2019 स्वतंत्रता दिवस पर विशेष ।
By: Future Point | 13-Aug-2019
Views : 8310
15 अगस्त के दिन को हमारे भारत में स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन (15 अगस्त 1947) देश को अंग्रेजों के अत्याचारों से आजादी मिली थी, इसीलिए इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, स्वतंत्रता दिवस भारत के नागरिकों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह दिन हमे आजादी के लिए स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए त्याग और बलिदान की याद दिलाता है।
भारत में स्वतंत्रता दिवस का महत्व -
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त , भारत के नागरिकों के लिए एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह वह दिन है जो हमे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों की याद दिलाता है अतः यह हमारे अंदर देशभक्ति की भावना के साथ देश के लिए कुछ कर दिखाने की भावना को भी उत्तेजित करता है।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान
भारत दशकों से ब्रिटिश शासन के अधीन था उस दौरान अंग्रेजों के अत्याचार समय के साथ बढ़ते चले जा रहे थे, बाल गंगाधर तिलक, शहीद भगत सिंह, महात्मा गांधी, सरोजिनी नायडू, रानी लक्ष्मी बाई और सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में, भारत के नागरिको ने एकजुट होकर अपनी आजादी के लिए संघर्ष किया, स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व द्वारा बहुत से आंदोलनों, स्वतंत्रता संग्रामों की शुरुआत की गई, इन आंदोलनों के कारण कई लोगों को अपने प्राणों की आहुती देनी पड़ी तो कईयों को जेल जाना पड़ा, हालांकि, फिर भी लोगों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ने की अपनी इस भावना को नहीं छोड़ा, स्वतंत्रता दिवस पर यह हमें उनके उन बलिदानों की याद दिलाता है और हमारे देश के नागरिकों के लिए विशेष महत्व रखता है. भारत के लोग उन लोगों के आभारी हैं जिन्होंने अपने देश की आजादी में अपना योगदान दिया इसलिए प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को हम भारतीय स्वतंत्रता दिवस मनाते आजादी, जो हमारी इतनी कठिनतापूर्वक प्राप्त आजादी को दर्शाता हैं, इसीलिए यह दिन हर भारतीय के लिए विशेष महत्व रखता है।
स्वतन्त्रता दिवस का इतिहास-
भारत के नागरिक दशकों से ब्रिटिश शासन के अधीन थे, उस दौरान ब्रिटिश अधिकारियों ने देश के नागरिको की संपत्ति को लूट लिया था और उनसे दुर्व्यवहार किया करते थे, भारत, जिसे सोने की चिड़िया के रूप में जाना जाता था, वह अंग्रेजों के इस अत्याचार के और शोषण का दुखः झेल रहा था, अंग्रेजों द्वारा भारत के नागरिकों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था, वे भारतीयों से कड़ी मेहनत करवाते थे और उसके लिए उन्हें कम मेहनताना देते थे, जिससे लोग असहाय महसूस करने के बावजुद भी अपनी जरुरतो को पूरा करने के लिए अंग्रेजों के कठोर निर्देशों का पालन किया करते थे, हालांकि अपनी आजादी के लिए, हमे अपने भारतीय क्रांतिकारियों का आभार व्यक्त करना चाहिए, जिन्होंने साहस के साथ अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई तथा कई अन्य लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया. ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह व्यक्त करने के लिए समय-समय पर कई विरोध प्रदर्शन और रैलियों का आयोजन किया जाता था, महात्मा गांधी जैसे कई क्रांतिकारी जिन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया तो वहीं कई अन्य ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आक्रामक मार्ग का चयन किया, इन दोनों प्रकार के क्रांतिकारियों के संयुक्त प्रयासों के साथ भारत को अंततः 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली और तभी से इस दिन को प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, यह दिन पूरे देश में बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भारत की आजादी से जुडी हुई बातें –
- ये बात उन दिनों की है जब भारत में सन् 1946 में, ब्रिटेन कीलेबर पार्टी (सरकार) का राजकोष, हाल ही में समाप्त हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बुराहाल हो गया था, तभी ब्रिटिश को एहसास हुआ कि न तो उनके पास घर पर जनादेश था और न ही अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जिसके कारण वे तेजी से बेचैन होते भारत को नियंत्रित करने के लिए देसी बलों की विश्वसनीयता भी खोते जा रहे थे।
- फ़रवरी 1947 में प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने ये घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 से ब्रिटिश भारत को पूर्ण आत्म-प्रशासन का अधिकार प्रदान करेगी।
- अंतिम वायसरायलॉर्ड माउंटबेटन ने राजपाठ को वापस भारत को देने की तारीख को आगे बढ़ा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लगातार विवाद के कारण अंतरिम सरकार का पतन हो सकता है।
- ब्रिटिश सरकार ने सत्ता हस्तांतरण की तिथि के रूप में, द्वितीय विश्व युद्ध, में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी सालगिरह 15 अगस्त को चुना।
- ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश भारत को दो राज्यों में विभाजित करने के विचार को 3 जून 1947 को स्वीकार कर लिया व ये भी घोषित किया कि उत्तराधिकारी सरकारों को स्वतंत्र प्रभुत्व दिया जाएगा और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।
- यूनाइटेड किंगडम (U.K.) की संसद के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (10 और 11 जियो 6 सी. 30) के अनुसार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी (अब बांग्लादेश सहित) ब्रिटिश भारत को “भारत और पाकिस्तान” नामक दो नए स्वतंत्र उपनिवेशों में विभाजित किया और नए देशों के संबंधित घटक असेंबलियों को पूरा संवैधानिक अधिकार दे दिया।