मघा नक्षत्र का फल
वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में मघा नक्षत्र का दसवां स्थान है, मघा नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। राशिचक्र में 120:00 डिग्री से 133:20 डिग्री तक का विस्तार मघा नक्षत्र में आता है। मघा नक्षत्र के तारों की संख्या को लेकर मतभेद रहे हैं। कुछ के अनुसार यह छ: सितारों से बनता है। जबकि अन्य के अनुसार यह पांच तारों का समूह होता है। इसके पांच सितारों से बनी आकृत्ति हंसिया, दरांती या छडी़ का चिन्ह दर्शाती है। वहीं 6 सितारों से बनी आकृति राजमहल का सिंहासन अथवा पालकी के रुप में दिखाई देती है। मघा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता पितर हैं, और लिंग स्री है। सूर्य का अगस्त मास में मघा नक्षत्र पर गोचर होता है। माघ मास का उत्तरार्ध मघा नक्षत्र का मास माना जाता है। अमावस्या या कृष्णपक्ष की समाप्ति को मघा की तिथि माना जाता है। मघा नक्षत्र का अर्थ बलवान, महान, उत्कृष्ट धन वैभव संपन्न शब्दों से लिया जाता है। यह नक्षत्र गण्डमूल है और सिंह राशि के अंतर्गत आता है।
मघा का अर्थ महान होता है। भचक्र में मघा नक्षत्र का 10वां स्थान है। मघा नक्षत्र के चारों चरण सिंह राशि में आते हैं। इस नक्षत्र का राशि स्वामी सूर्य और नक्षत्र स्वामी केतु है। मघा नक्षत्र में उत्पन्न जातक की जन्म राशि सिंह तथा राशि स्वामी सूर्य, वर्ण क्षत्रिय, वश्य चतुष्पद, योनि मूषक, महावैर योनि बिडाल, गण राक्षस तथा नाड़ी अंत्य है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मघा नक्षत्र के सभी चार चरण सिंह राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण इस नक्षत्र पर सिंह राशि तथा इसके स्वामी ग्रह सूर्य का विशेष प्रभाव पड़ता है। मघा नक्षत्र के जातक पर जीवनभर केतु और सूर्य का प्रभाव बना रहता है।
मघा नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व -
मघा नक्षत्र में जन्मे जातक की आँखे सिंह के समान होती है, इनका शरीर मांसल युक्त एवं भराव लिए होता है। मध्यम कद काठी के स्वामी होते है। ठुड्डी भारी, पेट का हिस्सा थुथलापन लिए होता है। शरीर पर बाल अधिक हो सकते हैं, कंधों के नीचे तिल का निशान हो सकता है। सुंदर व आकर्षक नैन नक्श होते हैं। आप परम्परावादी, वंशवादी होते हैं।
आप जल्दी ही क्रोधित और जल्दी ही मान जाने वाली प्रवृति के होते हैं। आपका व्यक्तित्व प्रभावशाली है और आप जहाँ भी जाते हैं अपना दबदबा बनाकर रखते हैं। आप ऊर्जावान और कर्मठ होते हैं, इसलिए जिस काम का ज़िम्मा आप लेते हैं उसे जल्द-से-जल्द पूरा करने की कोशिश करते हैं। आपका रवैया सकारात्मक है, इसलिए कभी-कभी आप ऐसे कार्य कर देते हैं जिससे देखने वाले अचंभित रह जाते हैं। आपमें स्वाभिमान की भावना भी कुछ अधिक है और अपने स्वाभिमान के आगे आप कभी समझौता नहीं करते हैं। अपना मान-सम्मान बचाए रखने का आप हर संभव प्रयास करते हैं और हर कार्य सोच-विचार कर करते हैं। ईश्वर में आपका पूर्ण विश्वास है। सरकार या सरकारी विभागों से आपका गहरा सम्बन्ध होगा और समाज के उच्च वर्ग के लोगों से भी आपका अच्छा रिश्ता रहेगा। इन संबंधों से आपको काफ़ी लाभ भी मिल सकता है। आप मीठा बोलने वाले और वैज्ञानिक विषयों में पैठ रखने वाले हैं। विभिन्न कलाओं में भी आपकी रुचि है। अपने शांत स्वभाव, शांतिप्रिय जीवन की कामना और समझदारी के कारण आप समाज में सम्मानित हैं। क्रोध या गर्म मिज़ाज से आपको बचना चाहिए। सच्चाई के ख़िलाफ़ कोई बात, कोई कार्य करना आपको पसंद नहीं है। आप भरसक प्रयास करते हैं कि आपके व्यवहार से किसी को ठेस नहीं पहुँचे। अगर कभी आपको लगता है की आपके कारण किसी को दुःख पहुँचा है तो आप तत्काल क्षमा मांग लेते हैं। निजी स्वार्थ से कोसों दूर रहते हैं।
समाज के लिए कुछ-न-कुछ उपयोगी व हितकर कार्य करना आपको अच्छा लगता है और इसके बदले में आप किसी से कुछ भी अपेक्षा नहीं करते हैं। व्यवसाय या नौकरी में अत्यधिक ईमानदारी के कारण कभी-कभी आपको हानि भी हो सकती है परन्तु आप अपना हर कार्य पूरी ईमानदारी से करते हैं। धनी-मानी लोगों के सहयोग से आप सभी सुख-सुविधाएँ जुटाने में सफल रहेंगे, परन्तु सत्ता व शक्ति के अभिमान से आपको सदैव दूर रहना चाहिए। भौतिक और लौकिक सुख-सुविधाओं को जुटाना आपको पसंद है, लेकिन आपकी आध्यात्मिक और धार्मिक चीज़ों में भी बहुत रुचि है। आदर्शवादी और सत्यनिष्ठ होना आपकी विशेषता है और परम्पराओं व पूर्वजों के प्रति भी आपका आदर-भाव है। आप पूर्ण सांसारिक साधनों का उपभोग करने वाले हैं और आपके पास कई काम करने वाले हैं। अपने अधीन काम करने वाले लोगों के प्रति आपका दयालु व सम्मान-जनक रवैया है। धन और सम्पत्ति के मामले में आप काफ़ी समझदारी दिखाते हैं और आर्थिक लाभ का जब मामला होता है तब अपनी पूरी क्षमता लगा देते हैं–इसलिए सफलता अक्सर आपके क़दम चूमती है। आप विभिन्न विषयों में पारंगत हैं। सामाजिक कार्यों में भी आपकी रुचि है इसलिए आप ऐसे कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। उन लोगों को आप बिलकुल पसंद नहीं करते हैं जो दूसरों के कार्यों में रुकावट डालकर उन्हें परेशान करते हैं; इसी वजह से आपके कई छुपे शत्रु भी हैं। जहाँ तक मित्रता का प्रश्न है तो आपके अधिक मित्र नहीं हैं, परन्तु जितने भी मित्र हैं उनसे आप प्रेम करते हैं। आपका व्यक्तित्व सुन्दर और आकर्षक होता है और निःस्वार्थ भाव से सबकी सेवा करना आपकी आदत है। स्पष्टवादिता आपकी पहचान भी है और ताक़त भी। इन्हीं गुणों के कारण समाज में आप प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।
कार्य-व्यवसाय -
मघा नक्षत्र से संबंध कार्यों में प्रशासक के काम, प्रबंधन के काम, राज्य स्तर में उच्च अधिकारी वर्ग के काम में आप भाग ले सकते हैं। आपके पास धन-सम्पत्ति और सेवक होंगे। आप दुर्लभ वस्तुओं के व्यापारी, राज्य स्तर के उच्च अधिकारी, बड़े व्यापारी, वकील, न्यायाधीश, राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, प्रवचनकर्ता, कलाकार, ज्योतिषी, भवन का डिज़ाइन बनाने वाले, प्रशासक, किसी संस्थान के अध्यक्ष, प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से जुड़े व्यवसाय, समाज में धनी मानी प्रतिष्ठित व्यक्ति, सेठ, साहूकार, उद्योगपति, बड़े व्यापारी, संस्थान के अध्यक्ष, वकील, न्यायाधीश के काम में आप अच्छे मौके पा सकते हैं राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, पुस्तकाध्यक्ष, प्रवचन कर्ता, कला कर्मी नाट्यकर्मी, परंपरा संरक्षक, से संबंधी काम, आदि करके सफल हो सकते हैं। तंत्र, ज्योतिष दुर्लभ वस्तुओं का व्यापार करने वाला, भवन निर्माण के क्षेत्र से जुड़े हुए, प्राचीन इमारतों व संस्कृति सभ्यता से जुडे़ काम मघा नक्षत्र की सूची में आते हैं। अपनी स्पष्टवादिता और व्यापारी बुद्धि के चलते आप कारोबार में अधिक समय तन भी टिक सकें। नौकरी और व्यापार दोनों ही क्षेत्रों में हाथ आजमाते देखे जा सकते हैं।
पारिवारिक जीवन -
आप प्राय: ख़ुशहाल और आनंदपूर्ण वैवाहिक जीवन जिएंगे और आपकी संतानें भी भाग्यशाली होंगी। जीवनसाथी काफ़ी समझदार और दैनिक कार्यों में निपुण होगा। वह परिवार की ज़िम्मेदारी भी बख़ूबी पूरी करेगा। किंतु पाप ग्रहों का प्रभाव स्थिति को बदल सकता है। स्त्री पक्ष की ओर से स्थिति अधिक सुविधाजनक न रह पाए। वाद विवाद उभर सकते हैं, जातिका का व्यवहार रिश्तों में मानसिक तनाव भी ला सकता है। ऐसी स्थिति में पुत्र संतान प्राप्ती के सुख में विलम्ब भी हो सकता है।
मघा नक्षत्र स्वास्थ्य -
यह भचक्र का दसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह केतु है। इस नक्षत्र के अन्तर्गत पीठ, दिल, रीढ़ की हड्डी, स्प्लीन, महाधमनी, मेरुदंड का पृष्ठीय भाग आते हैं। जिसके साथ ही नासिका, ओष्ठ व ठोडी़ को मघा नक्षत्र का अंग माना जाता है। जब भी यह नक्षत्र पीड़ित होगा तब व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से होकर गुजरना पड़ेगा। नेत्र से संबंधी रोग जैसे रतौंधी रोग प्रभाव डाल सकता है। रक्त से जुड़े रोग हो सकते हैं। महिलाओं को गर्भाशय की परेशानी या हिस्टीरिया का प्रभाव हो सकता है। कफ और पित से संबंधित रोग भी प्रभावित कर सकते हैं।
सकारात्मक पक्ष :- माता-पिता का भक्त, स्पष्टवादी, समाजसेवी, श्रेष्ठ बुद्धि वाला, अपनी स्त्री के वश में रहने वाला तथा शत्रुओं का नाश करने वाला होता है। ये बड़ी कंपनियों और संगठनों, कानून, उच्च न्यायालय, इतिहास, पुरातत्व, परंपरा को बनाए रखने (विश्वविद्यालयों, सामाजिक संस्थान, क्लब) आदि में कार्य कर सकते हैं।
नकारात्मक पक्ष :- यदि चन्द्रमा, केतु और सूर्य खराब स्थिति में हैं तो मुंहफट, जल्दी ही मान जाने वाला, भिड़ंतशील, सुरक्षात्मक स्थिति का इच्छुक, शक्की, भावुक, चिंताग्रस्त मनः स्थिति वाला और उन्नति में बार-बार बाधाओं का शिकार होता है।
मघा नक्षत्र वैदिक मंत्र -
ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वाधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: ।
प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:
पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।
मघा नक्षत्र उपाय-
मघा नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को गुरुजनों व पूर्वजों का आदर सम्मान करना चाहिए।
नियत तिथि और विशेष अवसरों पर पितरों का स्मरण व पूजन अर्चन करना चाहिए।
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद जातक को बुरे प्रभावों से बचाता है।
मां काली और भगवान शिव की उपासना भी इस नक्षत्र के जातकों के लिए शुभदायक होती है।
सुनहरे पीले और गहरे रंग के रेशमी वस्त्र धारण करना आपके लिए लाभदायक होता है।
मघा नक्षत्र अन्य तथ्य-
- नक्षत्र - मघा
- राशि - सिंह
- वश्य - चतुष्पद
- योनी - मूषक
- महावैर - बिडाल
- राशि स्वामी - सूर्य
- गण - राक्षस
- नाडी़ - अन्त्य
- तत्व - अग्नि
- स्वभाव(संज्ञा) - उग्र
- नक्षत्र देवता - पितर
- पंचशला वेध - श्रवण