कोरोना वायरस व ज्योतिषीय गणना: इस महामारी से बचने के लिए करें दुर्गाष्टमी नवमी पे महाउपाय
By: Future Point | 01-Apr-2020
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राहु केतु को सक्रमण, वैक्टीरिया, वायरस, और इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियां व छुपी हुई सभी बिमारियों का कारक ग्रह माना गया है। बृहस्पति जीव व जीवन का कारक ग्रह है, व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जब भी बृहस्पति के साथ राहु या केतु का योग होता है, युति होती है, तब ऐसे समय में संक्रमण रोग और ऐसी बीमारियां फैलती हैं| जिनका समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है। राहु फैलाव का कारक ग्रह है और इससे जुडी बिमारियों का समाधान फिर भी मिल जाता है। लेकिन केतु को गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है। जब भी बृहस्पति और केतु का योग बनता है, तो ऐसे में इस तरह के रहस्यमय संक्रमण रोग सामने आते हैं।
जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता, इस तरह की ही तो स्थितियां बन रही हैं इस समय कोरोनावायरस को फैलाने में केतु की सबसे ज्यादा भूमिका है| 6 मार्च 2019 से केतु धनु राशि में चल रहे हैं, और उसके बाद 4 नवम्वर 2019 को गुरु का प्रवेश भी धनु राशि में हो गया, जिससे गुरु और केतु का योग बन गया था, जो कि रहस्यमयी संक्रमण रोगों को उत्पन्न करता है, कोरोनावायरस जैसे रोगों को उत्पन्न करता है| कोरोनावायरस का पहला केस नवम्वर 2019 के महीने में ही सामने आया था, इसके बाद में एक और नकारात्मक ग्रह स्थिति बनी, जो था 26 दिसंबर को होने वाला सूर्यग्रहण, जिसने कोरोनावायरस को एक महामारी के रूप में बदल दिया, 26 दिसंबर को होने वाला सूर्यग्रहण सामान्य नहीं था, क्योंकि सूर्य भी उस दिन धनु राशि में अन्य पांच ग्रहों के साथ में था, अर्थात सूर्य चद्र्मा, बुध, गुरु, केतु, शनि के साथ होने से षडग्रही योग बना था।
जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बहुत तीव्र हो गया और इस सूर्यग्रहण के ठीक 14 दिन बाद चंद्रग्रहण भी पड़ा और ये सभी ग्रह फिर से राहु केतु और शनि से पीड़ित हुए| भारत में इसका प्रभाव CAA और NRC के विरोध के रूप में की गई हिंसा के रूप में दिखा, साथ ही कोरोनावायरस के मामले भी बढ़ते चले गये|
ज्योतिष के अनुसार सात्विक ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, बृहस्पति जब कमजोर अवस्था में होते हैं, तब-तब धर्म की हानि होती है, प्रलय की स्थिति उत्पन्न होती है| ज्योतिष विज्ञानं की दृष्टि से कोरोनावायरस जैसे संकट तब उत्पन्न होते हैं| जैसे ही 15 जनवरी को केतु अपने मूल नक्षत्र में पहुंचे कोरोनावायरस ने रंग दिखाना शुरू कर दिया, और सम्पूर्ण विश्व में फैलना शुरू हुआ केतु 23 सितम्बर 2020 तक धनु राशि में ही गोचर करेंगे और यह समय सावधानी रखने का है| अर्थात 23 सितम्बर 2020 तक आपको हर हालत में सावधान रहना पड़ेगा, क्योंकि बृहस्पति और केतु की युति इस समय तक रहेगी| राहु, सूर्य व चन्द्रमा को नुकसान पहुंचता है, और केतु नक्षत्रों को नुकसान पहुंचता है| इस पुरे समय में राहु प्रलय के नक्षत्र आर्द्रा में चल रहे हैं| 20 मई 2020 तक ये इसी नक्षत्र में रहेंगे, और गुरु का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जाना भी परेशानी में डालता है और मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है, क्योंकि वृद्धि का कारक ग्रह गुरु ही है|
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करोनवायरस महामारी से मुक्ति-
29 मार्च शाम को बृहस्पति का मकर राशि में प्रवेश होगा, जहाँ शनि मंगल का विष्फोटक योग बन रहा है, क्योंकि मंगल अग्नि तत्व ग्रह है, और शनि वायु तत्व, वायु अग्नि को बढ़ाने का काम करती है, और वहीँ गुरु भी मकर राशि में नीच के होते हैं, यह वृद्धि के कारक हैं, जिस कारण कोरोनावायरस महामारी में वृद्धि होने के ही संकेत हैं, शनि, मंगल, गुरु इन तीनों ग्रहों की युति इस महामारी को बढ़ाने का ही काम करेगी, सूर्य आरोग्यता के कारक हैं,
लेकिन वर्तमान समय में शनि, मंगल, गुरु यह तीनों ग्रह सूर्य के नक्षत्र में होने से रोगोत्पत्ति में वृद्धि होगी, और राहु केतु भी अपने नक्षत्र में अधिक प्रबल होने के कारण इस महामारी को फैलाने का ही काम करेंगे| शनि मंगल की युति मेडिकल व रिसर्चे के कार्यों में सफलता दिलाएगी, और इस वायरस पर काबू करने की एंटीडॉट बनने की क्षमता प्रबल हो जाएगी, लेकिन शनि मंगल विष्फोटक ग्रह हैं शनि व मंगल का संयोग अग्निकांड, दुर्घटना, रोगोत्पत्ति, और देशों का आपसी मतभेद या युद्ध की स्थिति भी बना सकती है| 20 मई 2020 तक राहु अपने आर्द्रा नक्षत्र में रहेंगे, यहाँ तक इस कोरोनावायरस के फैलने का अधिक खतरा है, लेकिन इस कोरोनावायरस से पूरी तरह मुक्ति सितम्वर के मध्य में जब राहु केतु का राशि परिवर्तन होगा तभी मिलेगी| लेकिन गुरु नैसर्गिक शुभ ग्रह है, यह उदारता का परिचय देते हुए व्यक्ति को सही मार्ग पर आने का रास्ता दिखेंगे।
इस महामारी से बचने के महाउपाय-
अष्टादश पुराणों में मार्कण्डेय पुराण में ब्रह्माजी ने मनुष्यों के रक्षार्थ परमगोपनीय दुर्गा सप्तशती साधना, कल्याणकारी देवी कवच एवं परम पवित्र उपाय संपूर्ण प्राणियों को बताया, जो देवी की नौ मूर्तियाँ-स्वरूप हैं, जिन्हें 'नव दुर्गा' कहा जाता है, उनकी आराधना चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक की जाती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ मनोरथ सिद्धि के लिए किया जाता है; क्योंकि श्री दुर्गा सप्तशती दैत्यों के संहार की शौर्य गाथा से अधिक कर्म, भक्ति एवं ज्ञान की त्रिवेणी हैं। यह श्री मार्कण्डेय पुराण का अंश है। यह देवी महात्म्य धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने में सक्षम है। सप्तशती में कुछ ऐसे भी स्रोत एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत पारायण से इच्छित मनोकामना व बड़ी से बड़ी महामारी से मुक्ति मिलती है। सप्तशती में रोग, महामारी के शमन के लिए और विश्वकल्याण के लिए भी मंत्र का उल्लेख किया गया है।
दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के नवचण्डी पाठ को करने से बड़ी से बड़ी महामारी से मुक्ति मिलती है|
विषाणुजन्य रोगों से मुक्ति-
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
दुर्गाअष्टमी व नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के इस मन्त्र से पाठ और हवन करवाएं, इससे आप अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं इस मंत्र के बारे में सप्तशती में बताया गया है कि इसका नियमित जप किया जाए तो साधक का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। बड़ी से बड़ी महामारी से रक्षा होती है
महामारी जैसे रोगों से मुक्ति-
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र बहुत ही कल्याणकारी माना गया है। इस मंत्र का जाप और हवन दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन करने से महामारी से लड़ने का बल प्राप्त होता है| सप्तशती में बताया गया है कि इस मंत्र के जप से महामारी का प्रकोप दूर होता है|
विघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेशवरी।
एवमेवत्यायाकार्यमस्मद्वैरि विनाशनम्॥
इस मन्त्र का जाप और हवन दुर्गाष्टमी व नवमी के दिन करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और बड़े से बड़ा रोग समाप्त हो जाता है|
याद रखिये पूरी दुनियां के लिए आप एक व्यक्ति हैं लेकिन अपने परिवार के लिए पुरी दुनियाँ हैं गौर करें और समझें गंभीर बनें और अपने को सुरक्षित रखें।