फेंगशुई में क्रिस्टल कछुए का है बहुत महत्व
By: Future Point | 12-Jun-2018
Views : 12059
हिन्दु संस्कृति में कछूए को लक्ष्मी जी का प्रतीक माना गया हैं। पौराणिक संदर्भ के अनुसार समुद्र मंथन के समय कछुए का वर्णन मिलता हैं। कछुआ धन की देवी लक्ष्मी जी का प्रतीक हैं, स्थिरता का प्रतीक हैं और लम्बी आयु का प्रतीक है। कछुए का ना सिर्फ धार्मिक महत्व हैं अपितु इसे वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में भी प्रयोग किया जाता हैं। यही वजह है कि भगवान शिव के मंदिरों में भी कछुए की प्रतिमा को देखा जा सकता हैं।
शिवलिंग के ठीक सामने जमीन पर कछुए की मूर्ति होती हैं। वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में इसका महत्व होने के कारण इसे घर, व्यावसायिक स्थल और अन्य स्थानों पर भी रखा जा सकता है। ज्योतिषीय सामग्री के रुप में प्रयोग होने के कारण यह कई धातुओं में पाया जाता हैं। जैसे- मिट्टी से बना कछुआ, लकड़ी का कछुआ, चांदी, सोने और क्रिस्टल धातु से निर्मित कछुआ। क्रिस्टल धातु और चांदी धातु लक्ष्मी जी की अतिप्रिय धातु हैं।
लक्ष्मी जी का वास घर में बनाए रखने के लिए, लक्ष्मी जी के साथ उसके वाहन कछुए का भी पूजन किया जाता हैं। क्रिस्ट्ल धातु से बने कछुए को ईशान कोण में स्थापित कर उसका नित्य दर्शन-पूजन किया जाता हैं। यदि कछुए की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई हों तो उसे उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम में रखना चाहिए। क्रिस्टल से बने कछुए को ईशान कोण में न रख सकें तो उसे दक्षिण-पश्चिम में भी रखा जा सकता हैं।
धन-धान्य की प्राप्ति की कामना से स्फटिक कछुआ को घर में रखना चाहिए। स्फटिक कछुए के बारे में यह मान्यता है कि यह कछुआ दीर्घायु, धन, सुख-समृद्धि और उन्नति देता हैं। वेदों के समय से ही कछुआ हमारी संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण भाग रहा हैं। एक मत के अनुसार कछुए का आयुकाल १०० वर्ष के लगभग आंकी गई हैं। इसकी पीठ पर स्वर्ग और पृथ्वी के विभिन्न चिन्ह पाये जाते हैं।
यह लम्बी आयु, सौभाग्य, स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता हैं। जो व्यक्ति स्फटिक कछुए का नित्य दर्शन-पूजन करता हैं। उसे जल्द ही मनोनुकूल फलों की प्राप्ति होती हैं। स्फटिक कछुआ अपने आराधक को अच्छी सेहत, सफलता और निरंतर प्रगति का गुण देता हैं। जिन भी व्यक्तियों को धन-धान्य, उन्नति और सफलता से संबंधित परेशानियां बनी रहती हैं, उन व्यक्तियों को स्फटिक कछुए को घर या व्यवसायिक स्थल पर रख नित्य दर्शन-पूजन करना चाहिए।
स्फटिक कछुए को घर या आफिस में रखने पर निम्न फायदे होते हैं-
- क्रिस्टल कछुए की यह विशेषता हैं कि यह अपने आसपास को सकारात्मक बनाए रखता हैं। प्रत्येक प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता हैं, कार्यों में एकाग्रता बढ़ाता हैं और रुचि जागृत करता हैं। इसी वजह से इसका उपयोग छात्र और अध्ययनशील वर्ग के लिए खास माना गया हैं।
- छात्रवर्ग क्रिस्टल कछुए को अपनी अध्ययन मेज पर रखें तो पढ़ाई में एकाग्रता, मनोयोग और रुचि बनी रहती हैं।
- क्रिस्टल कछुआ घर में रखने से वास्तुदोष दूर होता हैं।
- यदि इसे सिरहाने रखकर सोया जाएं तो यह अनिद्रा रोग का निवारण करता हैं।
- घर के मंदिर में पीले रंग के वस्त्र में यदि क्रिस्टल कछुए को रखा जाए तो यह अत्यंत शुभता देता हैं।
- धनागमन के साधनों में प्रवाह बनाए रखने के लिए इसे तिजोरी में रखें।
- जिस घर या व्यवसायिक स्थल पर यह कछुआ होता हैं वहां से तनाव कोसों दूर रहता हैं।
- क्रिस्टल कछुआ सौभाग्य लाता हैं और धन को बनाए रखता हैं।
- घर-परिवार में शांति बनाए रखने के लिए इसे घर या व्यावसायिक स्थल के मुख्य द्वार पर कछुए का चित्र लगाना शुभता देता हैं।
- कछुए के बारे में यह मान्यता हैं कि यह जहां होता हैं वहां के लोगों का व्यवहार शालीन और विनम्र रहता हैं।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार कछुए को उत्तर दिशा में रखना धन वृद्धि का सूचक हैं। इससे शत्रु भी शांत रहते हैं।
- परिवार में सहयोग और सुरक्षा का भाव बना रहता हैं।
- परिवार के सबसे बड़े सदस्य की आयु दीर्घ रहती हैं।
- रुके हुए कार्यों को भी यह कछुआ गति प्रदान करता हैं।
- जिन घरों में अक्सर कोई न कोई बीमार रहता हैं उन घरों में वास्तु दोष दूर करने के लिए कछुआ रहना लाभकारी रहता हैं। स्फटिक कछुआ स्वास्थ्य को बेहतर करता हैं। रोगों को दूर करता हैं और प्रसन्नता देता हैं। घर का माहौल प्रसन्नता का रहता हैं। यह घर में लगी हर प्रकार के नजर दोष को दूर करता हैं।
- स्फटिक कछुए को अच्छे परिणाम पाने के लिए घर या आफिस के मुख्य द्वार या उत्तर दिशा में रखा जा सकता हैं। इसे कभी भी शयनकक्ष में नहीं रखना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान रखें कि दो कछुए एक साथ न हों।
- स्फटिक धातु और कछुआ दोनों लक्ष्मी जी को प्रिय होने के कारण इसकी नित्य पूजा घर में सदभाव और धन लाती हैं।
- आर्थिक क्षेत्रों में सुधार होता हैं।
- आय क्षेत्र की बाधाएं भी दूर होती है।
- संतान की कामना वाले दंपत्ति ऐसे कछुए को घर में रखें जिसकी पीठ पर कछुए का बच्चा बैठा हों।