ज्येष्ठा नक्षत्र का फल
नक्षत्रों की श्रृंखला में अनुराधा 17 वां मृदु संज्ञक नक्षत्र है अनुराधा नक्षत्र में तीन तारे होते हैं जो छतरी के समान आकृति दर्शाते हैं। ये इस तरह अवस्थित हैं मानो लड़ी में जड़ी चार मणिया हो। कुछ अन्य विचारकों के अनुसर यह चार तारों का समूह होता है27 नक्षत्रों की श्रृंखला में ज्येष्ठा नक्षत्र का स्थान 18 वां है। ज्येष्ठा नक्षत्र में तीन तारे होते हैं जो कुण्डल के समान या छाते की तरह दिखायी देता है। तो कुछ के अनुसर यह गले में डालने वाले पेंडेन्ट के समान भी दिखाई पड़ता है। ज्येष्ठा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता इन्द्र हैं और स्वामी बुध है। ज्येष्ठा नक्षत्र के अर्थ से तात्पर्य बडा़ होना या वृद्ध से होता है। ज्येष्ठा तारे का रंग लाल कहा जाता है। इस नक्षत्र इंद्र और लिंग स्री है। ज्येष्ठा नक्षत्र सबसे बडा़ या सर्वोच्च कहलाता है। कुछ प्राचीन विद्वानों के अनुसार यह नक्षत्र बडा़ व अधिक श्रेष्ठ होने से ज्येष्ठा कहलाया। कुछ विद्वान इसे आदि शक्ति के कान का झुमका मानते हैं।
ज्येष्ठा के देवता इन्द्र है। ये 12 आदित्यो मे 5 वे आदित्य है। इन्द्र की माता अदिति और पिता कश्यप है। यह नक्षत्र गण्ड और तीक्ष्ण संज्ञक है। इसके स्वामी बुध ग्रह विष्णु की प्रतिछाया है। चन्द्रमा इस नक्षत्र में कभी-कभी गरीबी और दुःख का कारक है। जातक अल्प मित्रवान, एकन्तप्रिय, शक्तिशाली, आकर्षक होता है। ज्येष्ठा की प्राथमिक प्रेरणा अर्थ या सामग्री की सृमद्धि है। यह भी एक गण्डान्त नक्षत्र है। शास्त्रों में कहा गया है कि इसकी शांति करने से दोष दूर होता है। इन लोगों को क्रोध अधिक आता है और ये महत्वाकांक्षी होते है। अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताने में इन्हें सुख मिलता है। खर्चीले होते हैं।
व्यक्तित्व -
मंगल की राशि वृश्चिक एवं बुध के इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक हृष्ट-पुष्ट, ऊर्जावान और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं। आप जल्दी जल्दी काम करने वाले, अध्यनशील, स्पष्टवादी, निर्मल हृदय, धीर-गंभीर स्वभाव के होते हैं। आप अपनी अंतरात्मा की आवाज़ के अनुसार ही काम करना पसंद करते हैं। क्योंकि आप दूसरों की सलाह नहीं मानते इसलिए लोग अक्सर आपको हठी समझ बैठते हैं। सिद्धांतप्रिय होने के कारण जो आपको सही लगता है आप वही निर्णय लेते है। आप खुले मस्तिष्क के व्यक्ति हैं, फलत: संकुचित विचारधाराओं में बंधकर नहीं रहते हैं। आपका दिमाग़ तेज़ है इसलिए किसी भी विषय को तुरंत समझ लेते हैं। हर चीज़ में आप जल्दबाज़ी करते हैं इसलिए कई बार ग़लती भी कर बैठते हैं। आपमें कुछ पाने या बनने की प्रबल इच्छा है जिसके फलस्वरूप आप दूसरों को प्रभावित कर उनसे प्रशंसा व सम्मान पाने के लिए बहुत कार्य करते हैं।
आप मन के साफ़ और मर्यादित हैं लेकिन अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों पर प्रकट न करने की आदत के कारण आपकी ये विशेषताएँ छुपी रहती हैं। जीवन में बहुत शीघ्र आप आजीविका के क्षेत्र में उतर जायेंगे और इसके लिए किसी दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी जाने से नहीं चूकेंगे। अपना हर काम आप निष्ठा से करते हैं इसलिए आपकी तरक़्क़ी भी होती है। आप काफ़ी फुर्तीले हैं और अपने काम को जल्दी-से-जल्दी पूरा कर लेते हैं। समय की क़ीमत आप बख़ूबी समझते हैं अतः व्यर्थ बातों में अपना समय नहीं बिताते हैं। नौकरी हो अथवा व्यवसाय दोनों में ही आपको क़ामयाबी मिलेगी। अगर आप नौकरी करेंगे तो नौकरी में उच्च पद प्राप्त करेंगे और आपके दिशा-निर्देशन में कई लोग काम करेंगे। व्यवसाय में भी आपको पूर्ण सफलता मिलेगी और व्यावसायिक रूप से भी आप काफ़ी सफल रहेंगे। आपका व्यवसाय सफलता की राह में आगे बढ़ता रहेगा। जीवन के किसी भी क्षेत्र में जब प्रतियोगिता की बात आती है तब आप अपने विरोधियों पर हमेशा हावी ही रहेंगे।
यह गण्डमूल नक्षत्र है प्रथम पाद में जन्म हो तो बड़े भाई को, द्वितीय में छोटे भाई को, तृतीय में माता या नानी को, तथा चतुर्थ पाद में पिता को अरिष्टकारी होता है। इस नक्षत्र का जातक क्रोधी स्वभाव का, उन्नति के कार्यों में अनेक विघ्न बाधाएं पाने वाले, 18 वर्ष से 26 वर्ष तक जीवन में कुछ संघर्ष रहते हैं, लेकिन भले ही आपका संघर्ष रहे इससे जीवन में आपका अनुभव बढ़ता जायेगा। आपको मादक पदार्थों के सेवन से दूर रहना चाहिए वरना स्वास्थ्य काफ़ी ख़राब रह सकता है। आप काफ़ी विचारवान, कुशल और समझदार हैं। हर किसी से आप गहनता से स्नेह करेंगे और अपनी छवि बनाये रखने के लिए हमेशा सतर्क रहेंगे। आपको अच्छी-ख़ासी शिक्षा प्राप्त होगी और आप इस शिक्षा का प्रयोग बख़ूबी घर चलाने में करेंगे।
व्यवसाय -
ज्येष्ठा नक्षत्र में यदि आपका जन्म हुआ है तो आप छोटी आयु से ही कमाने लग जाते हैं। आप घर से दूर जाकर अपने प्रयासों द्वारा धनार्जन करते हैं। कार्यक्षेत्र में ईमानदारी के बल पर वे आगे बढ़ने के अच्छे अवसर भी प्राप्त करते हैं। खेल कूद में निपुण होते हैं, आप सुरक्षा से संबंधित कामों में बेहतर कर सकते हैं, सरकारी कर्मचारी एवं प्रबंधक, व्यवस्थापक के काम भी बेहतर तरह से करते हैं। संवाददाता, दूर दर्शन में काम कलाकार, वाचक, आभिनेता व्याख्यदाता, कथा वाचक रुप में बेहतर कर सकते हैं। आप समाचार वाचक, अग्निशमन कर्मचारी, गुप्तचर, अफ़सरशाह या उच्च पदाधिकारी, जलयान सेवा, वन अधिकारी, सेना से जुड़े कार्य, आपदा प्रबंधन दल से जुड़े कार्य, धावक, दूरसंचार या अंतरिक्ष प्रणाली से जुड़े काम, शल्य चिकित्सक आदि के रूप में सफल हो सकते हैं। आप व्यापार संघ के एक सक्रिय अधिकारी, उत्कृष्ट डीलर और ठेकेदार साबित हो सकते हैं आप अपने जीवन काल में अचल संपत्ति व्यापार से भारी मुनाफा कमा सकते हैं। प्रसिद्ध बिल्डर्स बन सकते हैं, इस नक्षत्र के जातक राजसी प्रकृति के होते हैं और एक शानदार जीवन जीते हैं।
पारिवारिक जीवन -
आप पारिवारिक जीवन शांत रखने वाले, परिवार के प्रति प्रेम और एकता की भावना रखने वाले होते हैं, लेकिन आपको परिवार से अधिक प्यार नहीं मिल पाता है। माता और भाई बंधुओं से प्रेम में कमी ही प्राप्त होती है, परिवार के लोग आपको अधिक पसंद न करें और जीवन साथी का दबाव भी आप पर अधिक रहता है। साथी आप पर हावी होने की कोशिश कर सकता है। पर वैवाहिक सुख मिलता है और जीवन साथी आपको गलत चीजों से बचाने की भी कोशिश करता है। शायद इसी कारण जीवन साथी का व्यवहार हावी होने जैसा लग सकता है। कई स्थानों पर दांपत्य जीवन में सुख की कमी भी देखी जाती है। संतान सुख में कमी हो सकती है। जातक अपने ससुराल की ओर से भी परेशान रह सकता है।
वैवाहिक जीवन -
आपका वैवाहिक जीवन सामान्यतः सुखी बीतेगा, लेकिन रोज़गार के चलते आप अपने परिवार से दूर रह सकते हैं। मुमकिन है कि आपके जीवनसाथी का प्रभाव आपके ऊपर अधिक रहे, परन्तु उनका अंकुश आपके लिए फ़ायदेमंद रहेगा। उन्हें कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती है, अतः सावधानी अपेक्षित है। अपने सगे भाई-बहनों से आपका कुछ मनमुटाव मुमकिन है।
स्वास्थ्य -
यह भचक्र का अठारहवाँ नक्षत्र है और बुध इसका स्वामी है। ज्येष्ठा नक्षत्र का अधिकार आँतो, मलद्वार, गुप्तांग, जननेन्द्रियाँ, अंडाशय तथा गर्भ आदि पर होता है। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर व्यक्ति को इन अंगों से संबंधित रोग होने की संभावना बनती है। गर्दन और धड़ का दाहिना भाग ज्येष्ठा नक्षत्र के क्षेत्र में आता है। ज्येष्ठा नक्षत्र को वात प्रधान नक्षत्र माना जाता है। इसके कारण इन्हें अफरा, पेट में गैस और गठिया जैसे रोग जल्द प्रभावित कर सकते हैं। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर बताए गए उक्त अंगों से संबंधित समस्याओं से होकर गुजरना पड़ता है।
सकारात्मक पक्ष :-
इस नक्षत्र में जन्मे जातक यदि उत्तम चरित्र रखते हैं तो बहुत ही ऊंचाइयों पर जाते हैं। उदाहरण के लिए मुख्य प्रबंधक, सीईओ, कप्तान, कमांडर, लीडर आदि होते हैं। ये खान श्रमिक, इंजीनियर, पुलिस और रक्षाकर्मी भी हो सकते हैं। साहस, रहमदिल, परिश्रम, नेतृत्व शक्ति और समस्याओं को सुलझाने में माहिर। ये प्राथमिकता और अनुभव के आधार पर श्रेष्ठता हासिल करते हैं। ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म हो तो जातक कवि, दानी पंडित, प्रधान, संतोषी, धर्मात्मा, कांतिमान, प्रतापी, यशस्वी, वैभवशाली, धनवान, प्रतिष्ठित, चतुर वक्ता, उपेक्षित लोगों से पूजित होता है।
नकारात्मक पक्ष :-
यदि बुध और मंगल खराब है तो ये अपने करीबी लोगों को धोखा देने वाले सिद्ध होते हैं। इनमें हठ और क्रोध है तो भाग्य बंद हो जाएगा और संघर्ष के रास्ते पर चलना होगा। ऐसा जातक अतिरंजनवादी अर्थात अतिशयोक्ति का प्रयोग करने वाला, गुस्सैल, तेज मिजाज वाला, अस्थिर मान्यता रखने वाला, अल्प मित्र समुदाय वाला तथा चरम सीमा पर खिन्न हो जाने वाला होता है।
उपाय -
ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता
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इन्द्र
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हैं, अत: नक्षत्रेश इन्द्र के प्रीत्यर्थ इन्द्र की कल्पित सुवर्ण प्रतिमा बनवाकर श्वेतचन्दन-गन्ध, चम्पकादि मनोहर पुष्प, कपूर, धूप, घृतदीप एवं चित्रान्न नैवेद्य द्वारा दैनिक (ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन) पूजन करें।
ज्येष्ठा नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
युवावस्था के ब्राह्मणों को स्वर्णदान-तिलदान अथवा नीले रंग के वस्त्रों का दान करें।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।
भुजा में या गले में
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अपामार्गमूल
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धारण करें।
माँ दुर्गा और काली माता की पूजा उपासना करने का फल भी शुभदायक बताया जाता है।
चंद्रमा का ज्येष्ठा नक्षत्र में गोचर होने पर ज्येष्ठा नक्षत्र के बीज मंत्र "ऊँ धं " का जाप करना उत्तम फल देने वाला व नक्षत्र शांति के लिए उपयोग माना जाता है।
जातक के लिए लाल, नीला, हरा, काला और आसमानी रंगों का उपयोग शुभदायक होता है।
हवन सामग्री में तिल-घृत-तण्डुल मिलाकर निम्नलिखित ज्येष्ठा नक्षत्र के वैदिक मंत्र से अपामार्ग समिधा पर हवन करें –
ॐ त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्द्रगूँहवे हवेसुहव गूँ शूरमिन्द्रम।
हृयामिशक्रं पुरुहूतमिन्द्र गूँ स्वस्तिनो मधवाधात्विन्द्र: ॐ शक्राय नम:।।
अन्य तथ्य -
- नक्षत्र - ज्येष्ठा
- राशि - वृश्चिक
- वश्य - कीट
- योनी - मृग
- महावैर - श्वान
- राशि स्वामी - मंगल
- नक्षत्र स्वामी - बुध
- गण - राक्षस
- नाडी़ - आदि
- तत्व - जल
- स्वभाव(संज्ञा) - तीक्ष्ण
- नक्षत्र देवता - इन्द्र
- पंचशला वेध - पुष्य
- प्रतीक - ताबीज, कान की बाली या छाता
- वृक्ष - चीड़ का पेड़
- रंग - क्रीम
- अक्षर - न और य
- शारीरिक गठन - शक्तिशाली शरीर
- भौतिक सुख - वाहन और भूमि का सुख