बुजुर्गों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए इन वास्तु टिप्स का रखें ध्यान
By: Future Point | 19-Oct-2018
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परिवार में बुजुर्ग एक ऐसी धुरी होते हैं जिनके अनुभव पर पूरा घर टिका होता है। घर में बड़े-बुजुर्ग हों तो किसी बात की चिंता नहीं रहती है। परिवार में बुजुर्गों की सेहत बिगड़ जाए तो तनाव सबसे ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इस उम्र में उनकी इम्युनिटी पॉवर इतनी नहीं होती है कि वो रोगों से लड़ पाएं। वो सेहतमंद रहेंगें तो आपको भी टेंशन नहीं होगी।
अगर आपके घर-परिवार में कोई बुजुर्ग हमेशा बीमार रहता है या उन्हें कोई ना कोई बीमारी परेशान करती रहती है तो इसका कारण घर का वास्तुदोष भी हो सकता है।
पूर्व दिशा का स्वास्थ्य संबंध
घर की पूर्व और दक्षिण पश्चिम दिशा का संबंध बुजुर्गों की सेहत से होता है। अगर इस दिशा में कोई वास्तुदोष है, उनका शयनकक्ष गलत दिशा में है या कमरे के अंदरूनी हिस्सों में कोई वास्तुदोष है तो इसका बुरा असर पूरे परिवार की सेहत के साथ बुजुर्गों के स्वास्थ्य और उनकी आयु पर भी पड़ता है।
बुजुर्गों के कमरे में इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान :
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर का दक्षिण पश्चिम हिस्सा ऊंचा और भारी होना चाहिए। इस स्थान पर आप कोई भारी वस्तु भी रख सकते हैं। इस हिस्से में शुभता रखने से घर के बुजुर्गों की सेहत और परिवार में उनका महत्व दोनों बना रहता है।
बुजुर्गों के साथ-साथ परिवार की उत्तम सेहत के लिए घर का पूर्वी हिस्सा हमेशा खुला और हवादार होना चाहिए। इस हिस्से को साफ और स्वच्छ रखें। यहां पर धूप आती रहनी चाहिए। इस दिशा में अगर खिड़कियां हो तो शुभ रहता है। खिड़कियों से आने वाली हवा से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती रहती है।
घर की इस दिशा में स्टोर रूम, शौचालय, सीढियां, लंबे पेड़ आदि नहीं होने चाहिए। इससे बड़े बुजुर्गों और बच्चों की सेहत पी गलत असर पड़ता है।
किस दिशा में होना चाहिए बुजुर्गों का कक्ष
परिवार के मुखिया और बुजुर्गों का कमरा घर की दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना शुभ रहता है। अगर घर के बुजुर्ग रिटायर हो चुके हैं और पूजा-पाठ आदि में अधिक समय बिताते हैं तो उनका कक्ष पूर्वोत्तर, पूर्व या उत्तर की दिशा में होना चाहिए।
अगर परिवार में किसी बुजुर्ग का कमरा आग्नेय कोण यानि दक्षिण पूर्व दिशा में है तो इससे पारिवारिक कलह उत्पन्न होती है। वहीं अगर उनका कमरा वायव्य कोण यानि उत्तर-पश्चिम दिशा में हो तो उनके बीमार पड़ने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। बिस्तर पर सोते समय पूर्व दिशा की ओर सिर रखना चाहिए। दक्षिण दिशा में भी सिर रखकर सो सकते हैं।
बिस्तर पर बैठकर भोजन करना होता है नुकसानकारी
- बढ़ती उम्र में सेहत से जुड़ी समस्याएं होना आम बात है। सभी तरह के मेकिल पेपर, रिपोर्ट, पर्चे और दवाओं को उत्तर या उत्तर पूर्व की दिशा में अलमारी में रखें।
- अगर आप ये सब सामान दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखते हैं तो इससे आपकी सेहत बिगड़ सकती है।
- बुजुर्गों के सेहत के लिए उनके कमरे का रंग हल्का हरा होना चाहिए। इस रंग को उनकी सेहत के लिए सबसे अधिक शुभ माना जाता है। उनके पलंग की चादर और कमरे के पर्दों का रंग भी हरा ही रखें।
- इसके अलावा वास्तुशास्त्र के अनुसार बुजुर्गों को पलंग पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से रोगों की संभावना बढ़ जाती है। जमीन पर बैठकर भोजन करना उचित माना गया है। अगर आप जमीन पर बैठकर खाना नहीं खा सकते तो डाइनिंग टेबल या किसी अन्य मेज पर खाना खाएं।
अन्य वास्तु टिप्स
- घर के केंद्र स्थान में आने-जाने का रास्ता बना सकते हैं। इस हिस्से में डाइनिंग टेबल भी रख सकते हैं लेकिन इस जगह कोई भारी सामान ना रखें।
- दक्षिण-पूर्वी दिशा घर की महिलाओं और बच्चों की सेहत को प्रभावित करता है। घर के बुजुर्गों की सेहत भी इस दिशा से जुड़ी होती है। इन दोनों दिशाओं में ढलान, भूमिगत तंबू, जल निकासी व्यवस्था या दरारें आदि होना वास्तुदोष उत्पन्न कर रोग बढ़ाते हैं।
- घर की हर दिशा महत्वपूर्ण होती है। उत्तर-पूर्व दिशा में कूडेदान, टॉयलेट या गोदाम आदि नहीं होना चाहिए। इस हिस्से को साफ और स्वच्छ रखें। अपने घर की किचन में किसी भी तरह की दवा ना रखें। ऐसा करने से आप रोगों को अपने घर निमंत्रण दे रहे हैं।
- वास्तुशास्त्र के अनुसार रसोई और सेहत का आपस में संबंध होता है। अगर घर में अग्नि क्षेत्र नहीं है तो वहां रहने वाले लोगों की सेहत खराब हो सकती है। अपने घर में रसोई का निर्माण पूर्वी हिस्से में करवाएं।
- घर की बाउंड्री वॉल को दरवाजे की समान ऊंचाई का होना चाहिए। इस दरवाजे की किसी भी तरफ पौधे लगाना घर में रहने वाले लोगों की सेहत को खराब करना है।
- अगर आप अपने घर-परिवार के सभी सदस्यों और बुजुर्गों की सेहत का ख्याल रखना चाहते हैं और उन्हें रोगों से मुक्त रखना चाहते हैं तो इन वास्तु टिप्स को जरूर ध्यान में रखें।