उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का फल
उत्तराषाढा़ नक्षत्र इक्कीसवां नक्षत्र है, उत्तराषाढा़ नक्षत्र अप्रैल के महीने में आकाश की उत्तर-दक्षिण दिशा में देखा जाता है। इस नक्षत्र में एक मंच का आकार प्रतीत होता है अर्थात पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढा़ के 4-4 तारे मंजूषा की भांति एक तारे पर लटके हुए दिखाई देते हैं। यह हाथी दांत या छोटी चारपाई की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह सूर्य है और अधिष्ठाता देवता विश्वदेव और लिंग स्री है। है। यदि कोई व्यक्ति अपनी शिक्षा शुरू करता है या शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे उत्तराषाढा़ नक्षत्र में देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए और अपनी विद्या का आरंभ इसी नक्षत्र से करना चाहिए, जिससे उसके पास अच्छे ज्ञान की प्राप्ति हो।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। राशि स्वामी गुरु है, विंशोत्तरी दशा में सूर्य की दशा सबसे कम 6 वर्ष की होती है। जो लगभग जन्म से 6 वर्ष के अंदर बीत जाती है। इसके बाद चंद्रमा की 10 वर्ष मंगल की 7 वर्ष कुल मिलाकर 17 वर्ष यही समय होता है। जब बच्चा पढ़ाई में संलग्न रहता है यहीं से उसके भविष्य का निर्माण होता है। अतः सूर्य के साथ मंगल का जन्म पत्रिका में शुभ होकर बैठना ही उस बालक का भविष्य निर्धारण करने में सहायक होगा। नक्षत्र का स्वामी अग्नि तत्व व राशि भी अग्नि तत्व की होने से इसका प्रभाव जातक पर ग्रह स्थितिनुसार अधिक पड़ता है। सूर्य यदि गुरु के साथ हो तो उच्च प्रशासनिक सेवाओं में सफलता मिलती है। ऐसे जातकों में कुशल नेतृत्वक्षमता होती है। ये राजनीति, जज, आईएएस ऑफिसर, सीए आदि क्षेत्र में अधिक सफल होते हैं।
जातक मोहक, सुगठित शरीर, गौर वर्ण, प्रतिभा युक्त होता है। इसकी पीठ या चेहरे पर मस्सा होता है। जातक निष्कपट, मृदुभाषी, सद व्यवहारी, भला करने वाला, बुरा नही सोचने वाला, किसी के आगे नही झुकने वाला और न ही किसी पर पूरा यकीन करने वाला, स्व निर्णयी, जल्दबाजी में बात तय नही करने वाला, स्त्रियों को सम्मान देने वाला होता है।
व्यक्तित्व -
इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक में कृतज्ञता की भावना रहती है। ये लोग धार्मिक और अच्छे विचारों वाले होते है। इन्हें पुत्र सुख प्राप्त होता है तथा विद्या विनय से सम्पन्न होते है। इनकी पत्नी सुन्दर तथा सुयोग्य होती है और स्वयं भी आकर्षक होते हैं। ये संस्कारी, साफ़ दिल के और मृदुभाषी हैं। इनके चेहरे से एक मासूमियत झलकती है। इनकी सामाजिक स्थिति बहुत अच्छी है और ये ज़्यादा तड़क-भड़क दिखाना पसंद नहीं करते हैं। इनका पहनावा भी साधारण है। यह धार्मिक हैं और दूसरों का विशेष आदर करते हैं। इनका स्वभाव रहस्यमय है इसलिए इनसे एक बार मिलने के बाद इनके स्वभाव का पता नहीं चलता है। इनके आँखों में एक चमक है व चेहरे पर कोई तिल का निशान हो सकता है। प्रत्येक काम को ये पूरी ईमानदारी से करते हैं, तथा इनका व्यवहार स्पष्टवादी है। न तो ये किसी को धोखा देते हैं और न किसी के लिए परेशानी खड़ी करते हैं। अपनी अच्छाईयों व नेक दिल के कारण कई बार ये बिन बुलाई समस्याओं में फँस जाते है। यह आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करते परन्तु जब एक बार किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति खुशमिजाज होते हैं। अपने इस स्वभाव के कारण मित्रों में यह काफी लोकप्रिय होते हैं और इनकी दोस्ती का दायरा बड़ा होता है। सामाजिक कार्यों में इनकी रूचि रहती है इसलिए समाज में इन्हें मान-सम्मान भी मिलता है। ये आराम पसंद हैं और कोई भी निर्णय जल्दबाज़ी में नहीं करते। जिन लोगों पर इनका भरोसा होता है उनसे सही राय लेने में भी आप नहीं चूकते हैं। अगर किसी से इनका कुछ मनमुटाव हो जाता है तो भी कटु शब्दों का प्रयोग ये कभी नहीं करते व अपने विरोधियों पर भी अपनी अप्रसन्नता या नाराज़गी ज़ाहिर नहीं करते हैं।
आध्यात्मिक क्षेत्र में इनकी अधिक रुचि होती है। जप, तप, व्रत उपवास करके धार्मिक जीवन में सफल हो सकते हैं। एक बार अगर ये आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ जातें हैं तो सभी प्रकार के माया-मोह के बंधन इनको नीरस लगने लगते हैं। अत्यधिक परिश्रमी होने से ये निरंतर कर्म करने में विश्वास रखते हैं। शिक्षा का क्षेत्र हो अथवा नौकरी, व्यवसाय का; आप सबसे आगे रहना पसंद करते हैं। इनको बचपन से ही अपने परिवार की ज़िम्मेदारियाँ उठानी पड़ती हैं वैसे इनका बचपन अच्छा बीतता है। किसी भी विवादास्पद व्यवहार में इनको सावधानी अपनानी चाहिए। किसी भी साझेदारी में पड़ने से पहले उस व्यक्ति को अच्छी तरह परख लेना चाहिए जिसके साथ ये व्यापार करने की सोच रहें हैं, वरना परेशानियाँ उठानी पड़ सकती हैं। 38 वर्ष की आयु के बाद से इनको चौतरफ़ा सफलता और उन्नति मिलेगी। इनका जीवनसाथी ज़िम्मेदार व स्नेहपूर्ण होगा, परन्तु उनका स्वास्थ्य इनकी चिंता का कारण भी रहेगा। नेत्र और पेट से सम्बंधित रोग इनको परेशान कर सकते हैं, इसलिए इस ओर हमेशा सचेत रहें। वैसे ये सुशिक्षित होते हैं और अध्यापन या बैंकिंग के क्षेत्र में विशेष सफलता पा सकते हैं।
व्यवसाय -
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के जातक वास्तुशिल्प कार्य और कलात्मक एवं रचनात्मक चीजों में अच्छा कर सकते हैं, इसलिए, ये लोग वास्तुकार, मैकेनिक, नक्शा निर्माता, इंजीनियर या कन्स्ट्रक्टर बन सकते हैं। औद्योगिक क्षेत्र में तरक्की पा सकते हैं, कुंडली में मंगल और सूर्य शुभ स्थिति में हैं तो जातक एक अच्छा प्रशासक और एक अच्छा नेता बन सकता है। यदि कुंडली में सूर्य और बृहस्पति मजबूत स्थिति में है तो जातक उच्च प्रशासनिक सेवाओं में अच्छी स्थिति को पा सकता है। व्यक्ति एक अच्छा लेखक बन सकता है, उसके पास एक अच्छे वक्ता के गुण भी होते हैं। कानून के क्षेत्र में वह अच्छी प्रसिद्धि और धन प्राप्त कर सकता है। वकील, न्यायधीश, सरकारी कर्मचारी, मनोविज्ञानिक, पुरोहित, कथावाचक, परामर्शदाता, ज्योतिषी, उपदेशक व प्रवचनकर्ता के रुप में अच्छा कर सकता है। पशु पालन, हाथियों का प्रशिक्षक, एथलीट जैसे की बाक्सर, जुडोकराटे या तलवार चलाने वाले खेलों में अच्छा कर सकता है। लेखक, अध्यापक, गुरु के रुप में भी बेहतर करने वाला होता है।
पारिवारिक जीवन -
परिवार से स्नेह और सम्मान की प्राप्ति होती है। जातक का बचपन अच्छा व्यतीत होता है, भाई बंधुओं की ओर से भी जातक सुखी होता है, रिश्तों में आई दूरियों को दूर करने का प्रयास भी जातक करता है। दांपत्य जीवन में जीवनसाथी अच्छे स्वभाव का व मिलनसार होता है। जीवन साथी जिम्मेदार और प्रेम करने वाला होता है, जातक को जीवन साथी के स्वास्थ्य से संबंधित चिंता अधिक हो सकती है। संतान सुख में कमी रह सकती है बच्चों की ओर से दुख प्राप्त हो सकते हैं। स्त्री पक्ष को जीवन साथी से अलगाव की समस्या परेशान कर सकती है। स्त्रियां अधिक धार्मिक और आस्थावान हो सकती हैं।
स्वास्थ्य -
यह इक्कीसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह सूर्य है। इस नक्षत्र के पहले चरण में जांघे आती हैं, ऊर्वस्थि रक्त वाहिनियाँ आती हैं। इस नक्षत्र के दूसरे, तीसरे व चौथे चरण में घुटने व त्वचा आती है। इसके साथ ही कमर या कटी प्रदेश भी इसी के अंतर्गत आता है। यह एक कफ प्रधान नक्षत्र होता है। ऐसे में जातक को सर्दी जुकाम से बचकर रहने की सलाह दी जाती है, इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इस नक्षत्र के अंगों से संबंधित रोगों का सामना करना पड़ सकता है।
सकारात्मक पक्ष :-
जन्म कुंडली में शनि व सूर्य की स्थिति उत्तम रही हो तो ये अपने शुभ परिणाम देंगे। इस नक्षत्र से प्रभावित व्यक्ति साहसी और धैर्यवान होते हैं। न्याय और नियम-कानून का संजीदगी से पालन करते हैं। ऐसे व्यक्ति प्राचीन मान्यताओं पर विश्वास रखते हैं और परिवार की मर्यादा का पालन करते हैं। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के जातकों में उचित और अनुचित में भेद कर सकने की प्रबल क्षमता होती है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का वर्ण क्षत्रिय, गण मान, गुण सात्विक और वायु तत्व है।
नकारात्मक पक्ष :-
जन्म कुंडली में शनि व सूर्य की अशुभ स्थिति रही तो बुरे फल मिलेंगे। हालांकि यह कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही तय होगा। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को साझेदारी के काम में सजग रहना चाहिए, क्योंकि साझेदारी के काम में इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वैदिक मंत्र -
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा:
विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।
उपाय -
उत्तराषाढा़ नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को भगवान गणेश की पूजा अराधना करनी चाहिए।
संकट नाशन गणेश स्त्रोत का पाठ इनको कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला होता है।
उत्तराषाढा़ के बीज मंत्र "ऊँ भाम् का जाप भी शुभ फल देने वाला होता है।
जातक को श्वेत रंग, हलका नीला, नारंगी और पीला रंग उपयोग में लाना शुभदायक होता है।
चंद्रमा का उत्तराषाढा़ नक्षत्र में गोचर होने पर यह मंत्र जाप उपाय विशेष लाभकारी होते हैं।
अन्य तथ्य -
- नक्षत्र - उत्तराषाढा़
- राशि - धनु-1, मंगल-3
- वश्य - चतुष्पद
- योनी - नकुल
- महावैर - सर्प
- राशि स्वामी - गुरु-1, शनि-3
- गण - मनुष्य
- नाडी़ - अन्त्य
- तत्व - अग्नि -1, पृथ्वी-3
- स्वभाव(संज्ञा) - ध्रुव
- नक्षत्र देवता - विश्वे
- पंचशला वेध - मृग
- प्रतीक - हाथी के दांत
- वृक्ष - कटहल का वृक्ष
- रंग - कॉपर
- अक्षर - ब और ग
- देवता - दस विश्वृदेव
- नक्षत्र स्वामी - सूर्य
- भौतिक सुख - पद, प्रतिष्ठा और धन
- शारीरिक गठन - सामान्य, रंग फेयर