पीड़ित बृहस्पति
By: Vinay Garg | 11-Oct-2017
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शुभ ग्रहों में बृहस्पति अत्यधिक शुभ है लेकिन जब स्वयं पीड़ित होता है तब सम्बन्धित व्यक्ति बहुत ही परेशान होता है.मान-सम्मान तथा धनहीन और मुर्ख जैसी स्तिथि हो जाती है.
अनुभव में आया है कि बृहस्पति सूर्य के साथ होकर जब अस्त होता है.तथा राहू के साथ युति होती है इन परिस्तिथियों में बृहस्पति स्वयं बहुत तनाव व कष्ट में रहता है.
राहू के साथ युति में चांडाल योग की रचना बनती है जिसके कारण बृहस्पति के शुभता में आंच आती है एक तरह से बृहस्पती से सम्बन्धित फलों का क्षरण हो जाता है.राहू को क्रूर व राक्षसी स्ववभाव के कारण बृहस्पति के आचरण में भी परिवर्तन होते हैं व्यक्ति की सोच व स्वभाव में सात्विकता में कमी आ जाती है ,जीवन में धोका,फरेब व विश्वासघात बहुत देखने को मिलता है.
नीच का बृहस्पति जिस भाव में होगा उस भाव की हानि करेगा.जैसे,,,सप्तम में नीच का बृहस्पती हो सकता है 2 विवाह करा दे.तो कोई अचरज की बात नहीं है
लेकिन सप्तम में यदि इन्ही की राशि है तो केन्द्रीय दोष के साथ साथ मारक भी बन जायेंगें.