गलत रत्न धारण करने से आपके जीवन में आ सकती है परेशानी
By: Future Point | 15-Mar-2018
Views : 11315
ज्योतिष में रत्न किसी वरदान से कम नहीं हैं। एस्ट्रो साइंटिस्ट के अनुसार यह सृष्टि की ओर से प्राप्त हम सभी को अमूल्य उपहार हैं। जिसकी उत्पत्ति व्यक्ति के कल्याण और सुखों को बेहतर करने के उद्देश्य से ही हुई हैं। प्रकृति ने हम सभी के जीवन को सरल बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के रत्नों का भंडार दिया हैं। जिसका उपयोग व्यक्ति धारण, ग्रहण और सौंदर्यवर्द्धन के लिए करता रहा हैं। हर व्यक्ति की यह कामना रहती हैं कि उसका भाग्य उत्तरोतर बढ़ता चला जाए। भाग्यशाली बनना भला किसे पसंद नहीं। सभी अपने भाग्य को चमकाने की इच्छा रखते हैं। जिन व्यक्तियों को जीवन में किसी कारणवश भाग्य का साथ नहीं मिल पाता हैं तो ऐसे सभी व्यक्ति रत्नों का सहारा लेकर अपने भाग्य को बली कर सकते हैं। रत्न अपनी चमत्कारी शक्ति के प्रभाव से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करते हैं और शुभ ग्रहों के सभी फल प्राप्त करने में सहयोग करते हैं।
रत्नों का उपयोग आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से होता रहा हैं। रत्न भाग्य वृद्धि करने में सक्षम हैं ऐसी मान्यता प्राचीन काल से चली आ रही हैं। रत्नों में निहित अद्भुत शक्ति का सही उपयोग कर व्यक्ति अपने जीवन की बाधाओं को दूर कर सकता हैं, और सहज प्रयास से ही सफलता अर्जित कर, धन, मान-सम्मान और सभी सुख भोग सकता हैं। ग्रहों और रत्नों में प्रत्यक्ष संबंध हैं। प्राचीन समय से ही भाग्य को बलवान बनाने के लिए रत्नों को धारण किया जाता रहा है। रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है। ग्रहों तथा रत्नों का क्या सम्बन्ध है इसे समझकर ही हम रत्नों के लाभ को प्राप्त कर सकते हैं। रत्न ग्रहों की शक्ति को घटा और बढ़ा सकते हैं। यह ठीक इसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार ग्रह व्यक्ति के जीवन की घट्नाओं को प्रभावित करते हैं। रत्नों के विषय में यह भी कहा जाता है कि रत्नों में एक विशेष प्रकार की चुंबकीय शक्ति होती हैं जिसके प्रभाव से व्यक्ति उन्नति के आसमान तक पहुंच जाता हैं।
रत्नों की अद्भुत शक्ति को जांच परख के बाद ही धारण करना चाहिए। यह आवश्यक नहीं हैं कि कोई भी रत्न कोई भी व्यक्ति पहन सकता हैं। अपितु रत्न सदैव किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंड्ली का अध्ययन (Astrology Consultation online) कराने के बाद ही धारण करने चाहिए। अन्यथा यह लाभ की जगह नुकसान कर सकते हैं। जिस प्रकार जब कोई व्यक्ति रोगग्रस्त होता हैं तो उसे चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही दवाईयों का सेवन और उपचार क्रिया करनी चाहिए, यदि वह ऐसा नहीं करता हैं और अपनी समझ से ही दवाईयों का सेवन करना शुरु कर देता हैं तो इस स्थिति में रोगी के स्वास्थ्य में सुधार की जगह रोग बढ़ने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। गलत ईलाज कराने की जगह ईलाज ना करना कहीं बेहतर हैं। इसलिए जब भी रत्न धारण करें, यह अवश्य जान लें कि यह रत्न आपके लिए लाभकारी हैं या नहीं।
रत्न धारण करते समय ध्यान देने योग्य बातें-
- शुद्ध रत्न ही धारण करना चाहिए। अशुद्ध रत्न धन और स्वास्थ्य की हानि का कारण।
- अच्छे से जांच कराने के बाद ही रत्न धारण करना चाहिए।
- जन्म कुंड्ली के अनुसार जो ग्रह सबसे अधिक शुभफलदायक केवल उन्हीं ग्रहों से संबंधित रत्न धारण करना चाहिए।
- जिस ग्रह की दशा अथवा महादशा चल रही हों उन ग्रहों का रत्न धारण करने से भी लाभ मिलता हैं।
- कम मात्रा का रत्न लाभप्रद नहीं रहता। रत्न का वजन, आकार और शुद्धता सभी का ध्यान रखना आवश्यक हैं। उचित मात्रा में न होकर यदि रत्न का वजन कम हों तो फल देर से ओर कम मात्रा में प्राप्त होते हैं।
- रत्न सही अंगूली और सही विधि-विधान से निर्मित होने चाहिए, साथ ही इनके निर्माण में मूहुर्त के नियमों का भी पालन करना चाहिए।
- किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व यह अवश्य देख लेना चाहिए कि जो रत्न पहना जा रहा हैं वह टूटा फूटा, धारीधार, धब्बोंवाला अथवा खुर्दरा नहीं होना चाहिए। ऐसा न होने पर रत्न अपनी शक्तियों को परावर्तित नहीं कर पाता हैं। इसके विपरीत साफ और चमकदार रत्न अपना कार्य सही प्रकार से करने में सक्षम होता हैं।
- जिन व्यक्तियों की कुंडली में कोई ग्रह योगकारक होने की जगह मारक, बाधक या त्रिकेश हों उन ग्रहों का रत्न भूलकर भी धारण नहीं करना चाहिए।
रत्न क्यों धारण करने चाहिए-
रत्न भाग्योदय का मार्ग बनाते है। कई बार जीवन में ऐसा समय आता है कि हम बहुत मेहनत करते हैं। संघर्ष और प्रयास करने पर भी मनोनूकुल परिणाम प्राप्त नहीं हो पाते हैं तो इस स्थिति में व्यक्ति का रत्नका सहारा लेना, सही निर्णय साबित होता हैं। आज के आधुनिक समय में उन्नति के साधन सीमित हैं और योग्य व्यक्तियों की कमी नहीं हैं। हर व्यक्ति एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए दिन रात प्रयासरत हैं। सभी के लिए इस गलाकाट प्रतियोगिता का सामना कर पाना संभव नहीं हो पाता हैं। जल्द से जल्द सफल होने की चाह और प्रगति की सीढ़ियां जल्द चढ़ने में रत्न बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं। वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं, जिनमें से रत्न धारण सबसे सरल, सहज और शीघ्र फल देने वाले उपायों की श्रेणी में आता हैं। रत्न अपने धारक को शीघ्र फल देना शुरु कर देते हैं। इससे व्यक्ति की पीड़ा और निराशा की भावना दूर होती हैं। रत्न व्यक्ति को रंक से राजा बनाने का सामर्थ्य रखते हैं। बशर्ते की ऊपर बताए गए नियमों के अनुसार रत्न धारण किया जाए।