ग्रहण विचार

ग्रहण विचार

सूर्य ग्रहण हो अथवा चंद्र ग्रहण, इसे खगोल और ज्योतिष की दुनिया में महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहण का प्रभाव हमारे जीवन पर अवश्य ही दिखाई देता है। ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब कोई खगोलीय पिण्ड अस्थायी रूप से किसी अन्य पिंड की छाया में आता है या उसके और दर्शक के बीच कोई अन्य पिंड आ जाता है। तीन आकाशीय पिंडों का यह एक सीध में आना युति वियुति रूप में जाना जाता है। युति वियुति के अलावा, ग्रहण शब्द का उपयोग तब भी किया जाता है जब कोई अंतरिक्ष यान एक ऐसी स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ वह दो खगोलीय पिंडों की सीध में इस प्रकार से ही आ जाए। ग्रहण पूर्ण होता है या आंशिक हो सकता है।

सूर्य देव को जगत की आत्मा कहा जाता है। यह अपने प्रकाश से सभी जीव धारियों को जीवन देते हैं और इसी से हमें प्रकाश में प्राप्त होता है, जो वास्तव में ऊर्जा और जीवन का कारक बनता है। यही कारण है कि सूर्य देव आरोग्य के कारक ग्रह माने जाते हैं। ग्रहण शब्द का प्रयोग अक्सर सूर्य ग्रहण का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जब चंद्रमा की छाया पृथ्वी की सतह को पार करती है, या चंद्र ग्रहण, जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है। हालांकि, ग्रहण का अर्थ केवल पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली तक सीमित नहीं है, उदाहरण के लिए, एक अन्य ग्रह अपने चंद्रमाओं में से एक की छाया में जा रहा है, या किसी ग्रह का चंद्रमा अपने ग्रह की छाया से गुजर रहा है, या एक चंद्रमा दूसरे चंद्रमा की छाया से गुजर रहा है। एक द्वितारा प्रणाली भी ग्रहण उत्पन्न कर सकती है यदि उसके तारों की कक्षा का तल दर्शक की सीध में आता है।

क्या है ग्रहण?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और केतु ग्रहण लगाने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। समय-समय पर राहु और केतु सूर्य और चंद्र ग्रहण लगाते हैं जिसकी वजह से जीवन प्रभावित होता है। दोनों प्रकार के ग्रहण मानव जीवन पर महत्वपूर्ण परिवर्तन लाते हैं, लेकिन यह परिवर्तन अच्छे नहीं होते हैं। ग्रहण की अवधि के दौरान कुछ भी शुरू करना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस समय के दौरान आपकी शक्ति (अर्थात सूर्य) और आपका दिमाग (अर्थात चंद्रमा) दोनों का प्रभाव राहु और केतु के कारण पूरी तरह से कम हो जाता है।

ग्रहण का प्रभाव -

ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य और चन्द्रमा चन्द्रपातों के निकट हों । ऐसा वर्ष में दो बार होता है । एक कैलेंडर वर्ष में चार से सात ग्रहण हो सकते हैं , एक ग्रहण वर्ष या ग्रहण युग में ग्रहणों की पुनरावृत्ति होती है। इन दोनों ही ग्रहणों का प्रभाव अनुकूल और हानिकारक दोनों ही होगा। यदि आप ग्रहण के दौरान पूर्ण सावधानी रखते हैं तो इस अवधि के दौरान आप प्रतिकूल परिणामों से बच सकते हैं। क्योंकि चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के प्रभाव अलग-अलग होते हैं, इसलिए हमें इनके बारे में अलग अलग विचार करना चाहिए। आइये जानते हैं 2022 में लगने वाले ग्रहणों के बारे में….