी भाव में मंगल, शनि या राहु में से कोई भी ग्रह बैठा हो तो मांगलिक दोष नष्ट हो जाता है।
- यदि पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मंगल किसी भी चर राशि (मेष, कर्क, तुला व मकर) में स्थित हो तो मंगल का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
- वर की कुंडली के जिस भाव में मंगल स्थित होकर मांगलिक दोष बना रहा हो उसी भाव में सूर्य, शनि या राहु स्थित हों तो मंगल दोष नष्ट हो जाता है।
- यदि मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो भी मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
मंगल दोष दूर करने के लिए आप निम्न ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं:
- नियमित तौर पर हनुमान जी की उपासना करें। इससे हनुमान जी की कृपा आप पर बनी रहेगी और आप मंगल के दुष्प्रभाव से बचे रहेंगे।
- प्रत्येक मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाएं। इसके अलावा शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल फूल भी अर्पित करें।
- लाल वस्त्र में मसूर की दाल, लाल चंदन और मिष्ठान लपेट कर नदी में प्रवाहित करें।
- इन उपायों के अलावा आप किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह से मंगल ग्रह शांति पूजा (Mangal Graha Shanti Puja) भी करवा सकते हैं।
मंगल दोष या मांगलिक व्यक्ति से आपको भयभीत होने की ज़रूरत नहीं है। ज्योतिष में हर समस्या का समाधान मौजूद है। इस समस्या का भी है। यदि आप उनका नियम पूर्वक पालन करते हैं तो किसी भी समस्या से निजात पा सकते हैं।