स्फटिक की माला पहनने से होती है धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति, जानिए इसके गुणों के बारे में
By: Future Point | 07-Apr-2020
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स्फटिक निर्मल सफ़ेदी लिए हुए रंगहीन पारदर्शी चमकदार और शीत प्रभाव रखने वाला होता है, आयुर्वेद में स्फटिक का प्रयोग सभी प्रकार के ज्वर, पित्त प्रकोप, शारीरिक दुर्बलता एवं रक्त विकारों को दूर करने के लिए शहद या गौ मूत्र के साथ औषधि के रूप में किया जाता है, इसे संस्कृत में सितोपल, शिवप्रिय, कांचमणि आदि कहा जाता है, स्फटिक माला वैसे तो देखने में यह अन्य रत्नों की तरह ही होता है, और यह देखने में बिलकुल कांच जैसा होता है। यह रत्न बहुत ठंडी प्रवृति का होता है और इसकी खूबी यह है कि इसको जितनी भी धूप में रखा जाये फिर भी यह गरम नहीं होता ठंडा ही रहता है।
यह शरीर में धारण किया जाता है इन रत्नों से हार और कंगन भी फायदे देते है। इन रत्न में बहुत सी बीमारियों को ठीक करने की शक्ति होती है। अत ज्वर, पित्त.विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी बिमारियों में वैद् इसकी भष्म का प्रयोग करते हैं, स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है, स्फटिक माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है, और विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने वाला और विघ्न को मिटाने वाला होता है, वेद शास्त्रों में इसके इस्तमाल के बहुत से फायदे बताये गए हैं। और बताया गया है की कैसे इस के इस्तमाल से बीमारियाँ भी ठीक होती है।
स्फटिक माला की विशेषताएँ-
इसे पहनने मात्र से व्यक्ति तनाव व दबाव से मुक्त होकर शांति प्राप्त करता है| स्फटिक की माला के मणकों से रोजाना सुबह लक्ष्मी देवी का मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है, स्फटिक के शिवलिंग की पूजा से धन, दौलत, खुशहाली और बीमारी आदि से राहत मिलती है| सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती हैं|
रुद्राक्ष और मूंगा के साथ पिरोया गया स्फटिक का ब्रेसलेट खूब पहना जाता है, इससे व्यक्ति को डर और भय से मुक्ति मिलती है, उसकी सोच समझ में तेजी से विकास होने लगता है, मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में सुख शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जाती है| कहते हैं कि स्फटिक के शंख से ईश्वर को जल तर्पण करने वाला पुरुष या स्त्री जन्म मृत्यु के फेर से मुक्त हो जाता है|
स्फटिक पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है, इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत प्रेत आदि की बाधा से मुक्ति मिलती है, स्फटिक कई प्रकार के आकार और प्रकारों में मिलता है| इसके मणकों की माला फैशन और हीलिंग पावर्स दोनों के लिहाज से लोकप्रिय है|
स्फटिक रोग विकार आदि से छुटकारा दिलाने में कारगर है| ज्वर, पित्त विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी बिमारियों में वैद् इसकी भस्म का प्रयोग करते हैं, स्फटिक कंप्यूटर से निकलने वाले ‘बुरे’ रेडिएशन को अपनी ओर खींचकर सोख लेती है, स्फटिक को नग के बजाय माला के रूप में पहना जाता है|
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असली स्फटिक की पहचान-
आज कल मार्केट में स्फटिक के नाम पर कांच की या प्लास्टिक की मालाएं भी मिलती हैं। लेकिन स्फटिक एक शुद्ध चमकिला पत्थर है। हाथ में लेने पर यह भारी और एकदम ठंडा लगता है। इसकी चमक कभी भी खतम नहीं होती है। जब इसे रगड़ेंगे तो इसमें स्पार्क होगा। इसके मोती एकदम से पारदर्शी होते हैं। यह कभी भी मटमेला नहीं होता। इसकी माला अंधेरे में लाइट मारने पर चमकती है। इसकी माला के हर मोतियों का साइज अलग-अलग हो सकता है। कोई छोटा तो कोई बड़ा। क्योंकि इसकी कोई कटिंग नहीं होती है। हां, डायमंड कट माला के मोती एक जैसे होते हैं लेकिन वह बहुत महंगे मिलते हैं|
स्फटिक माला के लाभ-
- स्फटिक मणि बर्फ के पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुकड़े के रूप में पाया जाता है, यह बर्फ के समान पारदर्शी और सफेद होता है, यह मणि के समान है|
- स्फटिक की माला के मणकों से रोजना सुबह लक्ष्मी माता के मंत्र जप करना आर्थिक तंगी का नाश करता है,
- सोमवार को स्फटिक माला धारण करने से मन में पूर्णत: शांति की अनुभूति होती है एवं सिरदर्द नहीं होता।
- यदि आप चाहते है कि आपकी जिन्दगी भी खुशी और सकारात्मक ऊर्जा के रंगों से भर जाए तो धारण करें स्फटिक माला, इसे पहनने से हर तरह की नेगेटिव एनर्जी दूर होती है और घर में पॉजिटिव माहौल बना रहता है|
- ज्योतिष अनुसार इसे धारण करने से धन, संपत्ति, रूप, बल, वीर्य और यश प्राप्त होता है।
- स्फटिक में दिव्य शक्तियां मौजूद होती हैं, जिससे आपका प्रत्येक कार्य बनता है और आपके दिमाग या मन में किसी प्रकार के नकारात्मक विचार नहीं आते|
- पूजा स्थान में इसकी माला मन्त्रों से सिद्ध कर गंगा जल से धो कर पूजा करने से इसे तिजोरी में रखने से और इसकी माला से लक्ष्मीजी का मन्त्र जप करने से घर में लक्ष्मी स्थिर होती है| तिजोरी का मुंह उत्तर की तरफ होना चाहिए|
- स्फटिक की माला से किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।
- शक्तिवर्घक प्रकृति का यह अनमोल सुरक्षा कवच मन, रोग एवं भावनाओं के उद्वेग को शांत कर शरीर व मन की शिथिलता को दूर कर स्वास्थ्य लाभ देता है आत्मविश्वास और निर्भयता प्रदान कर व्यक्तित्व को निखारता है तथा आघ्यात्मिक विकास में सहयोग करता है|
- मन इधर-उधर भटकने की स्थिति में, सुख.शांति के लिए स्फटिक पहनने की सलाह दी जाती है|
- अत्यधिक बुखार होने की स्थिति में स्फटिक माला को पानी में धोकर कुछ देर नाभि पर रखने से बुखार कम होता है एवं आराम मिलता है।
- इसकी माला धारण करने से विवादों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है और शत्रु भय नहीं रहता|
- स्फटिक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पहनने वाले किसी भी पुरुष या स्त्री को एकदम स्वस्थ रखता है| इसके बारे में यह भी माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत.प्रेत आदि की बाधा से मुक्त रहा जा सकता है|
- शनिवार को स्फटिक माला धारण करने से रक्त से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
- स्फटिक की माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
- इससे सोच-समझ में तेजी और दिमाग का विकास होने लगता है।
- इसके प्रभाव से ग्रहों के अशुभ दूर हो जाता है|
- इसकी भस्म से ज्वर, पित्त-विकार, निर्बलता तथा रक्त विकार जैसी व्याधियां दूर होती है।
- स्फटिक की माला धारण करने से शुक्र ग्रह दोष दूर होता है।
- यह पाप का नाशक है। पुण्य का उदय होता है।
- कहा जाता है कि इसे पहनने से किसी भी प्रकार का भय और घबराहट नहीं रहती है।
- इसकी माला धारण करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है|
नुकसान-
असली स्फटिक की प्रकृति ठंडी होती है। अत: यह शरीर में ठंडक पैदा करता है। ठंड में इसकी माला पहने रहने से शरीर और भी ठंडा हो जाता है। यह भी माना जाता है कि यदि इसे ग्रहों के अनुसार नहीं पहना तो भी यह नुकसान पहुंचा सकता है। इसका मतलब यह कि आपकी कुंडली या राशि के अनुसार यह आपको सूट होता है या नहीं यह भी देखना जरूरी हैं।