गोमेद रत्न कब और किस स्थिति में धारण करना चाहिए | Future Point

गोमेद रत्न कब और किस स्थिति में धारण करना चाहिए

By: Future Point | 14-Jun-2019
Views : 31834गोमेद रत्न कब और किस स्थिति में धारण करना चाहिए

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु एक छाया ग्रह होता है अतः इसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है, यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ ये जुड़ जाता है उसके अनुसार ही अपना फल देने लगता है, राहु जब नीच का या अशुभ होकर प्रतिकूल फल देने लगता है तो ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति को गोमेद रत्न पहनने का सुझाव दिया जाता है. गोमेद राहु का रत्न है और इसको पहनने से लाभ व हानि दोनों हो सकते है इसलिए गोमेद पहनने से पहले उसके बारे में सही जानकारी ले लेना आवश्यक होता है।

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गोमेद रत्न (Gomed Ratna) के अन्य नाम -

गोमेद रत्न को गोमेदक, तपोमणि, पिग स्फटिक, जटकूनिया, जिरकान आदि नामों से भी जाना जाता है. गोमेद रत्न आकर्षक पारदर्शक पारभासक तथा अपारदर्शक पत्थर होता है, जो कि दूर से स्वच्छ गोमूत्र अथवा अंगार के समान रंग का हो, वजनी कड़कदार हो, जिसमें परत न हो, जो छूने पर कोमल और चमकदार हो, वह उत्तम जाति का गोमेद माना जाता है।

गोमेद रत्न के तीन वर्ग -

उच्च वर्ग- जो गोमेद रत्न स्वच्छ, पारदर्शक, गोमूत्र के समान पीलापन लिए हुये लाल रंग का बराबर कोण वाला,चमकीला, चिकना सुन्दर हो, उसे उच्च वर्ग का गोमेद कहा जाता है।

मध्यम वर्ग- ऐसा गोमेद रत्न भूरापन लिए हुये लाल रंग का होता है, ये मध्यम वर्ग का होता है।

निम्न वर्ग- जो गोमेद रत्न खुदरापन लिए हुये अपारदर्शी, छायारहित छींटो से युक्त पीले कॉच के समान दिखाई देने वाला हो वह निम्न वर्ग का गोमेद कहलाता है।

इस प्रकार का गोमेद रत्न धारण नही करना चाहिए -

  • यदि गोमेद रत्न में किसी प्रकार का धब्बा हो तो उसको धारण करने से आकस्मिक मृत्यु का भय बना रहता है।
  • यदि गोमेद रत्न में लाल रंग के छींटे दिखाई दे तो वह आर्थिक नुकसान कराता है एंव पेट की समस्यायें उत्पन्न करता है।
  • यदि गोमेद रत्न में किसी प्रकार का गड्डा दिखाई दे तो ऐसा रत्न पुत्र व व्यापार को हानि पहुंचाता है।
  • यदि गोमेद में चीरा या क्रास हो तो वह शरीर में रक्त सम्बन्धी विकार उत्पन्न करता है।
  • यदि गोमेद में किसी प्रकार की कोई चमक न हो तो ऐसा गोमेद रत्न धारण करने से शरीर को लकवा भी हो सकता है।

असली गोमेद रत्न की पहचान -

  • गोमेद रत्न को गोमूत्र में 24 घण्टे के लिए रख दे तो गोमूत्र का रंग बदल जाये तो ऐसा गोमेद रत्न अच्छा माना जाता है।
  • असली गोमेद रत्न को लकड़ी के बुरादे में रगड़ेगे तो उसकी चमक घट जायेगी।

गोमेद रत्न (Gomed Ratna) धारण करने के लाभ -

  • यदि किसी व्यक्ति के बनते हुये काम में बाधायें आने लगे, भूत-प्रेत का भय हो, किसी ने काम को बॉध दिया हो या फिर अचनाक व्यवसाय में हानि हो रही हो तो गोमेद धारण करने से लाभ मिलता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के पास धन रूकता न हो तो गोमेद रत्न को धारण करने लाभ मिलता है।
  • यदि पति-पत्नी में आपसी तनाव रहता हो और तलाक तक की नौबत आ जाये तो गोमेद पहनने से रिश्ते फिर से मधुर हो जाते है।
  • जिस व्यक्ति का मन परेशान रहता हो, घर में दिल न लगे, मन उखड़ा-उखड़ा रहे तो उसे गोमेद अवश्य धारण करना चाहिए।

गोमेद रत्न किसे धारण करना चाहिए-

  • जिन व्यक्तियों की राशि अथवा लग्न वृष, मिथुन, कन्या, तुला या कुम्भ हो उन्हें गोमेद धारण करना चाहिए।
  • यदि राहु व्यक्ति की जन्म कुण्डली में केन्द्र 1, 4, 7, 10 इनमें से किसी भाव में हो या फिर पॉचवें व नवम भाव में हो तो गोमेद रत्न को पहनने से लाभ होता है।
  • राजनीति में सफलता हासिल करने वाले लोगों को गोमेद रत्न धारण करने से विशेष लाभ होता है।
  • यदि राहु द्वितीय, एकादश भाव में हो तो गोमेद रत्न पहनने से लाभ होगा किन्तु यदि राहु छठें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो गोमेद रत्न को सोच- समझकर पहनना चाहिए अन्यथा हानि हो सकती है।

गोमेद रत्न धारण करने की विधि -

  • शनिवार के दिन अष्टधातु या चाँदीकी अंगूठी में जड़वा कर षोड़षोपचार पूजन करने के बाद निम्न ‘‘ॐ रां राहवे नमः’’ मन्त्र की कम से कम एक माला जाप करके मध्यमा उँगली में धारण करना चाहिए।

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