जानिए क्यों किया जाता है गणेश विसर्जन और क्या है इसका महत्व
By: Future Point | 10-Sep-2018
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देशभर में भाद्रपद माह में आने वाली गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितंबर को मनाया जा रहा है और इससे ठीक दस दिन पहले ही श्रद्धालु अपने घर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिनों तक पूरे विधि-विधान से उनका पूजन कर गणेश चतुर्थी के अवसर पर मूर्ति का विसर्जन कर देते हैं। इस पर्व को महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
ऐसा जरूरी नहीं है कि आपको अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापना 10 दिन तक ही करनी है। आप चाहें तो गणेश चतुर्थी से एक दिन, 3 दिन या 5 या 7 दिन पहले भी अपने घर गणेश जी की मूर्ति को स्थापित कर सकते हैं। आप स्थापना चाहे किसी भी दिन करें लेकिन गणेश उत्सव एवं मूर्ति विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन ही होता है। इस दिन आपको हर परिस्थिति में गणेश जी मूर्ति का विसर्जन करना ही है।
आइए अब जान लेते हैं कि ये मूर्ति विसर्जन क्या है और इसका क्या महत्व है।
क्यों करते हैं विसर्जन
संस्कृत भाषा के विसर्जन शब्द का अर्थ होता है पानी में विलीन होना। इसे सम्मान सूचक प्रक्रिया बताया गया है। मान्यता है कि घर में पूजा के लिए प्रयोग की गई मूर्तियों को जल में विसर्जित करके उन्हें सम्मान दिया जाता है।
गणेश विसर्जन का अर्थ
गणेश विसर्जन हमेशा एक संदेश देता है जिसके तहत ये हमें सिखाता है कि मिट्टी से जन्म शरीर को एक दिन मिट्टी में ही मिल जाना है। मूर्त रूप में आने के लिए गणेश जी को मिट्टी का सहारा लेना पड़ता है और मिट्टी प्रकृति की देन है और जब गणेश जी का मूर्ति विसर्जन किया जाता है तो वो पानी में विलीन होकर फिर से मिट्टी प्रकृति में मिल जाती है। इसका अर्थ है जो लिया है उसे लौटाना ही पड़ेगा, खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना पड़ेगा। यही सृष्टि का विधान है।
निराकार है ईश्वर
धर्म और आस्था के आधार पर हम गणेश जी को आकार देते हैं लेकिन सत्य तो यही है कि ईश्वर निराकार है और सब जगह व्याप्त हैं लेकिन आकार को समाप्त होना पड़ता है इसलिए ही विसर्जन किया जाता है।
जीवन का करना पड़ेगा त्याग
विसर्जन करना इस बात का आधार है कि मनुष्य को अगला जन्म पाने और नए जीवन के लिए इस जन्म और शरीर को त्यागना ही पड़ेगा। पहले गणेश जी की मूर्ति का निर्माण होता है फिर उनकी पूजा की जाती है लेकिन फिर अगले साल उनके आगमन के लिए मूर्ति को विसर्जित करना ही पड़ता है। जीवन भी कुछ ऐसा ही है जिसमें अपने कर्त्तव्यों को पूरा करके अगले जन्म में फिर आना होगा।
मोह माया का त्याग
सांसारिक सुखों से इंसान के मोह नहीं करना चाहिए और विसर्जन भी हमें यही संदेश देता है। जो शरीर मिला है जो सुख हमारे पास हैं, उन्हें हमें एक दिन छोड़ने ही होंगें। सुख-संपत्ति और संपदा के लिए हम गणेश जी को घर बुलाते हैं और वो खुद ये सब छोड़कर पानी में विलीन हो जाते हैं। जब ईश्वर को भौतिक सुख और वैभव छोड़ना पड़ा तो हम मनुष्य क्या हैं। मोह-माया को छोड़कर हमें भी एक दिन प्रकृति में ही विलीन होना पड़ेगा।
गणेश विसर्जन में ध्यान रखें ये बातें
- गणेश विसर्जन के समय भगवान गणेश को हंसी-खुशी विदा करें।
- विसर्जन के दौरान काले कपड़े पहन कर ना जाएं। इस दिन लाल, हरे या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
- किसी खास तरह का नशा आदि ना करें। विसर्जन या पूजन आदि के समय क्रोध करने से बचें।
- अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और किसी को कटु वचन ना बोलें। माना जाता है कि जो लोग ऐसा करते हैं उनसे भगवान गणेश अप्रसन्न हो जाते हैं।
- नदी या तालाब में गणेश जी की मूर्ति को फेंके नहीं बल्कि उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और समस्त सामग्री के साथ धीरे-धीरे बहाएं।
- अगर आप इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा की पूजा करते हैं तो आपको अधिक पुण्य मिलेगा क्योंकि ये पानी में पूरी तरह से विलीन हो जाती हैं।
- यदि गणेश प्रतिमा इको फ्रेंडली है तो आप उन्हें घर में विसर्जित कर अपने गमले में इस पानी को डालकर हमेशा अपने पास रख सकते हैं।
- जब भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करें और जब उन्हें पाटे से उठाएं तो जयघोष जरूर करें।
जरूर कहें ये बात
जब भी गणेश विसर्जन के लिए जाएं तो आदिपूज्य भगवान लंबोदर, वक्रतुंड, विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति जैसे नामों को जरूर पुकारें और गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ रे जरूर करें। शास्त्रों के अनुसार जब किसी को विदाई दी जाती है तो से दोबारा आने के लिए जरूर कहना चाहिए। ऐसा करने से भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं और अनजाने में हुई अपने भक्तों की गलतियों को क्षमा कर देते हैं।
इस गणेश चतुर्थी पर विसर्जन का महत्व जानकर आपका मन भी तृप्त हो गया होगा।