भारतीय परम्परा में ग्रहण हमेशा से आस्था और जिज्ञासा का विषय रहा है। हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में ग्रहण को लेकर कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं हैं। सनातन धर्म में ग्रहण का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि ग्रहण के प्रभाव से वातावरण में रज-तम बढ़ जाता है, जिसका मानव जीवन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। रज-तम बढ़ने से अनिष्ट शक्तियां कई समस्याएं उत्पन्न करती है। हालांकि ज्योतिष उपाय, दान-धर्म और साधना के द्वारा ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।
ग्रहण 2021 फ्यूचर पॉइंट पंचाग के अनुसार इस साल घटित होने वाले सभी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की बात करें, तो इस वर्ष कुल चार ग्रहण घटित होंगे। जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो ही चंद्र ग्रहण घटित होंगे। ग्रहण का प्रभाव क्षेत्र और ग्रहण के प्रकार दोनों में भिन्नता देखने को मिलेगी। हालांकि इन सभी ग्रहणों में से जहाँ कुछ ग्रहण भारत में दिखाई देंगे, तो वहीं कुछ भारत में नहीं देखें जाएंगे। ऐसे में जहाँ ये नहीं देखे जायेंगे, वहां इनका सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा, लेकिन जहाँ यह दृष्टि गोचर होंगे, वहां ग्रहण का प्रभाव चराचर जगत के प्रत्येक प्राणी के ऊपर किसी न किसी रूप से ज़रूर देखने को मिलेगा|
धार्मिक दृष्टि से ऐसा माना जाता है कि राहु-केतु के कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है। तो वहीं खगोल विज्ञान के अनुसार यह एक खगोलीय घटना है। हालाँकि धार्मिक और खगोल विज्ञान के बीच ग्रहण को लेकर एक बात में समानता दिखती है, वह है ग्रहण को लेकर बरतने वाली सावधानियाँ। जहाँ धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान कई कार्यों को करने की मनाही है। वहीं खगोल शास्त्र के अनुसार भी ग्रहण को नग्न आँखों से देखने के लिए मना किया जाता है।
क्या होता है ग्रहण?
ग्रहण सामान्यत: एक खगोलीय घटना है। इसके अनुसार जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पड़ती है, तब ग्रहण होता है। हर साल हमें सूर्य व चंद्र ग्रहण दिखाई देते हैं, जो पूर्ण (खग्रास) व आंशिक (खंडग्रास) होते हैं।
सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा, सूर्य व पृथ्वी के मध्य में आता है, इस दौरान चंद्रमा की वजह से सूर्य ढकने लगता है और उसका प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पड़ता है। इस खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण के प्रकार
पूर्ण सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक ले तब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण: जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह न ढकते हुए केवल उसके केन्द्रीय भाग को ही ढकता है तब उस अवस्था को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण
जब पृथ्वी, सूर्य व चंद्रमा के मध्य में आ जाती है तब यह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण के प्रकार
पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है, तब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है।
आंशिक चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी चंद्रमा को आंशिक रूप से ढकती है, तो उस स्थिति में आंशिक चंद्र ग्रहण होता है।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी अपूर्ण प्रतीत होती है। तब इस अवस्था को उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
सूर्य ग्रहण 2021 (Surya Grahan 2021)
वर्ष 2021 में दो सूर्य ग्रहण पड़ने वाले हैं। पहला सूर्य ग्रहण वर्ष के मध्य में, यानि 10 जून 2021 को घटित होगा, तो वहीं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को घटित होगा। हालांकि भारत में दोनों सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देंगे, लिहाजा धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व नहीं है।
2021 का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण- (surya Grahan on 10 June 2021)
वर्ष 2021 में पहला सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को लगेगा| यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 13 बजकर 42 मिनट पर लगेगा, और 18 बजकर 40 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 58 मिनट है| वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण भारत में न दिखाई देते हुए केवल उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग में, यूरोप और एशिया में, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस में भी देखा जाएगा। भारत में इस सूर्य ग्रहण की दृश्यता न तो पूर्ण रुप से और ना ही आंशिक रुप से होगी, इसलिए इसका सूतक भी भारत में प्रभावी नहीं होगा।
वलयाकार सूर्य ग्रहण उस घटना को कहते हैं, जब चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए, सामान्य की तुलना में उससे दूर हो जाता है। इस दौरान चंद्र सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है, लेकिन उसका आकार पृथ्वी से देखने पर इतना नज़र नहीं आता कि वह पूरी तरह सूर्य की रोशनी को ढक सके। इस स्थिति में चंद्र के बाहरी किनारे पर सूर्य काफ़ी चमकदार रूप से रिंग यानि एक अंगूठी की तरह प्रतीत होता है। इस घटना को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते है।
2021 का दूसरा पूर्ण सूर्य ग्रहण- (surya Grahan on 4 December 2021)15:07 बजे तक
वर्ष 2021 का दूसरा व अंतिम सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को घटित होगा, यह भारतीय समयानुसार करीब 10 बजकर 59 मिनट पर लगेगा, और 15 बजकर 06 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 04 घंटे 07 मिनट है| वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में ही नज़र आएगा। जो एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण उस स्थिति में होता है जब चंद्र, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आकर सूर्य को ढक लेता है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता है। भारत में इस सूर्य ग्रहण की दृश्यता बिलकुल शून्य होगी, इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा।
चंद्र ग्रहण 2021
वर्ष 2021 में दो ही चंद्र ग्रहण घटित होने वाले हैं जिनमे से पहला चंद्र ग्रहण वर्ष के मध्य में 26 मई को घटित होगा तो वहीं साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 को घटित होगा।
2021 का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan on 26 may 2021)
वर्ष 2021 में पहला चंद्र ग्रहण वर्ष के मध्य में यानि 26 मई को लगेगा| यह चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 14 बजकर 17 मिनट पर लगेगा, और 19 बजकर 18 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 35 मिनट है| वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण ये चंद्र ग्रहण एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो पूर्वी एशिया, प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में पूर्ण चंद्र ग्रहण की तरह दृश्य होगा, लेकिन भारत में ये महज एक उपच्छाया ग्रहण की तरह ही देखा जाएगा। जिस कारण भारत में इसका सूतक नहीं लगेगा।
2021 का दूसरा उपच्छाया चंद्रग्रहण (Chandra Grahan on 19 November 2021)
वर्ष 2021 का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगेगा| जो शुक्रवार की दोपहर, 11 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा, और 17 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 08 घंटे 01 मिनट की रहेगी, यह चंद्र ग्रहण ये एक आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जिसकी दृश्यता भारत, अमेरिका, पूर्वी एशिया, उत्तरी यूरोप,ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में होगी। इस कारण ये चंद्र ग्रहण भारत में यूँ तो दिखाई देगा, लेकिन उपचाया ग्रहण के रूप में दृश्य होने के चलते, इस चंद्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक यहाँ मान्य नहीं होगा।
ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीन हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत को दानवों ने छिन लिया। इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगे, लेकिन भगवान विष्णु की इस चाल को राहु नामक असुर समझ गया और वह देव रूप धारण कर देवताओं के बीच बैठ गया। जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने कहा कि, यह राहु दैत्य है। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को काट दिया। अमृत के प्रभाव से उसका सिर व धड़ राहु और केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बैर भाव की वजह से सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण कराते हैं।
ग्रहण को लेकर ज्योतिषीय पक्ष
जन्म कुंडली में कई योग और कई दुर्योग होते हैं। जिनके प्रभाव से मनुष्य को जीवन में सफलता और विफलता दोनों ही मिलती है। ग्रहण की वजह से हमारी कुंडली में ग्रहण दोष भी उत्पन्न हो जाता है। यह एक अशुभ दोष है, जिसके प्रभाव से जातक को जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब किसी व्यक्ति की लग्न कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई एक ग्रह बैठा है, तो यह प्रबल ग्रहण दोष की स्थिति बनती है। इसके अलावा यदि सूर्य या चंद्रमा के भाव में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह स्थित हो, तो उस स्थिति में भी ग्रहण दोष अधिक लगता है। ग्रहण दोष के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में एक मुसीबत टलते ही दूसरी मुश्किल आ जाती है। नौकरी-व्यवसाय में परेशानी, आर्थिक समस्या और खर्च जैसी परेशानी बनी रहती है।
ग्रहण में क्या करें क्या ना करें?
हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। दरअसल ग्रहण के दौरान सूतक या सूतक काल एक ऐसा समय होता है, जब कुछ कार्य करने की मनाही होती है। क्योंकि सूतक के इस समय को अशुभ माना जाता है। सामान्यत: सूर्य व चंद्र ग्रहण लगने से कुछ समय पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण के समाप्त होने पर स्नान के बाद सूतक काल समाप्त होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूतक काल के दौरान निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए। हालांकि वृद्ध, बच्चों और रोगियों पर ग्रहण का सूतक मान्य नहीं होता है।
ग्रहण में ये काम करें
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य मंत्र एवं चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्र मंत्र का सपरिवार जाप करें।
ध्यान, भजन और ईश्वर की आराधना करनी चाहिए।
ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव।
ग्रहण के बाद जरुरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को अनाज का दान करें|
ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान के बाद भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएं और पूजा करें।
पूजा के दौरान केवल और केवल मिट्टी के दियों का ही इस्तेमाल करें।
सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन करें।
सूतक काल के पहले तैयार भोजन को बर्बाद नहीं करें, बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर भोजन को शुद्ध करें।
सूतक काल के समय योग और ध्यान करें क्योंकि ऐसा करने से न केवल आपकी मानसिक शक्ति का विकास होगा बल्कि आप अपने शरीर को ग्रहण के हर प्रकार के दुष्प्रभावों से भी बचाने में सफल होंगे।
ग्रहण में ये काम नहीं करें
किसी नए कार्य की शुरुआत करने से बचें।
सूतक के दौरान भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है।
देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें।
ग्रहण में गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने और ग्रहण देखने से बचना चाहिए। ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटने और छीलने जैसे कार्यों से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के समय चाकू और सुई का उपयोग करने से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों को क्षति पहुंच सकती है। ग्रहण की समाप्ति तक सोने और खाने से बचें। संभव हो तो सूतक काल के समय दूर्वा घास को लेकर संतान गोपाल मंत्र का जप करें।
ग्रहण में करें मंत्र जप
सूर्य ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जप करें
"ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ”
चंद्र ग्रहण के दौरान इस मंत्र का जप करें
“ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ”
ग्रहण का मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है लेकिन इन तमाम ज्योतिष और धार्मिक उपायों की मदद से आप इसके बुरे प्रभाव से बच सकते हैं।