शनि गोचर - 2019
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि न्याय, कर्म, नौकरी और परिश्रम का कारक है। शनि का प्रभाव मनुष्य के करियर और आजीविका पर पड़ता है। अन्य सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि न्याय, कर्म, नौकरी और परिश्रम का कारक है। शनि का प्रभाव मनुष्य के करियर और आजीविका पर पड़ता है। अन्य सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलते हैं। यही वजह है कि शनि से संबंधित परिणाम ठोस और स्थिर होते हैं। शनि देव उनकी मदद करते हैं जो स्वयं की सहायता करते हैं या जो मेहनती होते हैं। ज्योतिषशास्त्र में शनि ग्रह को सबसे अधिक शक्तिशाली ग्रह माना गया है। शनि देव को इसलिए भी सबसे ज्यादा प्रभावी माना गया है क्योंकि हमारे जीवन पर शनि देव का असर सबसे ज्यादा पड़ता है। ढैय्या यानि ढाई साल और साढ़ेसाती यानि सात साल, इतने समय के लिए ही शनि किसी राशि में गोचर करता है और जब शनि किसी राशि में साढ़ेसाती या ढैय्या होकर बैठता है तो उस व्यक्ति का मुश्किल समय शुरु हो जाता है। शनि देव को पाप एवं क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है।
जो जैसा कर्म करता है शनि देव उसे वैसा ही फल देते हैं। जिन पर शनि देव की अशुभ दृष्टि पड़ जाए उनका अनिष्ट हो जाता है। इस वजह से ही शनि देव को एक क्रूर ग्रह माना गया है। एक राशि में शनि ढाई वर्ष तक रहते हैं और इसी वजह से शनि का गोचर काफी अहम और महत्वपूर्ण माना जाता है। शनि के एक राशि से दूसरी राशि में जाने पर कुछ राशियों से ढैय्या और साढ़ेसाती समाप्त होती है तो कुछ पर इसका आरंभ हो जाता है। जब शनि देव चंद्र लग्न से चौथे, सप्तम या दसचें भाव में गोचर करते हैं तो उसे कंटक शनि के नाम से जाना जाता है। कंटक शनि की स्थिति मानसिक तनाव उत्पन्न करती है। ये जीवन को अव्यवस्थित करती है और कई प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है। शनि के चंद्र लग्न से चौथे भाव में गोचर करने पर जातक के स्थान में परिवर्तन होता है।
शनि जीवन में परिश्रम का पाठ सिखाते हैं। इनकी कृपा से मनुष्य अनुशासित और ईमानदार बनता है। शनि देव सूर्य एवं छाया के पुत्र हैं। ज्योतिषशास्त्र में उन्हें मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है। सूर्य, चंद्रमा और मंगल शनि के शत्रु समान हैं। बुध और शुक्र मित्र एवं गुरु समभाव रखते हैं। शनि के गोचर करने पर 12 राशियों पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं कि शनि गोचर 2019 का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
साल 2019 में कर्म के स्वामी शनि देव धनु राशि में गोचर करेंगें। इस गोचर के दौरान शनि 30 अप्रैल को वक्री होंगें और इसके बाद 18 सितंबर को धनु राशि में वापिस मार्गी हो जाएंगें। इस साल 20 जनवरी के तक शनि ग्रह अस्त रहेगा और इसका प्रभाव भी कम हेा जाएगा। साल के अंत में 27 दिसंबर को शनि पुन: अस्त होगा और 31 जनवरी, 2020 तक इसी स्थिति में रहेंगें। साल 2019 में शनि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में रहेंगें और 27 दिसंबर 2019 को उत्तराषाढा नक्षत्र में प्रवेश करेंगें। आइए जानते हैं कि शनि गोचर 2019 का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा और ये आपके करियर, नौकरी, शिक्षा और पारिवारिक जीवन को किस तरह प्रभावित करेगा।
नोट: ये ज्योतिषीय गणना चंद्र राशि पर आधारित है।