भरणी नक्षत्र का फल
भरणी अकाश मंडल में स्थित एक नक्षत्र है जिसका आकार त्रिकोण की तरह होता है, इस नक्षत्र का रंग लाल और प्रतीक चिन्ह त्रिकोण ही है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार भरणी नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। भरणी नक्षत्र आकाश मंडल में दूसरा नक्षत्र है। ‘भरणी‘ का अर्थ ‘धारक‘ होता है। दक्ष प्रजापति की एक पुत्री का नाम भरणी है जिसका विवाह चन्द्रमा से हुआ था। उसी के नाम पर इन नक्षत्र का नामकरण किया गया है। इस नक्षत्र के देवता यम और लिंग स्री है। भरणी नक्षत्र में यम का व्रत और पूजन किया जाता है। भरणी नक्षत्र मेष राशि में आती है। मेष राशि में यह नक्षत्र 13 अंश 20 कला से आरम्भ होता है और 26 अंश 40 कला तक रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शुक्र है। अकाश मंडल में स्थित इस नक्षत्र का स्थान सभी 27 नक्षत्रों में दूसरा है।
जातक का व्यक्तित्व -
मेष राशि एवं नक्षत्र स्वामी शुक्र है। इस नक्षत्र में उत्पन्न अधिकांश जातक चतुर, आरम्भ किए हुए कार्य के परिणाम तक जाने वाले, विरोधियों को नीचा दिखाने वाले, स्वभाव से ये बड़े दिल वाले और किसी की बात का बुरा न मानने वाले हैं। इनके नेत्र बड़े और आकर्षक हैं तथा ये आँखों के द्वारा ही अपने मनोभाव व्यक्त करने में सक्षम हैं; कदाचित इनकी आँखें बोलती हुई प्रतीत होती हैं। इनकी मुस्कान मनमोहक है; अपनी इसी दिलफ़रेब मुस्कान और क़ातिलाना अंदाज़ से ये किसी को भी अपना ग़ुलाम बना लेते हैं। इनमें एक ज़बरदस्त आकर्षण है। यदि इनके मन में कोई भारी तूफ़ान चल रहा हो तो भी ऊपर से ये शांत दिखाई पड़ते हैं। यह व्यावहारिक हैं इसलिए दूरगामी परिणाम की कोई चिंता नहीं करते। ये जीवन को जीवंत तरीक़े-से जीते हैं और जोख़िम उठाना व साहसिक पहल करना इनको अच्छा लगता है। यदि इनको सही मार्गदर्शन और स्नेहपूर्ण सहयोग मिले तो ये अपना लक्ष्य शीघ्र पा लेते हैं। ये तिकड़मबाज़ी से दूर हमेशा सीधे तौर-तरीक़ों को अपनाने में विश्वास रखते हैं। अपनी अंतरात्मा के विरुद्ध ये कोई काम नहीं करते हैं और हमेशा अपनी बात साफ़-साफ़ कहते हैं, इनको इसकी कोई चिंता नहीं होती भले ही इनके संबंध ख़राब हो जाएँ।
यह सदा सौंदर्य अथवा सुखानुभूति, रसीले पदार्थों के शौकीन, मनोरंजक, खेलकूद, संगीत, कलादि, फोटोग्राफी आदि कार्यों से धनार्जित करने वाले होते हैं, ये ईमानदार हैं और स्वाभिमानी होना भी इनका एक विशेष गुण है, इसलिए अपना हर काम ख़ुद करने में यक़ीन करते हैं। भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र है जोकि एक शुभ, सौंदर्यप्रिय, और कलाप्रिय ग्रह भी है।
इसलिए ये चतुर, सौंदर्यप्रिय, भौतिकतावादी, संगीतप्रिय, कलाप्रिय, घूमने-फिरने के शौक़ीन हैं। इनको अच्छे कपड़े पहनने में और राजसी ठाठ-बाट से जीवन जीने में आनंद आता है। कला, गायन, खेल-कूद में भी आपकी रुचि है। स्त्रियों के लिए यह नक्षत्र विशेष शुभ माना गया है, क्योंकि यह नक्षत्र स्त्रियोचित गुणों में बढ़ोतरी करता है (शुक्र के प्रभाव के कारण, क्योंकि शुक्र एक सौंदर्यप्रधान, कलाप्रिय ग्रह है)। यह आशावादी होते हैं और अपने माता-पिता तथा बड़ो का आदर करने वाले हैं। अवसरों की प्रतीक्षा करना इनकी आदत नहीं है बल्कि ये ख़ुद अवसरों की तलाश में निकल पड़ते हैं। इनका पारिवारिक जीवन भी सुखी होता है और ये न केवल अपने जीवनसाथी को प्रिय होंगे, बल्कि अपने गुणों के कारण उनपर शासन भी करेंगे।
कार्य-व्यवसाय -
यह संगीत, नृत्य, गायन, चित्रकारी व अभिनय के क्षेत्र, मनोरंजन व रंगमंच से जुड़े कार्य, मॉडलिंग, फ़ैशन डिज़ाइनिंग, फ़ोटोग्राफ़ी व वीडियो एडिटिंग, रूप व सौंदर्य से जुड़े व्यवसाय, प्रशासनिक कार्य, कृषि अर्थात खेती-बाड़ी का कार्य, कला-विज्ञापन, वाहन से जुड़े कार्य, होटल से जुड़े कार्य, न्यायधीश और वक़ालत आदि से जुड़े क्षेत्रों में विशेष सफल हो सकते हैं। धन-संग्रह करने में भी आपकी विशेष रुचि है। इस नक्षत्र के अन्तर्गत रक्त बैंक भी आते हैं। रक्त का परीक्षण करने वाले व्यक्तियों का व्यवसाय इस नक्षत्र के अन्तर्गत आता है। पुलिस, कस्टम अधिकारी, अनाज का व्यापार आदि इस नक्षत्र के अन्तर्गत आता है। इस नक्षत्र के जातक जादू के व्यवसाय, मनोरंजन के व्यवसाय, विज्ञान के प्रदर्शनी स्थल, खिलौने बनाने का व्यवसाय, खेल-कूद के सामान से जुडे़ व्यवसाय, बच्चों से संबंधित पुस्तकें तथा शिक्षा संबंधी सामान आदि भरणी नक्षत्र के व्यवसाय माने जाते हैं।
आर्थिक जीवन -
आर्थिक रूप से इस नक्षत्र में जन्मे लोग अच्छे होते हैं। इनको पता होता है कि किन चीजों पर खर्च करना है और किनपर नहीं। हालांकि खुद को आकर्षित करने के लिए यह सौंदर्यप्रसाधनों पर खूब खर्च करते हैं। धन को संचित करने में भी इस राशि के लोग सक्षम होते हैं।
प्रेम और वैवाहिक जीवन -
शुक्र के प्रभाव के कारण इस राशि के लोग विपरीत लिंगी लोगों को आकर्षित भी करते हैं और उनकी ओर आकर्षित भी होते हैं। प्रेम के मामलों में यह ईमानदार होते हैं और ज्यादातर 23 से 27 साल की उम्र तक यह विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। विवाहित जीवन में यह अपने जीवनसाथी का पूरा सहयोग करते हैं जिसके चलते दांपत्य जीवन अच्छा रहता है। इनका व्यवहार इतना अच्छा होता है कि घर के बुजुर्ग लोग भी इनको अत्यधिक प्रेम करते हैं।
पारिवारिक जीवन -
यह अपने परिवार से अत्यधिक प्रेम करते हैं और उनसे एक दिन भी अलग नहीं रहना चाहते। 23 वर्ष से 27 वर्ष में आपका विवाह होने की संभावना है। अपने परिवार की ज़रूरतों के मुताबिक़ आप ख़ूब ख़र्च करते हैं क्योंकि अपने परिवार की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों को पूरा करना आपको महत्वपूर्ण लगता है। अपने जीवनसाथी से आपको पूरा स्नेह, भरपूर सहयोग व विश्वास मिलेगा। अपने परिवार में बड़े-बूढ़ों का भी आप ख़ूब आदर करते हैं और अपने परिवार के हर सदस्य की ज़रूरतों का पूरा ख़याल रखते हैं। इसी वजह से आपका पारिवारिक जीवन भी काफ़ी ख़ुशहाल रहने की संभावना है।
भरणी नक्षत्र में किए जाने वाले कार्य -
भरणी नक्षत्र एक उग्र (क्रूर) नक्षत्र होता है। ऎसे में इस नक्षत्र में क्रूर कर्म करना सफल होता है। इस नक्षत्र में किसी को परेशान करना, तंत्र से जुड़े कर्म, तांत्रिक कार्यों में सफलता के लिए भरणी नक्षत्र का चयन बहुत ही उपयोगी होता है। किसी स्थान पर आग लगाना, किसी पर कोर्ट केस करना, कोई कठिन काम करना, अपने विरोधियों को नीचा दिखाने की कोशिश करना उन पर हमला करना, कोई ऎसे काम जिनमें चतुराई से पूर्ण योजनाओं को अमल में लाने की जरूरत हो उस काम के लिए भरणी नक्षत्र का समय अनुकूल माना गया है। भरणी नक्षत्र के देवता यम है ऎसे में यम से संबंधित काम कठोर कर्म में आते हैं।
नक्षत्र के शांति उपाय-
भरणी नक्षत्र के बुरे प्रभाव से बचने के लिए जातक अगर इस नक्षत्रे से जुड़े मंत्र, पूजा-पाठ, दान इत्यादि करें तो यह नक्षत्र से जुड़े खराब फलों को रोकने में बहुत प्रभावकारी बनता है। भरणी नक्षत्र के लिए शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति प्रभावशाली बनती है।
भरणी नक्षत्र के जातक को भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए।
आपको शुक्र के बीज मंत्र ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः‘ का जाप करना चाहिए।
भरणी नक्षत्र के देवता यम देव का पूजन करना चाहिए।
यदि कुंडली में मंगल और शुक्र प्रतिकूल हों तो इन दोनों ग्रहों की शांति करवानी चाहिए।
मन को संतुलित रखने के लिए योग ध्यान का सहारा लेना चाहिए।
यदि कुंडली में शुक्र की स्थिति शुभ नहीं है तो 6 या 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करना इन नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए शुभ माना जाता है।
दक्षिण दिशा में यम देव के निमित दीपदान करें।
भरणी नक्षत्र के नामाक्षर -
भरणी नक्षत्र मेष राशि के अन्तर्गत आता है। इस नक्षत्र में ली, लू, ले, लो नामाक्षर आते हैं।
भरणी नक्षत्र का नकारात्मक पक्ष :-
यदि मंगल और शुक्र की जन्म कुंडली में स्थिति खराब है तो ऐसा व्यक्ति क्रूर, सदा अपयश का भागी, दूसरे की स्त्री में अनुरक्त, विनोद में समय व्यतीत करने वाला, जल से डरने वाला, चपल, निंदित तथा बुरे स्वभाव वाला होता है। ऐसा जातक बुद्धिमान होने के बावजूद निम्न स्तर के लोगों के मध्य रहने वाला, विरोधियों को नीचा दिखाने वाला, मदिरा अथवा रसीले पदार्थों का शौकीन, रोग बाधा से अधिकतर मुक्त रहने वाला, चतुर, प्रसन्नचित तथा उन्नति का आकांक्षी होता है। उसके इस स्वभाव से स्त्री और धन का सुख मिलने की कोई गारंटी नहीं।
भरणी नक्षत्र का सकारात्मक पक्ष :-
भरणी नक्षत्र में जन्म होने से जातक सत्य वक्ता, उत्तम विचार, वचनबद्ध, रोगरहित, धार्मिक कार्यों के प्रति रुचि रखने वाला, साहसी, प्रेरणादायक, चित्रकारी एवं फोटोग्राफी में अभिरुचि रखने वाला होता है। अपना उद्देश्य अंतिम रूप से प्राप्त करने में समर्थ व्यक्ति। 33 साल की उम्र के बाद एक सकारात्मक मोड़।
यदि आपका जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ है तो आपकी राशि मेष है जिसका स्वामी मंगल है, लेकिन नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस तरह आप पर मंगल और शुक्र का प्रभाव जीवनभर रहेगा। मंगल जहां ऊर्जा, साहस व महत्वाकांक्षा देगा वहीं शुक्र कला, सौंदर्य, धन व सेक्स का कारण बनेगा है। अवकहड़ा चक्र के अनुसार वर्ण क्षत्रिय, वश्य चतुष्पद, योनि गज, महावैर योनि सिंह, गण मानव तथा नाड़ी मध्य हैं।
अन्य विशेषताएं -
प्रतीक चिन्ह :- त्रिकोण
रंग :- लाल
भाग्यशाली अक्षर :- ल
वृक्ष :- युग्म वृक्ष
राशि स्वामी :- मंगल
नक्षत्र स्वामी :- शुक्र
देवता :- यम