इस तिथि को करें श्री महालक्ष्‍मी व्रत, जानें व्रत विधि एवं कथा | Future Point

इस तिथि को करें श्री महालक्ष्‍मी व्रत, जानें व्रत विधि एवं कथा

By: Future Point | 15-Sep-2018
Views : 10052इस तिथि को करें श्री महालक्ष्‍मी व्रत, जानें व्रत विधि एवं कथा

भाद्रपद माह की शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी तिथि को श्री महालक्ष्‍मी व्रत किया जाता है। इस साल 2 अक्‍टबर, 2018 यानि मंगलवार के दिन श्री महालक्ष्‍मी का व्रत किया जाएगा। ये व्रत राधा अष्‍टमी के दिन ही किया जाता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार मां लक्ष्‍मी की कृपा पाने और धन संबंधित समस्‍याओं से मुक्‍ति पाने के लिए इस दिन मां लक्ष्‍मी का पूजन किया जाता है।

श्री महालक्ष्‍मी व्रत पूजन

श्री महालक्ष्‍मी व्रत के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से निवृत्त होकर पूजन स्‍थल में आएं और मां लक्ष्‍मी के सामने हाथ में जल भरकर व्रत का संकलप लें। व्रत का संकल्‍प लेते समय इस मंत्र का जाप करें :

करिष्‍यं महालक्ष्मि व्रतमें त्‍वत्‍परायणा।

तदविध्‍नेन में यातु समप्तिं स्‍वत्‍प्रसादत:।।

पूजन सामग्री में चंदन, ताल, पत्र, पुष्‍प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल और नाना प्रकार के भोग एवं मिठाई रखी जाती है। नए सूत 16-16 की संख्‍या में 16 बार रखा जाता है और इसके बाद उपरोक्‍त मंत्र का उच्‍चारण करें।


Book Your Shradh Puja Package Now: Shradh Puja 2018


व्रत पूरा हो जाने के बाद वस्‍त्र से एक मंडप का निर्माण किया जाता है। इसमें मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा स्‍थापित करें। मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को पंचामृत से स्‍नान करवाएं और इसके बाद सोलह प्रकार से पूजन किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा दें।

महालक्ष्‍मी पूजन में चार ब्राहृमण और 16 ब्राह्मणियों को भोजन करवाएं। इसके बाद ही यह व्रत पूर्ण होता है। इस व्रत को करने वाले व्‍यक्‍ति को अष्‍ट लक्ष्‍मी की प्राप्‍ति होती है। 16वें दिन इस व्रत का उद्यापन किया जाता हैं। जो व्‍यक्‍ति 16 दिन तक इस व्रत को नहीं कर सकता है वह तीन दिन तक भी इस व्रत को कर सकता है।

mahalaxmi-kuber Mahalaxmi Kuber Yantra
Price: 150 Buy Now mahalaxmi Sampoorn Maha Laxmi Chowki
Price: 2100 Buy Now

व्रत के तीन दिनों में पहला दिन, व्रत का आठवां दिन और व्रत के सोलहवें दिन का प्रयोग किया जा सकता है। अगर कोई व्‍यक्‍ति सोलह साल तक लगातार महालक्ष्‍मी व्रत करता है तो उसे इस व्रत के प्रभाव से शुभ फल की प्राप्‍ति होती है। इस व्रत में अन्‍न ग्रहण नहीं किया जाता है और सिर्फ दूध, फल, मिठाई का सेवन किया जाता है।

महालक्ष्‍मी व्रत कथा

महालक्ष्‍मी व्रत को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। प्राचीन समय की बात है, एक बार एक गांव में एक गरीब ब्राहृमण रहता था। वो ब्राहृमण रोज भगवान विष्‍णु की पूजा करता था और उसकी भक्‍ति से प्रसन्‍न होकर एक बार भगवान विष्‍णु ने उसे दर्शन दिए। विष्‍णु जी ने ब्राह्मण से कोई वरदान मांगने को कहा।

ब्राह्मण ने कहा कि वो चाहता है कि उसके घर में लक्ष्‍मी का वास हो। इस इच्‍छा को जानने के बाद विष्‍णु जी ने उसे लक्ष्‍मी प्राप्‍ति का मार्ग बताया और कहा – मंदिर के सामने एक स्‍त्री आती है जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना। वह स्‍त्री देवी लक्ष्‍मी का स्‍वरूप है।

मां लक्ष्‍मी तुम्‍हारे घर आएंगीं तो तुम्‍हारा घर धन-धान्‍य से भर जाएगा। इतना कह कर विष्‍णु जी चले गए। अगले दिन सुबह चार बजे ब्राह्मण मंदिर के सामने बैठ गया और जब लक्ष्‍मी जी उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्‍मी जी समझ गईं कि ये सब विष्‍णु जी ने किया है।

मां लक्ष्‍मी ने ब्राहृमण से कहा कि तुम महालक्ष्‍मी व्रत करो और 16 दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात को चंद्रता को अर्घ्‍य देने से मैं तुम्‍हारे घर आऊंगीं। देवी के कथन अनुसार ब्राहृमण ने देवी का व्रत एवं पूजन किया और उत्तर की दिशा की ओर मुख करके लक्ष्‍मी जी को पुकारा। अपने वचन को पूरा करने के लिए लक्ष्‍मी जी प्रकट हुईं। तभी से इस दिन श्री महालक्ष्‍मी व्रत को इस विधि से श्रद्धा भाव से किया जाता है।

महालक्ष्‍मी का ये व्रत थोड़ा कठिन जरूर हैं लेकिन अगर आप धन प्राप्‍ति की कामना रखते हैं तो इस व्रत से आपको अत्‍यंत लाभ होगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जन्‍मों-जन्‍मों तक की दरिद्रता दूर हो जाएगी और आपके सारे कष्‍ट भी दूर होंगें।

महालक्ष्‍मी व्रत के दौरान आपको कुछ बातों का ध्‍यान रखना भी जरूरी है। पान के पत्तों से सजे कलश में पानी भरकर मंदिर में रखें और कलश के ऊपर नारियल भी रखें। मां लक्ष्‍मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। मां लक्ष्‍मी को कमल के पुष्‍प अतिप्रिय हैं इसलिए इनकी पूजा में कमल के फूलों का प्रयोग जरूर करें।

महालक्ष्‍मी व्रत के दौरान लक्ष्‍मी पूजन में सोने-चांदी के सिक्‍के, मिठाई और फल आदि जरूर रखें। इसके पश्‍चात् मां लक्ष्‍मी के आठ रूपों की मंत्रों, कुमकुम, अक्षत और पुष्‍प चढ़ाते हुए पूजा करें।

मां लक्ष्‍मी के इन आठ रूपों की पूजा की जाती है – श्री धन लक्ष्‍मी मां, श्री गज लक्ष्‍मी मां, श्री वीर लक्ष्‍मी मां, श्री ऐश्‍वर्य लक्ष्‍मी मां, श्री विजय लक्ष्‍मी मां, श्री आदि लक्ष्‍मी मां, श्री धान्‍य लक्ष्‍मी मां और श्री संतान लक्ष्‍मी मां।

इन आठ स्‍वरूपों की पूजा करने से आपके जीवन के सभी आर्थिक कष्‍ट दूर होंगें और आप जीवन सुखमय और संपन्‍न बन जाएगा।


Book Your Shradh Puja Package Now: Shradh Puja 2018

If you have any enquiry to be clarified, please mail us to:-

mail@futurepointindia.com

You may also call us at :-

Phone: 011-40541000/1021/1010