रोहिणी नक्षत्र का फल

रोहिणी नक्षत्र का फल

रोहिणी नक्षत्र भचक्र के 27 नक्षत्रों में चौथे स्थान पर है। इस नक्षत्र का देवता ब्रह्मा अर्थात प्रजापति को माना गया है, और लिंग स्री है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है। यह भचक्र के चमकीले तारों में से एक तारा समूह् है। रोहिणी नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह एक बैलगाड़ी या शकट है जिसे दो बैल खींच रहें हैं। यह बैलगाडी़ उर्वरकता का प्रतीक है। “रोह’’ को वृद्धि विकास माना गया है और “रोहण’’ का अर्थ सवारी करने के लिए होता है। इस नक्षत्र का रंग लाल माना गया है, जो सुख और वैभवता को दर्शाता है। सिद्धांत ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में पाँच तारे होते हैं, इन पाँच तारों की आकृति बैलगाड़ी या रथ के पहिए के समान दिखाई देती है। इसी कारण प्राचीन वैदिक साहित्य में रोहिणी योग के समय को संहिता ग्रंथों में रोहिणी शकट भेदन के नाम से जाना गया है।

धर्म ग्रंथों में इस नक्षत्र को पूजनीय और वंदनीय माना गया है। कहा गया है कि, इस नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। ‘रोहिणी‘ का अर्थ ‘लाल‘ होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार रोहिणी नक्षत्र आकाश मंडल में चौथा नक्षत्र है। रोहिणी नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि वृष तथा राशि का स्वामी शुक्र होते हैं और रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा होता है।

रोहिणी नक्षत्र के विभिन्न चरण और उनके प्रभाव -

रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि के 10 डिग्री से 23 डिग्री 20 कला तक माना जाता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह चन्द्र है इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे जातक स्त्रियों पर विशेष आसक्ति रखते हैं और मीठा बोलने वाले तथा कार्यक्षेत्र में व्यवस्थित रहना ही पसंद करते हैं। इस नक्षत्र के चार चरण होते हैं जो की अपने अलग-अलग प्रभाव से जातक के सुख-दुःख में सहायक बनते हैं।

प्रथम चरण –

द्वितीय चरण – रोहिणी नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्मा व्यक्ति रूपवान, आकर्षक, मनमोहक और सौम्य स्वभाव का होता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होने के कारण ऐसा जातक मित्र प्रिय भी होता है। परन्तु ऐसे जातकों को कुछ न कुछ पीड़ा बनी रहती है व शुक्र की दशा अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होती है और जीवन में अनेकों ख्यातियाँ प्राप्त करता है।

तृतीय चरण – रोहिणी नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध होने के कारण ऐसे जातक जिम्मेदार, सत्यवादी, नैतिक रूप से उन्मुख व आर्थिक रूप से मजबूत, कार्य क्षेत्र में जैसे की गायन, कला के क्षेत्र में प्रतिभाशाली व श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते हैं। चन्द्र व बुध की दशा अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होती है।

चतुर्थ चरण – रोहिणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चंद्र ग्रह होने के कारण ऐसे जातक तेजस्वी, सत्यवादी एवं सौन्दर्य प्रेमी, शांतिपूर्ण बातें करने वाले व जलीय उत्पाद व तरल पदार्थ से संबंधित व्यवसाय व जलयात्रा से सम्बंधित कार्य करता है। विशेषकर ऐसे जातकों को जीवन का भरपूर सुख चन्द्रमा की दशा जीवन का पूर्ण सुख प्राप्त होता है।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक पतले, सुन्दर, आकर्षक और चुम्बकीय व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। इनकी आँखें बहुत सुन्दर और मुस्कान मनमोहक है। ये भावुक हृदय के प्रकृति प्रेमी होते हैं। विनम्रता, शिष्टता और सौम्यता तो आपमें कूट-कूट के भरी हुई है। दूसरों के मन के अनुकूल व्यवहार करना भी इनको ख़ूब आता है। यह भी सच है कि ये अपने वर्ग के लोगों में लोकप्रिय व आकर्षण का केंद्र है। ये स्वच्छता प्रिय, संगीत में रूचि रखने वाले, प्रसन्नचित, सार्वजनिक क्षेत्र में सफल, ईमानदार एवं मधुरभाषी होते हैं। ये अपने रूप और गुणों से दूसरों को प्रभावित कर अपनी मनचाही बात मनवाने में माहिर होते हैं, इसलिए लोग अक्सर सहजता से इन पर विश्वास कर लेते हैं। वैसे ये सीधे-सच्चे व सरल स्वभाव के हैं। घर, परिवार, समाज, देश या फिर सारे संसार का हित-साधन कर ये अपनी योग्यता साबित करना चाहते हैं। विचारों और भावों की कुशल अभिव्यक्ति आपको श्रेष्ठ कलाकार भी बनाती है।

इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक कलाप्रेमी, कला-पारखी व कलात्मक योग्यताओं से भरे हुए हैं। ये संगीत, कला, साहित्य, नाटक, लेखनादि कार्यों में विशेष रूचि रखने वाले मधुरभाषी होते हैं। ये जातक लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कला में माहिर हैं। परिवार और समाज के नियम व मूल्यों का ये अक्सर सम्मान करते हैं तथा अपने लक्ष्यों के प्रति निष्ठावान और दृढ़निश्चयी हैं। अपने घनिष्ठ मित्रों के साथ या अपनी ही मंडली में ये सुख व संतोष का अनुभव करते हैं। इनको परम्परावादी कहा जा सकता है किन्तु ये पुरातनपंथी तो बिलकुल नहीं हैं, क्योंकि नए विचारों व परिवर्तन का आप अक्सर स्वागत करते हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति ये लोग हमेशा सजग व सावधान रहते हैं, शायद इसी कारण ये लंबी और रोगमुक्त आयु पाते हैं। अक्सर आप भावावेग में ही निर्णय करते हैं तथा औरों पर तत्काल भरोसा कर लेते हैं, जिसकी वजह से इनको धोखा भी खाना पड़ता है, लेकिन यह सब इनकी सत्यनिष्ठा में कोई कमी नहीं लाता। ये वर्तमान में जीते हैं, कल की चिंता से सर्वथा मुक्त। इनका जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है। इनको हर कार्य निष्ठा से संपन्न करना पसंद है। यदि ये जल्दबाज़ी छोड़ संयमित होकर कार्य करें तो जीवन में विशेष सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मुमकिन है कि युवावस्था में इनको कुछ संघर्ष करना पड़े, लेकिन 40 वर्ष की अवस्था के बाद इनके जीवन में स्थिरता आने लगती है।

शिक्षा - रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातकों को संगीत, कला, विज्ञान इत्यादि के विषयों को पढ़ने में काफी रूचि होती है और इसीलिए यह अधिकतर अपना करियर इन्हीं क्षेत्रों में बनाना पसंद करते हैं। इसके अलावा फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटीशियन, इंजीनियर, बैंक, फास्ट फूड इत्यादि क्षेत्रों में भी रोहिणी नक्षत्र जातक अपना करियर बनाना पसंद करते हैं।

कार्य-व्यवसाय - वैदिक ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न जातकों को विशेष कर वनस्पति विज्ञान, औषधी, कृषि, बाग़वानी या फलों के बाग़ तथा ऐसे सभी कार्य जिसमें खाद्य वस्तुओं का उगाना, उन्हें विकसित व संशोधित कर बाज़ार में पहुँचाने का काम हो उनसे धन कमा सकते हैं। ये जातक विशेषज्ञ, कलाकार, संगीतकार, मनोरंजन उद्योग, सौन्दर्य-प्रसाधन उद्योग,कृषि, खेती-बाड़ी, खाद्य प्रौद्योगिकी, चिकित्सक, रत्न व्यवसायी, आंतरिक सज्जाकार, परिवहन व्यवसाय, पर्यटन, मोटर-गाड़ी उद्योग, तेल और पेट्रोलियम संबंधी व्यवसाय, कपड़ा उद्योग, जलयात्रा संबंधी उद्योग, पैकेजिंग और वितरण तथा जलीय उत्पाद व तरल पदार्थ से संबंधित व्यवसाय करना ऐसे जातकों के लिए फलीभूत रहता है और सदैव जीवन में कामयाबी प्राप्त करते हैं। ये लोग फैशन डिज़ाइनिंग, ब्यूटी पार्लर, हीरे-जवाहरात, बहुमूल्य वस्त्र, पर्यटन, परिवहन, कार उद्योग, बैंक, वित्तीय संस्थान, जल परिवहन सेवा, खाद्य पदार्थ, फ़ास्ट फ़ूड, होटल, गन्ने का व्यवसाय, केमिकल इंजीनियर, शीतल पेय या मिनरल वाटर से सम्बंधित कार्य आदि करके आजीविका कमा सकते हैं।

पारिवारिक जीवन - परिवार में माता के प्रति व्यक्ति का अत्यधिक लगाव होता है। मातुल पक्ष से लाभ की प्राप्ति होती है व प्रेम का भाव रहता है, लेकिन पिता की ओर से अधिक सुख नहीं मिल पाता है, जातक किसी भी धार्मिक और सामाजिक नियमों को तोड़ भी सकता है। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातकों को उनका लाइफ पार्टनर काफी आकर्षक समझदार और सुंदर मिलता है जो कि स्वभाव से अत्यधिक इमोशनल होने के साथ-साथ बहुत ही व्यवहार कुशल प्रवृत्ति का होता है। रोहिणी नक्षत्र के जातकों का अपने लाइफ पार्टनर के साथ बहुत ही अच्छा तालमेल होता है जिसकी वजह से इनका शादीशुदा जीवन बिना किसी समस्या और घरेलू परेशानियों के व्यतीत होता है। घर के लोगों के साथ भी इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यवहार अच्छा होता है। खासकर अपनी माता के साथ इनकी अच्छी बनती है। अपनी माता को ऐसे लोग हर खुशी देना चाहते हैं।

स्वास्थ्य - इस नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में माथा, टखना घुटने के नीचे टांग के अगले भाग की हड्डी, टांग की मांसपेशियाँ, चेहरा, मुख, जीभ, टाँसिल, गरदन, तालु, ग्रीवा, कशेरुका, मस्तिष्क आते हैं। चंद्र और शुक्र के कारण इसे कफ प्रकृति का नक्षत्र माना जाता है। जन्मकालीन रोहिणी नक्षत्र अथवा गोचर का यह नक्षत्र जब पीड़ित होता है, तब इन अंगों में पीड़ा का अनुभव व्यक्ति को होता है। जातकों को रक्त से संबंधित बीमारियां अकसर हो जाती हैं जैसे कि ब्लड शुगर और कभी-कभी तो ब्लड कैंसर की समस्या भी हो जाती है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के जीवन में 30 साल तक बहुत ज्यादा परेशानी आती है और उसके बाद इनका जीवन अच्छी तरह से गुजरता है। स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से बचने के लिए ऐसे लोगों को योग और ध्यान करना चाहिए।

रोहिणी नक्षत्र की स्त्रियाँ - रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्रियां शरीर से दुबली-पतली परन्तु विशेष रूप से आकर्षक होती हैं और सामाजिक तौर गुणवान व सदा अपने से बड़ों और माता पिता की आज्ञाकारिणी होती हैं। पिता की अपेक्षा माता से आपका अधिक स्नेह रहता है। पति के साथ सहमति बनाये रखती हैं इसलिए इनका दांपत्य जीवन मधुर बीतता है और साथ ही ये ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत करती हैं और सदा लोकप्रिय होती हैं।

रोहिणी नक्षत्र का वैदिक मंत्र- ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचोवेन आव: सबुधन्या उपमा अस्यविष्टा: स्तश्चयोनिम मतश्चविवाह ( सतश्चयोनिमस्तश्चविध: ) ॐ ब्रहमणे नम: ।

उपाय-

रोहिणी नक्षत्र के जातक के लिए भगवान शिव की उपासना करना बेहद लाभकारी होता है।

व्यक्ति को नित्य “ॐ नम: शिवाय’’मंत्र का जाप करना चाहिए।

नित्य गायत्री मंत्र एवं सूर्य मंत्र का जाप लाभदायक होता है।

रोहिणी नक्षत्र वालों को 4 या 6 रत्ती का मोती चांदी की अंगूठी में शुक्ल पक्ष के समय सोमवार के दिन प्रात:काल धारण करना चाहिए।

अन्य तथ्य -

  • नक्षत्र - रोहिणी
  • राशि - वृषभ
  • वश्य - चतुष्पद
  • योनि - सर्प
  • महावैर - न्योला
  • राशि स्वामी - शुक्र
  • गण - मनुष्य
  • नाड़ी- अन्त्य
  • तत्व - पृथ्वी
  • स्वभाव(संज्ञा) - ध्रुव
  • नक्षत्र देवता - ब्रह्मा
  • पंचशला वेध – अभिजीत