इस विधि से नहीं करेंगें श्राद्ध तो प्रसन्न की जगह नाराज़ हो जाएंगें पूर्वज
By: Future Point | 08-Sep-2018
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पितृ पक्ष के दौरान मृत परिजनों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। मान्यता है कि मृत्यु को प्राप्त हुए परिजनों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। अपने ईष्ट देवता, गुरु और मृत परिजन के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार हमारी आत्मा में मातृ और पितृ दोनों ही कुलों के गुणसूत्र विद्यमान होते हैं।
अपने दिवंगत हुए परिजनों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने और उन्हें प्रसन्न के लिए के भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन मास की अमावस्या जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं तक किया जाता है।
ब्रह्म पुराण की मानें तो पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्वक और श्रद्धा से जो भी ब्राह्मणों को दिया जाता है वह श्राद्ध कहलाता है।
श्राद्ध कर्म करने के लिए आपको उसकी संपूर्ण विधि के बारे में भी पता होना चाहिए। हो सकता है कि अगर आप विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं करते हैं तो आपके पितर आपसे प्रसन्न होने की बजाय नाराज़ हो जाएं और अगर वो आपसे रुष्ट हो गए तो आपके जीवन में अनेक समस्याएं और दुख आ सकते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि आप श्राद्ध कर्म की विधि जान लें।
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श्राद्ध 2018
इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 24 सितंबर से हो रहा है और इसका समापन 8 अक्टूबर, 2018 को है। अंतिम श्राद्ध को सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन आप अपने सभी मृत परिजनों का श्राद्ध एकसाथ कर सकते हैं।
श्राद्ध करने की विधि
हिंदू धर्म में पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए उनकी मृत्यु के पश्चात् श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध करने से आपके पितर प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन को सुख और संपन्नता से भर देते हैं। पौराणिक ग्रंथों में श्राद्ध करने की विधि का उल्लेख मिलता है। अगर विधिपूर्वक श्राद्ध ना किया जाए तो श्राद्ध कर्म निष्फल भी हो सकता है और आपके पूर्वजों की आत्मा अतृप्त ही रहती है।
शास्त्रों के अनुसार किसी सुयोग्य पंडित द्वारा श्राद्ध कर्म की पूजा करवानी चाहिए। ब्राह्मणों को पूरी श्रद्धा से पितृ पक्ष में दान दें और इस दौरान किसी गरीब, जरूरतमंद को दान देने एवं उसकी सहायता करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है और पितर प्रसन्न होते हैं। गाय, कुत्ते और कौवे आदि के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर रखें। आपके घर पितर किसी भी रूप में आ सकते हैं।
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श्राद्ध करने के लिए आपको सबसे पहले उस व्यक्ति की मृत्यु तिथि का ज्ञात होना चाहिए जिसके लिए आप श्राद्ध करवा रहे हैं। जिस तिथि को आपके परिजन की मृत्यु हुई थी उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपको अपने मृतजन की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो आप आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म करवा सकते हैं। इस दिन सर्व पितृ अमावस्या होती है और इस दिन आप अपने मृतजनों का एकसाथ तर्पण कर सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर, अगर संभव हो तो श्राद्ध गंगा नदी के किनारे करवाना चाहिए। अगर यह संभव नहीं है तो आप इसे घर पर भी विधिपूर्वक संपन्न कर सकते हैं। श्राद्ध कर्म के दिन व्रत रखने का भी विधान है। श्राद्ध की पूजा के पश्चात् खीर आदि पकवानों से ब्राह्मणों को भोज करवाएं।
श्राद्ध पूजा दोपहर के समय आरंभ करें। इसमें हवन भी करवा सकते हैं। किसी योग्य पंडित या ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के बाद जल से तर्पण करें। इसके बाद पूर्वजों को भोग लगाएं। जो भी भोग अपने पूर्वजों को लगाएं उसमें से गाय, काले कुत्ते और कौवे का हिस्सा अलग निकाल कर रख दें। इनके लिए भोजन निकालते समय अपने पितरों का स्मरण करें। मन ही मन में उनसे श्राद्ध ग्रहण करने की प्रार्थना करें। इसके बाद तिल, जौ, कुशा, तुलसी के पत्ते, मिठाई और अन्य पकवानों से ब्राह्मण को भोजन करवाएं। भोजन के बाद दान-दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।
अगर आप इस विधि से श्राद्ध कर्म एवं पूजा करते हैं तो आपके पितर आपसे अवश्य ही प्रसन्न होंगें। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है। श्राद्ध पक्ष में किए गए तर्पण से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आपके घर में खुशहाली, संपन्नता और समृद्धि लाते हैं।
आप Future Point पर भी अनुभवी पंडित या ब्राह्मण द्वारा पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृ शांति पूजा या श्राद्ध पूजा बुक करवा सकते हैं। इस पूजा को बुक करवाने के लिए आपको अपने नाम, अपने परिजन का नाम और उनके गोत्र आदि से संबंधित जानकारी देनी होगी।
आपको बता दें कि आप ऑनलाइन भी इस पूजा में शामिल हो सकते हैं। इस पूजा को बुक करवाने के लिए इस नंबर पर हमें संपर्क करें : 011-40541000