जनवरी में इस तारीख से शुरू हो रहे हैं गुप्त नवरात्रि, तंत्र साधना के लिए है बहुत शुभ योग
By: Future Point | 13-Jan-2023
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माघ महीने में आने वाले नवरात्रि के पर्व को लेकर कई गुप्त रहस्य छिपे हुए हैं। इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार साल में चार नवरात्रि आती हैं और माघ में गुप्त नवरात्रि होती है। वर्ष 2023 में 22 जनवरी से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ के महीने में गुप्त नवरात्रि होती है।
गुप्त नवरात्रि 2023
- 22 जनवरी को रविवार के दिन घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा होगी।
- 23 जनवरी को सोमवार के दिन द्वितीय नवरात्रि है जिस पर ब्रह्मचारिणी पूजा है।
- 24 जनवरी को मंगलवार के दिन तृतीया नवरात्रि है जिस दिन चंद्रघंटा पूजा होती है।
- 25 जनवरी को बुधवार के दिन चतुर्थी नवरात्रि है और इस दिन मां कुष्मांडा पूजा होती है।
- 26 जनवरी को बृहस्पतिवार के दिन पंचमी नवरात्रि है और इस दिन मां स्कंदमाता पूजा होती है।
- 27 जनवरी को शुक्रवार के दिन षष्ठी नवरात्रि है और मां कात्यायनी पूजा है।
- 28 जनवरी को शनिवार के दिन सप्तमी नवरात्रि है और मां कालरात्रि पूजा है।
- 29 जनवरी को रविवार के दिन अष्टमी नवरात्रि है और दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा है। इस दिन संधि पूजा सुबह 08:41 से शुरू होकर 09:29 पर समाप्त होती है।
- 30 जनवरी को सोमवार के दिन नवमी है और इस दिन सिद्धिदात्री पूजा होती है।
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गुप्त नवरात्रि का धार्मिक महत्व
माघ मास में भक्त गुप्त नवरात्रि मनाते हैं। यह पूरे हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुप्त नवरात्रि आपकी सभी छुपी हुई इच्छाओं को पूरा कर सकती है। कई संत और भक्त गुप्त नवरात्रि को गुप्त साधना करते हैं। देवी दुर्गा शक्ति का स्रोत हैं। वह इस ब्रह्मांड में सभी जीवित और निर्जीव चीजों के केंद्र में हैं। गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की नौ दिनों तक पूजा की जाती है। भक्त दुर्गा-सप्तशती के मंत्रों का जाप करते हैं। ये सभी मंत्र शक्तिशाली हैं और भक्तों को वह सब कुछ प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं जो वे चाहते हैं। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक साधना में लिप्त लोग हमेशा नितांत एकांत में पूजा-पाठ करते हैं।
गुप्त नवरात्रि अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है। इसमें चैत्र नवरात्रि की तरह मेला नहीं लगता है। माघ में आने वाली गुप्त नवरात्रि के बाद सीधा होली का फाल्गुन का महीना पड़ता है। गुप्त नवरात्रि की पूर्व संध्या पर सभी लोग अपने-अपने घरों में एकत्रित होते हैं। जो लोग हिंदू धर्म के हैं वे नए कपड़े पहनते हैं। वे अपने दोस्तों, परिवारों को मिठाई और भोग खिलाते हैं। जो भक्त कवच, कील या औरगला के मंत्रों का जाप करते हैं, उन्हें काल से सुरक्षा प्राप्त होती है। माता रानी की आराधना से ये अपने जीवन में कभी भी बीमार, कमजोर और असफल नहीं होते हैं।
गुप्त नवरात्रि 2023 की पूजन विधि
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हैं। पूजा-व्रत में शामिल होने से पहले स्नान करने और साफ कपड़े पहनने की प्रथा है। पूजन सामग्री लें और देवी दुर्गा की पूजा के लिए किसी पंडित को बुलाएं। कई लोग व्रत रखते हैं जो पहली पूजा से शुरू होता है, इन्हें शैलपुत्री कहते हैं। मां दुर्गा के अंतिम दिन तक पूजा चलती है और आखिरी नवरात्रि पर मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इन नौ दिनों तक भक्त उपवास रखते हैं और दूध या फल खा सकते हैं। दुर्गा चालीसा का पाठ सुबह और शाम के समय करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होती है। कई भक्त गुप्त नवरात्रि के शुभ अवसर पर माता का जगराता या भजन भी करते हैं।
गुप्त नवरात्रि में तंत्र मन्त्र साधना में विश्वास करने वाले व्रत रखते हैं और सामान्य नवरात्रि की तरह ही अपनी गुप्त तांत्रिक क्रियाएो भी करते हैं।
- अखंड ज्योति 9 दिनों तक जलाई जाती है।
- कलश स्थापना की जाती है।
- देवी दुर्गा के सामने दुर्गा सप्तशती का पाठ और मारखंडदेव पुराण का पाठ किया जाता है।
- उपवास या सात्विक आहार नवरात्रि के सभी दिनों में खाया जाता है।
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गुप्त नवरात्रि में व्रत रखने के लाभ
गुप्त नवरात्रि, जिसे गायत्री नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है। इस 9-दिवसीय अनुष्ठान के दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने की मुख्य विधि तंत्र विद्या के मंत्रों के साथ देवी का आह्वान किया जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है जिसमें धन, ज्ञान और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" के महा मंत्र की मदद से शैतानी ताकतों को भगाने का प्रयास भी किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान शक्तिशाली मंत्रों और तंत्र की गुप्त विद्या और तांत्रिक साधनाओं के रूप में देवी दुर्गा की गुप्त पूजा भक्तों को उनकी सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्ति प्राप्त करने में मदद करती है।
गुप्त नवरात्रि
फरवरी माह में गुप्त नवरात्रि है। यह 22 जनवरी 2023 को शुरू होगी और 23 जनवरी 2023 को समाप्त होगी। आप 22 जनवरी को सुबह 08:34 से 09:59 तक कलश स्थापना कर सकते हैं। अभिजीत काल 12 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
तांत्रिकों के लिए है खास
तांत्रिकों को तंत्र साधना करने के लिए गुप्त नवरात्रि का इंतजार रहता है, इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
कोई भी तांत्रिक साल में केवल दो बार ही अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए तांत्रिक साधना में लग सकता है क्योंकि गुप्त नवरात्रि साल में दो बार आती है। पहला माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरा आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में। बहुत कम लोगों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे होने के कारण इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। इनमें विशेष मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए
गुप्त नवरात्रि में इन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए :
- नौ दिनों तक इस पर्व को मानने वालों को अपने बाल नहीं कटवाने चाहिए।
- उन्हें परिवार या दोस्तों से नहीं लड़ना चाहिए, अन्यथा पूजा फलदायी नहीं होगी।
- परिवार में महिलाओं और उनकी राय का सम्मान करें।
- इन दिनों में जमीन पर ही सोएं।
- शराब का सेवन न करें या प्याज, लहसुन या कोई भी मांसाहारी वस्तु न खाएं।
- साथ ही काले रंग के कपड़े, चमड़े के जूते या बेल्ट न पहनें।
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