उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का फल
उत्तरा भाद्रपद आकाश मंडल में 26वाँ नक्षत्र है। यह मीन राशि के अंतर्गत आता है। इसे दू, थ, झ नाम से जाना जाता है। राशिचक्र में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की स्थिति मीन राशि में 3 अंश 20 कला से 16 अंश 40 कला तक आती है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र को दो तारों के रुप में पहचाना जा सकता है। यह नक्षत्र एक पलंग या मंच की आकृति के समान दिखाई देता है। यह एक सोफ़े के पिछले पाये की तरह दिखायी देता है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार यह नक्षत्र शयन या मृत्यु शय्या का पांव माना जाता है। एक अन्य मत से यह नक्षत्र शुभ पाँव वाला है, यह योग व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति के निकट लेकर जाता है। इस योग से युक्त व्यक्ति शनि की दशा में ज्ञान और वैराग्य की ओर उन्मुख होता है। इस नक्षत्र को संतुलित नक्षत्र माना जाता है, इसी कारण इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव में संतुलन बना रहता है। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अहिर्बुध्न्य या अहिबुद्धन्य हैं और लिंग पुरुष है।
यह नक्षत्र गुरु की मीन राशि के अंतर्गत आता है इस नक्षत्र का स्वामी शनि है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र क्रोध को नियंत्रण करने वाला है। उत्तरा भाद्रपद सब छोड़कर आध्यात्मिक जगत की प्रगति का प्रतीक है। यह द्वि आकृति का नक्षत्र है। यह स्थाईत्व और निर्माण का द्योतक है। यह एक स्थिर नक्षत्र भी माना जाता है। इसमें गृह निर्माण व अन्य कर्म शुभ होते है।
व्यक्तित्व -
यदि आपका जन्म उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में हुआ है तो आप परोपकारी, प्रियवक्ता, विद्वान, अच्छी संतान से युक्त, तथा परिस्थितियों के अनुसार सोच विचार के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचते हो। आप समझदारीपूर्ण फैसले लेने में अच्छे होते हैं। आपका स्वभाव भी कुछ रहस्य पूर्ण हो सकता है आप अपने विचारों को जल्द ही दूसरों के समक्ष नहीं रखते हो। आप समुद्र की तरह ही गंभीर, धैर्यशील, मर्यादाओं का पालन करने वाले हो। आप अपने रुप, गुण, विद्या, धन और स्वभाव से उत्सवों में सबको प्रसन्न रखने में सफल होते है। आपका व्यक्तित्व चुंबकीय और आकर्षक है तथा आपके चेहरे पर सदैव एक मुस्कान छाई रहती है। आप ज्ञानवान, बुद्धिमान व समझदार हैं। सभी के साथ आपका व्यवहार सम रहता है यानी आप ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं करते हैं। दूसरों को कष्ट देना व कष्ट में देखना आपको पसंद नहीं है। आपको अपने क्रोध पर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए। वैसे जब भी आपको क्रोध आता है तो वह क्षणिक होता है। मन से आप एकदम स्वच्छ व निर्मल हैं। जिनसे आप स्नेह करते हैं उनके लिए प्राण तक देने को तैयार रहते हैं। आपकी वाणी में मधुरता है व भाषणकला में आप दक्ष हैं। आपको शत्रुहंता कहा जा सकता है।
आपकी एक ख़ूबी यह है कि आप एक ही समय में विभिन्न विषयों में दक्षता प्राप्त कर सकते हैं। हालाँकि अगर आप अधिक शिक्षा नहीं भी प्राप्त करते तो भी आपका ज्ञान विभिन्न विषयों के बारे में किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति के समान ही होता है। ललित कलाओं में आपकी रुचि है और आप विस्तृत लेख व पुस्तकें लिखने में भी सक्षम हैं। अपनी असाधारण योग्यता और क्षमता के कारण आप अपने हर कार्य क्षेत्र में ख्याति प्राप्त कर सकते हैं। आलस्य का आपके जीवन में कोई महत्व नहीं है। जब आप किसी काम को करने की ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। असफलता हाथ लगने पर भी आप निराश नहीं होते हैं। आपको हवाई क़िले बनाना पसंद नहीं है यानी आप यथार्थ और सच में विश्वास रखते हैं। चारित्रिक रूप से आप काफ़ी मज़बूत हैं तथा विषय वासनाओं की ओर आकर्षित नहीं होते हैं।
आप कुशाग्रबुद्धि, दार्शनिक, शांतिप्रिय, समाज में प्रतिष्ठित उदार चित्त, सोच विचार कर कार्य करने वाले, तकनिकी कार्यों में सिद्धहस्त हैं। अपनी बातों पर आप क़ायम रहते हैं। जो कहते हैं वही करके दिखाते हैं। दया की भावना आपमें कूट-कूट कर भरी हई है। जब भी कोई कमज़ोर या लाचार व्यक्ति आपके सामने आता है तो आप उसकी मदद करने हेतु तैयार रहते हैं। धर्म के प्रति भी आपकी गहरी आस्था है व धार्मिक कार्यों से भी आप जुड़े रहते हैं। आप व्यापार करें अथवा नौकरी – दोनों ही स्थिति में सफल होंगे। आपकी सफलता का कारण है आपका कर्मयोगी होना यानी कर्म में विश्वास रखना। अपनी मेहनत और कर्म से आप ज़मीं से आसमाँ का सफ़र तय कर देंगे और सफलता की सीढ़ियों पर पायदान-दर-पायदान चढ़ते जायेंगे। अध्यात्म, दर्शन एवं रहस्यमयी विद्याओं में आप गहरी रुचि रखते हैं। समाज में आपकी गिनती एक विद्वान के रूप में की जाती है। सामजिक संस्थाओं से जुड़े होते हुए भी आप एकान्त में रहना पसंद करते हैं। आपकी प्रवृत्ति त्याग की ओर है तथा आप दान देने में विश्वास रखते हैं। समाज में अपने व्यक्तित्व के कारण आपको काफ़ी सम्मान एवं आदर प्राप्त है। आपकी प्रौढ़ावस्था सुख एवं आनन्द से व्यतीत होगी।
कार्य-व्यवसाय -
आपकी विभिन्न चीजों के प्रति रुचि और दक्षता होती है। आप अधिक पढ़े लिखे न भी हो पर आपमें ज्ञान पूर्ण रुप से व्याप्त होता है। ललित कलाओं में आपको विशेष लगाव होता है। लेखन से जुड़े काम आपको बेहतर लगते हैं। आप अपनी असाधारण योग्यता और क्षमता के कारण अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर करते हैं। आप आरंभ में छोटे या मध्यम पदों पर नियुक्त होते हैं लेकिन बाद में उच्च पदों को पाते हैं। आपके लिए ध्यान और योग से संबंधी काम, मेडिटेशन, चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ, सलाहकार, आध्यात्मिक योगी, तांत्रिक, तपस्वी, दान संस्था से जुड़ा होना, दार्शनिक, कवि लेखक, कलाकार, दुकान पर कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी, द्वारपाल, इतिहास वेत्ता, वसीयत या दान से प्राप्त धन से जीविका चलाना, यह सभी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र की आजीविका में आते हैं।
पारिवारिक जीवन -
आप अपनी जन्मभूमि से दूर रहकर जीवनयापन करेंगे। संभव है कि पिता से आपको ज़्यादा लाभ प्राप्त न हो और आपको बचपन में कुछ उपेक्षा महसूस हो। कई बार जीवन में परिस्थितियों में आए बदलाव के कारण उतार-चढ़ावों से भी गुजरना पड़ता है आपका वैवाहिक जीवन ख़ुशियों से भरा होगा। आपका जीवनसाथी अत्यंत योग्य होगा व आपकी संतान ही आपकी असली पूंजी होगी। विवाह के बाद आपका असली भाग्योदय होगा। आपकी संतान आज्ञाकारी, समझदार व बड़ों का आदर करने वाली होगी।
स्वास्थ्य -
यह आकाश मंडल में भचक्र का छब्बीसवाँ नक्षत्र है और शनि इसके स्वामी है। इस नक्षत्र के अन्तर्गत शरीर का दायां भाग स्वीकार किया जाता है। जिसमें टांग, मांस पेशियां, पद तल, पैर के पंजे आते हैं, इस नक्षत्र को पित्त कारक माना गया है। जन्म कुंडली में अथवा गोचर में इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर व्यक्ति को इसके अंतर्गत आने वाले शरीर से संबंधित अंगों की परेशानी से गुजरना पड़ सकता है। जातक को गठिया का दर्द, अपच, कब्ज या हार्निया की तकलीफ भी हो सकती है, वैसे तो आपका स्वास्थ्य सामान्यत: अच्छा ही रहता है लेकिन कई बार लापरवाही के चलते इन्हें बुरे प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।
उत्तरभाद्रपद नक्षत्र वैदिक मंत्र -
ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि गवं सो
निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) ।
ॐ अहिर्बुधाय नम:।
उपाय -
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक मां दुर्गा, और भगवान शिव की उपासना इस नक्षत्र के जातकों के लिए शुभफलदायक होती है।
गुरुवार के दिन आप अपने माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगा सकते हैं।
भगवान विष्णु का पूजन एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करना हितकारी होता है।
गुरुवार के दिन पीली वस्तुओं का दान करना उत्तम होता है।
इस नक्षत्र में पीले वस्त्र, पीले फल, चना, गुड़ तथा चने की दाल का दान करना शुभ होगा।
पीले और नीले रंग के वस्त्र धारण करना आपके लिए लाभदायक होता है।
अन्य तथ्य -
- नक्षत्र - उत्तरा भाद्रपद
- राशि - मीन
- वश्य - जलचर
- योनी - गौ
- महावैर - व्याघ्र
- राशि स्वामी - गुरू
- गण - मनुष्य
- नाडी़ - मध्य
- तत्व - जल
- स्वभाव(संज्ञा) - ध्रुव
- नक्षत्र देवता - अहिर्बुध्न्य
- पंचशला वेध – हस्त