पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे जातक
27 नक्षत्रों की श्रृंखला में पूर्वाषाढा नक्षत्र 20वां नक्षत्र है। इस नक्षत्र की पहचान करने के लिए आकाश में 2-2 तारे मिलकर एक समकोण बनाते है। पूर्वाषाढा का आकार गज दंत अर्थात हाथी दांत के समान प्रतीत होता है। अथवा बिस्तर के हत्थों की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र एपास और लिंग पुरुष है। पूर्वाषाढा नक्षत्र को जल नक्षत्र कहा जाता है। पूर्वाषाढा़ का अर्थ है पहले वाला अपराजेय, जिसे जीत पाना असंभव हो। कुछ विद्वान इसे हाथ का पंखा मानते हैं। पूर्वाषाढा़ नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता जल हैं। इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है, इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव और आचार-विचार पर शुक्र का प्रभाव देखने में आता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुक्र पूर्वाषाढ़ नक्षत्र का अधिपति ग्रह है। इनकी सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इस नक्षत्र में जितना भी योग्य वर्ष होता है, वह लगभग बचपन से लेकर युवावस्था तक यही दशा चंद्र के अनुसार रहती है। इनके प्रारंभिक जीवनकाल में शुक्र, चंद्र, सूर्य का विशेष महत्व रहेगा। इसी दशा-अंतरदशा में पढ़ाई, विवाद, सर्विस आदि के योग बनेंगे। इनका जन्म लग्न में शुभ होकर बैठना अति उत्तम फलदायी रहेगा। यह नक्षत्र पूरी तरह धनु राशि में है जो धनुर्धारी के धनुष के रूप में ब्रह्मांड में प्रतीत होता है। धनुष का प्रतीक असीम धीरज और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
व्यक्तित्व -
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति उत्साही होते हैं। यह हर कार्य को बहुत ही रूचि के साथ करते हैं। इनका स्वभाव विनम्र, भक्तिपूर्ण व पाखंड-रहित होता है। ये तार्किक हैं और अपनी बात पर हमेशा अडिग रहते हैं। इनमें लेखन की विशेष प्रतिभा होती है, विशेषकर कविताएँ सुनाने व लिखने में इनको आनंद आता है। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को पराजय बहुत तकलीफ देती है। यह लोग विजय के अभिलाषी होते हैं और व्यवहार से सौम्य और सहयोगी होने के कारण यह अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं। इन लोगों में आत्मबल गजब का होता है। इनको कोई भी कठिन कार्य दिया जाए और पूछा जाए कि यह कार्य आप कर सकते हैं तो निःसंकोच इनका जवाब होता है कि हां मैं कर सकता हूं। इस नक्षत्र वालों के अंदर कठिन परिस्थितियों में अपने आप को तपाते हुए लक्ष्य तक पहुंचने की अद्भुत शक्ति होती है और यही विश्वास इन्हें अजेय बनाता है।
लेकिन इनमें एक ही कमी होती है, ये बहुत जल्दी ही किसी निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं जिसके फलस्वरूप कभी-कभी इनको ग़लतफ़हमी भी हो जाया करती है। इनमें एक विशिष्ट गुण भी है कि एक बार जो निर्णय ये कर लेते हैं फिर उससे पीछे नहीं हटते, भले ही इनका वह निर्णय सही हो या गलत। इनमें फ़ौरन निष्कर्ष निकालने की क्षमता है और बातों में तो कोई इनसे जीत ही नहीं सकता है। इनकी इसी ख़ूबी की वजह से लोग इनके क़ायल हो जाते हैं। इनमें ग़ज़ब का आत्मविश्वास है और ये हार मानने वालों में से नहीं हैं। कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी ये असाधारण धैर्य रखते हैं। ये महत्वाकांक्षी होते हैं और जोखिम उठाने को हमेशा तैयार रहते हैं। ये पूरे धैर्य व आस्था के साथ अनुकूल समय की प्रतीक्षा करते हैं। विघ्न व बाधाओं से ये कभी भी निराश नहीं होते।
इनकी शिक्षा अच्छी होती है व चिकित्सा के क्षेत्र में इनको विशेष सफलता मिल सकती है। योग और धार्मिक शास्त्रों के अध्ययन के प्रति भी इनकी विशेष रुचि होती है। व्यवसाय क्षेत्र में ये काफ़ी अच्छी सफलता पा सकते हैं बशर्ते इनके अधीन काम करने वाले कर्मचारी ईमानदार व विश्वास पात्र हों। इनके हृदय में सभी के प्रति प्रेम भाव रहता है। इनके व्यक्तित्व के इस गुण के कारण ही समाज में इनको काफ़ी आदर और सम्मान प्राप्त है। ये सदैव प्रसन्न एवं ख़ुश रहने की कोशिश करते हैं। स्वभाव से ये विनम्र हैं और विभिन्न कलाओं एवं अभिनय में रुचि रखते हैं। साहित्य का भी इनको काफ़ी शौक़ है, यानी साहित्य के ये अच्छे जानकार हैं। यह लोग अच्छे मोटिवेटर होते हैं। ये अपने सहयोगियों का उत्साह व मनोबल निरंतर बढ़ाते रहते हैं। यह लोग बहुत ही आशावान व्यक्ति होते हैं और दूसरे के मन मस्तिष्क से भी निराशा हटाते हुए उनके अंदर आशा, उमंग व उत्साह जगाने में सक्षम होते हैं। यह सत्य का आचरण करते हैं और शुद्ध हृदय के व्यक्ति हैं। इनको आदर्श मित्र कहें तो उचित ही होगा क्योंकि ये जिनसे मित्रता करते हैं उनसे आखिरी साँस तक मित्रता निभाते हैं।
यह ऊर्जा से युक्त सक्रिय और उत्साह से पूर्ण होते हैं। विपरीत परिस्थितियों से ये कभी भी हार नहीं मानते।
व्यवसाय -
पूर्वाषाढा नक्षत्र में जन्मे जातक मनोरंजन के काम, सलाहकार, अध्यापक, प्रवचनकर्ता होना, दार्शनिक व मनोचिकित्सक से जुडे काम कर सकते हैं। ये व्यक्ति अपने कैरियर का चुनाव कला विषयों में भी कर सकते हैं, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का जीवन शुक्र ग्रह के कारक तत्वों से प्रभावित होता है, ऐसे में जातक का व्यवसाय और कैरियर भी शुक्र के प्रभाव में आने वाले क्षेत्रों में हो सकता है। जैसे व्यक्ति सौन्दर्य को बढाने वाले, सौन्दर्य प्रसाधनों वाले क्षेत्रों को अपनी आजीविका का क्षेत्र बनाकर आय प्राप्त कर सकता है। नर्तक, मंच कलाकार, गायक, कवि, लेखक, कलाकार, चित्रकार, फ़ैशन डिज़ाइनिंग, होटल से जुड़े कार्य आदि करके सफल हो सकता है। सेवा से जुडे सभी क्षेत्रों में इनका कार्य करना अनुकूल रहता है, होटल प्रबन्धन, नर्स और मेडिकल क्षेत्र में भी इनका कार्य करना उचित रहता है। गुरु भी अच्छी स्थिति में हों, तो व्यक्ति महत्वकांक्षी, सत्य बोलने वाला और अपने ज्ञान क्षेत्र में अनुभव और दक्षता रखता है। जल क्षेत्रों से जुडे कार्य जैसे जल सेना, अधिकारी, जलपोत कर्मी, समुद्री जीव विज्ञान के विशेषज्ञ, मत्स्यपालन, बांध निर्माण इत्यादि कामों में इन्हें अच्छी आय प्राप्त होने की संभावनाएं बनती हैं।
पारिवारिक जीवन -
जातक का पारिवारिक जीवन सामान्य रहता है। भाई बंधुओं की मदद भी प्राप्त होती है, जातक का जन्म स्थान से दूर अधिक व्यतीत होता है। वह अपने कार्य में सफलता भी बाहर अधिक पाता है। माता-पिता से इनको ज़्यादा लाभ नहीं मिलेगा। इनका वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा परन्तु विवाह में कुछ देरी संभव है। पत्नी व ससुराल पक्ष की तरफ़ इनका झुकाव अधिक हो सकता है। इनकी दो संतान हो सकती हैं और वे आज्ञाकारी और भाग्यशाली होंगी। दांपत्य जीवन सुख पूर्वक होता है, इस नक्षत्र में जन्मी स्त्रियां गृह कार्यों में अच्छी दक्ष होती हैं, जीवन साथी के प्रति इन्हें लगाव अधिक रहता है।
स्वास्थ्य -
यह भचक्र का बीसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह शुक्र है। इसके अन्तर्गत कूल्हे, जांघे, नसें, पीठ, श्रोणीय रक्त ग्रंथियाँ, मेरुदंड का क्षेत्र आदि अंग आते हैं। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन अंगो से संबंधित रोग होने की संभावना बनती है। इस नक्षत्र को पित्त प्रधान नक्षत्र माना जाता है। काम काज की अधिकता और जीवन शैली में अनियमितता के कारण पूर्वाषाढा़ नक्षत्र के जातक का स्वास्थ्य भी जल्द ही प्रभावित होता है।
सकारात्मक पक्ष :-
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लोग निडर, आक्रामक और टकराने वाले होते हैं। ये भगवान से डरने वाले, विनम्र, ईमानदार और द्वेष और पाखंड से कोसों दूर होते हैं। इनकी धर्म-कर्म में रुचि होती हैं। पेशे से पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के लोग शिपिंग, नौकायन, समुद्री जीवन और पानी की उपयोगिताओं से संबंधित कार्य करते हैं।
नकारात्मक पक्ष :-
कुंडली में गुरु और शुक्र की स्थिति सही नहीं है तो ऐसे जातक बुद्धि और आचरण खो बैठते हैं। ये बेहद जिद्दी होते हैं और अगर उकसाया जाए तो बहसबाजी पर उतारू हो सकते हैं। ये नफा-नुकसान के बारे में सोचे बिना निर्णय ले लेते हैं।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वैदिक मंत्र -
ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद
यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र उपाय -
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को लक्ष्मी, ललिता और त्रिपुर सुंदरी की पूजा उपासना करनी चाहिए।
लक्ष्मी सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम का पाठ करना जातक के लिए कल्याणकारी होता है।
पूर्वाषाढा़ बीज मंत्र "ऊँ बँ" का जाप करना भी उत्तम माना जाता है।
कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी अष्टक का भी पूजन श्रवण पठन अच्छा होता है।
माँ काली और भगवान शिव की पूजा उपासना करने का फल भी शुभदायक माना जाता है।
जातक के लिए हल्के गुलाबी और हल्के नीले रंग के वस्त्र का उपयोग भी अनुकूल परिणाम देने वाला होता है।
अन्य तथ्य -
- नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा
- राशि - धनु
- वश्य - नर-1, चतुष्पद-3
- योनी - वानर
- महावैर - मेढा़
- राशि स्वामी - गुरु
- गण - मनुष्य
- नाडी़ - मध्य
- तत्व - अग्नि
- स्वभाव(संज्ञा) - उग्र
- नक्षत्र देवता - जल
- पंचशला वेध - आर्द्रा
- प्रतीक - सूपड़ा, हाथी दांत या हाथ का पंखा
- रंग - काला
- अक्षर - ब और ज
- वृक्ष - सीता, अशोक का पेड़
- देव अप - (अष्ट वसुओं में से एक जल के देवता)
- नक्षत्र स्वामी - शुक्र
- भौतिक सुख - स्त्री और भूमि, भवन सुख
- शारीरिक गठन - सुंदर चेहरा और कद-काठी सामान्य