जानिए किस प्रकार घर में पूजा-पाठ करने की सही विधि लाती है घर में सकारात्म ऊर्जा। | Future Point

जानिए किस प्रकार घर में पूजा-पाठ करने की सही विधि लाती है घर में सकारात्म ऊर्जा।

By: Future Point | 20-Jul-2019
Views : 7083जानिए किस प्रकार घर में पूजा-पाठ करने की सही विधि लाती है घर में सकारात्म ऊर्जा।

घर में पाठ-पूजा करना भारतीय संस्कृति में अनादि काल से चला आ रहा है यूं तो भक्तजन मंदिर में जाकर देव आराधना करते है किन्तु समय के अभाव के रहते मंदिर जाने का समय निकाल पाना थोडा मुश्किल हो जाता है इसीलिए घर पर पूजा- पाठ करना भी फलदायी माना गया है, हिन्दू धर्म में प्रत्येक परिवार में पूजा करने का एक स्थान होता है जहाँ वे अपने आराध्य देव या देवी की प्रतिमा स्थापित करते है और सुबह -शाम दूप-दीप भी प्रज्वलित करते है।

पूजा स्थल में कैसी मूर्तियां रखनी चाहिए -

  • घर के पूजा स्थल में ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए, शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि यदि हम मंदिर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग हमारे अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए क्योंकि शिवलिंग बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से घर के मंदिर में छोटा सा शिवलिंग रखना शुभ होता है।
  • अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी छोटे आकार की ही रखनी चाहिए अधिक बड़ी मूर्तियां बड़े मंदिरों के लिए श्रेष्ठ रहती हैं लेकिन घर के छोटे मंदिर के लिए छोटे-छोटे आकार की प्रतिमाएं श्रेष्ठ मानी गई हैं।

पूजा करते समय किस दिशा की ओर होना चाहिए व्यक्ति का मुख -

  • घर में पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर हो तो बहुत शुभ रहता है।
  • इसके लिए पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  • यदि यह संभव ना हो तो पूजा करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व दिशा में होगा तब भी श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।

घर के पूजा स्थल तक पहुंचनी चाहिए सूर्य की रोशनी और ताजी हवा-

  • घर में पूजा स्थल ऐसे स्थान पर बनाया जाना चाहिए जहां दिन भर में कभी भी कुछ देर के लिए सूर्य की रोशनी अवश्य पहुंचती हो।
  • जिन घरों में सूर्य की रोशनी और ताजी हवा आती रहती है उन घरों के कई दोष स्वत: ही शांत हो जाते हैं।
  • सूर्य की रोशनी से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है।

पूजा के पश्चात् पूरे घर में कुछ देर बजाएं घंटी-

  • यदि घर में मंदिर है तो हर रोज सुबह और शाम पूजन अवश्य करना चाहिए।
  • पूजन के समय घंटी अवश्य बजाएं और साथ ही एक बार पूरे घर में घूमकर भी घंटी बजानी चाहिए।
  • ऐसा करने पर घंटी की आवाज से नकारात्मकता नष्ट होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।

घर में पूजा स्थान कहाँ होना चाहिए –

  • शास्त्रों के अनुसार घर में पूजा करने का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए।
  • ईशान कोण – उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के बीच का भाग ईशान कोण होता है।
  • ईशान कोण को शुभ कार्यों के लिए सबसे उत्तम दिशा माना गया है इसलिए इस दिशा में पूजा के मंदिर को स्थापित करें।
  • यदि किसी कारणवश ऐसा न भी कर पायें तो भूलकर भी घर के ईशान कोण में गंदगी जमा न होने दे व घर के इस हिस्से को सदा पवित्र रखे।
  • ईशान कोण के अतिरिक्त पूर्व दिशा भी पूजा स्थान के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है अतः आप घर में ईशान कोण व पूर्व दिशा दोनों में से जहाँ भी आप सुविधाजनक रूप से पूजा स्थल की स्थापना कर सकते हैं।

पूजा स्थल को किस प्रकार स्थापित करना चाहिए -

  • पूजा स्थल में गणेश जी स्थापना अवश्य करें इसके लिए एक सुपारी या ठोस मिटटी की डली पर लाल धागे (कलावा) को लपेट ले व कुमकुम द्वारा तिलक कर एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर स्थापित करना चाहिये।
  • पूजा स्थल में एक कोने में बंद पात्र में गंगाजल अवश्य रखना चाहिए।
  • एक ताम्बे के छोटे से लोटे में जल को पूजा स्थल में अवश्य रखना चाहिए और प्रतिदिन इस पात्र का जल बदलना चाहिए व पुराने जल को किसी पीपल के पेड़ में या तुलसी के पौधे में डाल सकते है।
  • पूजा के स्थान में एक देव की सिर्फ एक ही प्रतिमा रखनी चाहिए यदि आपके पास एक देव की एक से अधिक प्रतिमा पूजा स्थल में है तो उन्हें घर में कहीं भी दिवार आदि पर लगा सकते है किन्तु पूजा स्थल में एक देव की एक ही प्रतिमा रखनी चाहिए।
  • घर में पूजा के स्थान पर कभी भी बड़ी मूर्तियाँ न रखें, बड़ी मूर्तियों में प्राण-प्रतिष्ठा होना अनिवार्य हो जाता है इसीलिए बड़ी मूर्तियां मंदिर के लिए ही उचित है, पूजा स्थल में छोटी मूर्ति रख सकते है अन्यथा प्रतिमा रख सकते है ।
  • पूजा करने के स्थान पर भूलकर भी अपने पित्र देव ( अपने स्वर्गीय माता, पिता ) की फोटो न लगाये, उनका स्थान अलग रखे।
  • पूजा स्थल में कूड़ा-करकट एकत्रित न होने दे।
  • प्रतिदिन पूजा घर की सफाई करनी चाहिए।
  • यदि आपने पूजा घर में कोई मूर्ती की स्थापना की हुई है तो ध्यान दें कि मूर्ती का कोई भी हिस्सा खंडित नहीं होना चाहिए, मूर्ति खंडित होने पर तुरंत उसे वहां से हटा दें।
  • खंडित मूर्ति को आप बहते पानी में विसर्जित कर सकते है।
  • पूजा स्थल में चमड़े की कोई वस्तु जैसे पर्स , बेल्ट या चमड़े का बैग आदि कदापि नही रखना चाहिए।
  • पूजा के समय शुद्ध देसी गाय के घी का प्रयोग करें, व भोग लगाने के लिए अग्नि में गाय के गोबर के कंडो(ऊपलों ) का ही प्रयोग करना उत्तम माना गया है।
  • पूजा -पाठ के दौरान दीपक कभी भी भुजना नहीं चाहिए, शास्त्रों में यह एक बड़ा अपशगुन माना गया है।
  • पूजा-पाठ के समय गूग्गल युक्त धुपबत्ती का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि गूग्गल घर के वातावरण को शुद्ध और घर से नकारात्मक व बुरी चीजों को दूर करती है।
  • रात्रि को सोते समय पूजा स्थल को लाल पर्दे द्वारा ढक दे व सुबह होने पर पर्दे हटा देनी चाहिए।

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