दीपावली के शुभ अवसर पर इस तरह करें लक्ष्‍मी-गणेश पूजन | Future Point

दीपावली के शुभ अवसर पर इस तरह करें लक्ष्‍मी-गणेश पूजन

By: Future Point | 24-Oct-2018
Views : 9303दीपावली के शुभ अवसर पर इस तरह करें लक्ष्‍मी-गणेश पूजन

हिंदू धर्म में अनेक त्‍योहार मनाए जाते हैं जिनमें से दीपावली सबसे महत्‍वपूर्ण मानी जाती है। हर साल बड़ी धूमधाम से दीवापली का पर्व मनाया जाता है। कार्तिक मास की अमावस्‍या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। धन आगमन के लिए इस पर्व को बहुत ही शुभ माना जाता है। धन की देवी मां लक्ष्‍मी और शुभता के प्रतीक भगवान गणेश की पूजा के लिए दीपावली का पर्व बहुत शुभ होता है।

दीपावली पूजन 2018 शुभ मुहूर्त

दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से सदा के लिए घर में मां लक्ष्‍मी का वास होता है। अमावस्‍या तिथि की अर्ध रात्रि को महालक्ष्‍मी पूजन को श्रेष्‍ठ माना जाता है। अगर किसी कारणवश आप अमावस्‍या की अर्धरात्रि को पूजा नहीं कर सकते हैं तो प्रदोष व्‍यापिनी तिथि को पूजा करें। लक्ष्‍मी गणेश पूजन और दीप दान के लिए प्रदोश काल का समय शुभ रहता है।

प्रदोष काल का मुहूर्त 2018

दिल्‍ली में 17.30 से 20.11 तक प्रदोष काल रहेगा। इस समय में दीपावली के पूजन का शुभ मुहूर्त है। प्रदोष काल में भी स्थिर लग्‍न समय सबसे उत्तम रहता है और इस दिन 17.59 से 19.53 तक वृष लग्‍न रहेगा। प्रदोष काल व स्थिर लग्‍न दोनों रहने से मुहूर्त शुभ रहेगा।

दीपावली पूजन 2018
लक्ष्‍मी–गणेश पूजन का मुहूर्त : 17.57 से 19.53 तक
अवधि : 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल का समय : 17.27 से 20.06 तक
वृषभ काल का समय : 17.57 से 19.53 तक
अमावस्‍या तिथि का आरंभ : 22.27 बजे
अमावस्‍या तिथि का समापन : 7 नवंबर को 21.31 बजे तक

दीपावली की पूजन सामग्री

दीपावली के अवसर पर लक्ष्‍मी-गणेश के पूजन में केसर, रोली, चावल, सुपारी, फल, पुष्‍प, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, सूखे मेवे, मिठाई और दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, दीपक, रूई, कलावा, नारियल और तांबे का कलश रखें।

दीपावली की पूजन विधि

दीपावली की रात्रि को मां लक्ष्‍मी के चित्र के सामने एक चौकी रखें और उस पर मौली बांधें। इस चौकी पर भगवान गणेश की और मां लक्ष्‍मी की मिट्टी या चांदी की प्रतिमा स्‍थापित कर। लक्ष्‍मी–गणेश के तिलक लगाएं। अब चौकी पर 6 चौमुखे और 26 छोटे दीयों में तेल-बत्ती डालकर उन्‍हें जलाएं। अब जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप से पूजन करें। एक छोटा और एक चौमुखा दीपक रखकर मां लक्ष्‍मी का पूजन करें। पूजन के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें।

दीपदान का महत्‍व

दीपावली के दिन दीपदान भी किया जाता है। दो अलग-अलग थाली में 6 चौमुखे दीपक रखें। इन सभी दीयों को जलाकर जल, रोली, खील, बताशे, चावल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से पूलन करें। एक चौमुखा दीपक लक्ष्‍मी-गणेश के पास रखें।

आय के मार्ग प्रशस्‍त करने के लिए मां लक्ष्‍मी के पूजन में गन्‍ना, कमल के फूल, कमलगट्टे, आंवला और खीर का प्रयोग करें। मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए दीपावली व अन्‍य दिनों पर लक्ष्‍मी मंत्रों का जाप कमलगट्टे की माला से करें। इस गरीबों की मदद और दान करने से भी लाभ होता है।