मूल नक्षत्र का फल

मूल नक्षत्र का फल

27 नक्षत्रों की श्रृंखला में ज्येष्ठा नक्षत्र का 19 वां स्थान है, मूल नक्षत्र में 11 तारे हैं, जो शेर की पूछ जैसे दिखाई पड़ते हैं। यह जड़ों के बांधे हुए गुच्छे की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र निर्चर और लिंग स्री है। मूल नक्षत्र गण्डमूल में आते हैं, यह नक्षत्र धनु राशि के सून्य अंशों से 13 अंश 20 कला तक आता है, इसके अधिष्ठाता देवता नृति है। स्वामी ग्रह केतु है, मूल नक्षत्र का अर्थ जड़ से होता है।

मूल नक्षत्र के चारों चरण धनु राशि में आते हैं। यह ये यो भा भी के नाम से जाना जाता है। नक्षत्र का स्वामी केतु है। वहीं राशि स्वामी गुरु है। केतु की दशा 7 वर्ष की होती है। केतु छाया ग्रह है यह पुराणिक मतानुसार राहु का धड़ है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो यह दक्षिणी ध्रुव का कोना है। यह धनु राशि में उच्च व मिथुन में नीच का, मीन में स्वराशिस्थ व कन्या में शत्रु राशिस्थ होता है। केतु स्वतंत्र फल देने में सक्षम नहीं होता यह जिसके साथ होगा वैसा परिणाम देगा। धनु में केतु व गुरु साथ हो या मीन राशि में या कर्क में उच्च के गुरु के साथ हो तो उसके प्रभाव को दुगना कर जहाँ भी स्थित होगा उत्तम परिणाम देगा।

व्यक्तित्व -

अगर आपका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो आप पर गण्ड प्रभाव अधिक होता है। ऐसे में आपको गण्डमूल की शांति कराना आवश्यक होता है। गण्ड के दोष निवारण से आपको धन और सुख की प्राप्ति होती है। इस नक्षत्र के प्रभाव स्वरुप आपका स्वभाव कुछ क्रोध वाल और कई मामलों में हिंसक भी हो सकता है। आपमें आक्रामकता बनी रह सकती है। आप मन के साफ होते हैं मन में कोई बात अधिक समय तक नहीं रख पाते हैं। आपमें क्रूर और निर्मम निर्णय लेने की जल्दबाजी देखी जा सकती है। न्याय के प्रति आपका पूर्ण विश्वास है। लोगों के साथ आपके सम्बन्ध मधुर हैं और आपकी प्रकृति मिलनसार है। स्वास्थ्य के मामले में आप भाग्यशाली हैं, क्योंकि आपकी सेहत ज़्यादातर ठीक रहती है। आप मज़बूत व दृढ़ विचारों के स्वामी हैं। सामाजिक कार्यों में आप बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। अपने गुणों एवं कार्यो से आप काफ़ी ख्याति प्राप्त करते हैं। आपके जीवन के कुछ बंधे-बंधाये नियम होते हैं। किसी भी विपरीत स्थिति का सामना करने में आप सक्षम हैं और मुश्किलों को भेद कर अंत में मंज़िल प्राप्त कर लेते हैं। एक बार जो दृढ़ संकल्प कर लें तो आप उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। आपको न तो आने वाले कल की चिंता होती है और न आप कठिनाइयों की कोई परवाह करते हैं। ईश्वर पर आपकी पूर्ण आस्था है इसलिए आप सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देते हैं। दूसरों को आप अच्छी सलाह देंगे, परन्तु ख़ुद अपने मामलों में लापरवाह रहेंगे।

अपनी आजीविका में आप पूरी ईमानदारी बरतते हैं; अनेक मामलों के आप जानकर भी हैं व लेखन, कला तथा सामाजिक क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दोस्तों के साथ दरियादिली का व्यवहार कभी-कभी आपको आर्थिक संकट में भी डाल देता है। आय से अधिक ख़र्च करना आपकी आदत में शुमार है। आपकी प्रतिभा व भाग्य जन्म स्थल से दूर अधिक चमकेगा। अगर कभी आपको विदेश जाने का अवसर मिले तो वहाँ जाकर बहुत लाभ प्राप्त होगा। अपना भविष्य आप ख़ुद लिखेंगे, भले ही परिवार का समर्थन आपको प्राप्त हो या न हो। आपके कई मित्र हैं क्योंकि आप वफ़ादार हैं।

पढ़ने-लिखने में आप अच्छे हैं और दर्शन शास्त्र में आपकी विशेष रुचि है। आप आदर्शवादी और अपने नियमों पर चलने वाले हैं। अगर आपके सामने ऐसी स्थिति आ जाए कि जब धन और सम्मान में से एक को चुनना हो तब आप धन की जगह सम्मान को चुनना पसंद करते हैं। आप व्यवसाय एवं नौकरी दोनों में ही सफल होंगे, परंतु व्यवसाय की अपेक्षा नौकरी करना आपको अधिक पसंद है। आप जहाँ भी जाते हैं अपने क्षेत्र में सर्वोच्च होते हैं। शारीरिक श्रम की अपेक्षा दिमाग़ का प्रयोग करके अपना काम निकालना आपको ख़ूब आता है। अध्यात्म में विशेष रुचि होने के कारण धन का लोभ आपके अंदर नहीं है। समाज में पीड़ित लोगों की सहायता के लिए आप कई कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और इससे आपको काफ़ी सम्मान मिलता है। समाज के उच्च वर्गों से आपकी मित्रता है। आपका सांसारिक जीवन ख़ुशियों से भरा हुआ है और सुख-सुविधाओं से युक्त जीवन जीने में आपको आनंद आता है।

व्यवसाय -

पराशरमुनि कहते हैं कि मूल नक्षत्र में जन्मा जातक मूल वस्तुओं अर्थात जो वस्तुएं वृक्ष एवं जीवों से प्राप्त एवं जमीन के अंदर से प्राप्त होने वाली चीजों के द्वारा जीवन यापन कर सकते हैं। तंत्र एवं ज्योतिष से जुड़े काम, औषधि निर्माण, विश चिकित्सा, दंत चिकित्सा से जुड़े काम, मंत्रालय के काम, प्रवचन कर्ता, पुलिस अधिकारी, अधिकारी गुप्तचर के काम व जांच पड़ताल करने वाले लोग, न्यायाधीश, सैन्य अन्वेषण, शोधकर्ता, जीवाणुओं पर अनुसंधान करने वाले, खगोल शास्त्री, मनोचिकित्सक, वाद-विवाद में परामर्श देने वाले कार्य, जडी़ बूटी और कंद मूल के व्यापारी हो सकते हैं। इसके अलावा आत्मघाती दस्ते के सदस्य, काला जादू, कम्प्यूटर विशेषज्ञ, प्रदर्शन व रैली प्रबंधक, गुप्त खजाने के खोजी, कोयला पैट्रोलियम उद्योग व किसी भी प्रकार की खोज व जांच पड़ताल करने वाले काम, विनाश व विध्वंस से जुड़े विभिन्न कामों का संबंध मूल नक्षत्र के कार्यक्षेत्र में आता है। ऐसे जातक ईमानदार लेकिन जिद्दी स्वभाव के होते हैं। ऐसा जातक वकील, जज, बैंक कर्मी, प्रशासनिक सेवाओं में, कपड़ा व्यापार, किराना आदि के क्षेत्र में सफल होता है।

पारिवारिक जीवन -

मूल नक्षत्र में जन्मा जातक परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने वाला होता है। यह जीवन में अपने प्रयासों और मेहनत द्वारा लक्ष्य पाता है और परिवार की जिम्मेवारियों को पूरा करता है। माता-पिता की ओर से सामान्य सुख प्राप्त होता है। आर्थिक मदद नहीं मिल पाती है, विवाहित जीवन सामान्य होता है इनमें क्रोध और जल्दबाजी अधिक होती है जिस कारण इनके व्यवहार के साथ सामंजस्य बैठा पाना आसान नहीं होता है। दांपत्य जीवन में यदि उचित साथी मिल जाए तो एक सुख पूर्वक जीवन जी सकते हैं। स्त्री पक्ष को विवाह का सुख पूर्ण रुप से नहीं मिल पाता है। पति से विवाद और अलगाव की स्थिति भी झेलनी पड़ सकती है। संतान की ओर से भी चिंता अधिक रह सकती है, यदि शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो सुख में वृद्धि होती है।

स्वास्थ्य -

मूल नक्षत्र भचक्र का उन्नीसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह केतु है। इस नक्षत्र के अंतर्गत कूल्हे, जांघे, गठिया की नसें, ऊर्वस्थि, श्रांणिफलक, दोनों पैर आदि अंग आते हैं। जातक को गठिया, कमर दर्द, कूल्हों और हाथ पैरों में कोई परेशानी हो सकती है। मूल नक्षत को वात से प्रभावित माना जाता है, इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इस नक्षत्र से जुड़े अंगों से जुड़े रोग हो सकते हैं। यदि कुंडली में सूर्य चंद्रमा व शुक्र पापाक्रांत हों तो जातक क्षय रोग से भी प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा पेट से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं जातक नशे में यदि पड़ जाए तो उसका नशे की लत से बाहर आना बहुत कठिन होता है। इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना ही आपके लिए अच्छा रहेगा।

सकारात्मक पक्ष :- मूल नक्षत्र के जातक अपने विचारों पर दृढ़ होते हैं और इनमें निर्णय लेने की क्षमता भी गजब की होती है। पढ़ाई-लिखाई में अव्वल होते हैं। ये खोजी बुद्धि के होते हैं। शोधकार्य में सफलता मिल सकती है। ये कुशल और निपुण व्यक्ति होने के साथ- साथ उत्कृष्ट वक्ता भी होते हैं। ये डॉक्टर या उपचारक भी हो सकते हैं। ये भावुक प्रवृत्ति के होने के कारण दयालु और सभी का भला करने वाले भी होते हैं।

नकारात्मक पक्ष :- यदि केतु और गुरु की स्थिति कुंडली में सही नहीं है तो ये बेहद जिद्दी किस्म के हो जाते हैं और अपनी मनमानी करते हैं। इनकी विनाशकारी कार्यों में रुचि बढ़ जाती है। ऐसे में इनके गलत मार्ग पर चलने के खतरे भी बढ़ जाते हैं। इनमें ईर्ष्या की भावना प्रबल हो जाती है। ये अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। ये तंत्र-मंत्र या पारलौकिक विद्या के चक्कर में पड़कर अपना करियर बर्बाद कर लेते हैं। इनके पैरों में हमेशा तकलीफ बनी रह सकती है। यदि ऐसा जातक माता-पिता का कहना मानते हुए विष्णु या हनुमानजी की शरण में रहे, तो सभी तरह की मुसीबतों से बच सकता है।

मूल नक्षत्र वैदिक मंत्र -

ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि गवं स्वयोनावभारुषा तां

विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त।

ॐ निॠतये नम:

मूल नक्षत्र उपाय -

मूल नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को माँ काली और भगवान शिव की पूजा उपासना करनी चाहिए।

चंद्रमा का मूल नक्षत्र में गोचर होने पर मूल नक्षत्र के मंत्र का जाप करना उत्तम फल देने वाला होगा।

जातक के लिए लाल, काले, सुनहरे गेरुआ रंग का उपयोग भी अनुकूल परिणाम देने वाला होता है।

जातक के लिए लहसुनिया और पुखराज धारण करना भी अनुकूल रहता है।

अन्य तथ्य -

  • नक्षत्र - मूल
  • राशि - धनु
  • वश्य - नर
  • योनी - श्वान
  • महावैर - मृग
  • राशि स्वामी - गुरु
  • गण - राक्षस
  • नाडी़ - आदि
  • तत्व -अग्नि
  • स्वभाव(संज्ञा) - तीक्ष्ण
  • नक्षत्र देवता - राक्षस
  • पंचशला वेध - पुनर्वसु
  • प्रतीक - अंकुश
  • वृक्ष - साल का पेड़
  • देव - निरित्ती (निवृत्ती देवी)
  • रंग - बादामी पीला
  • अक्षर - ये, यो, भा, भी
  • नक्षत्र स्वामी - केतु
  • शारीरिक गठन - आकर्षक स्वरूप और छरहरा बदन।
  • भौतिक सुख - चरित्र उत्तम तो सभी तरह का सुख मिलेगा।