आधुनिक विज्ञान के अनुसार ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन भारतीय ज्योतिष में यह बड़े परिवर्तन का कारण माना जाता है| सूर्य ग्रहण के लगने से पहले ही उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है, और ग्रहण की समाप्ति के बाद भी कई दिनों तक उसका असर देखने को मिलता है| सूर्य ग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है, लेकिन ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इसका व्यक्ति की राशि पर भी प्रभाव पड़ता है| इसलिए ग्रहण के बाद दान और स्नान किया जाता है| यही नहीं ग्रहण के 12 घंटे से पहले सूतक लग जाता है, और मंदिरों के पट भी बंद हो जाते हैं| आइये जानते हैं 2020 में सूर्य ग्रहण कौन-कौन सी तारीखों को घटित होंगा, और दुनिया के कौन से हिस्सों से इसे देखा जा सकता है| इसके आलावा सूर्य ग्रहण के दौरान आपको क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, तथा सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक कब शुरु होगा, और सूतक के दौरान आप इसके दुष्प्रभावों से कैसे बच सकते हो, इन सभी की जानकारी आपको दी जाएगी|
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सूर्य ग्रहण 2020
खगोल विज्ञान के अनुसार, जब चंद्रमा अपने कक्षीय पथ पर भ्रमण करता हुआ पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, और चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं, तो इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है| सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूर्ण रुप से या आंशिक रुप से सूर्य को ढक देता है| वैदिक ज्योतिष, सूर्य ग्रहण की घटना के दौरान सावधान रहने की सलाह देता है क्योंकि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जो सम्पूर्ण जगत को प्रभावित करती है| सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं|
पूर्ण सूर्य ग्रहण
इस खगोलीय घटना में चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रुप से ढक देता है, जिससे सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती| यह घटना पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाती है|
आंशिक सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा और सूर्य एक सीधी रेखा में नहीं होते और केवल आंशिक रुप से सूर्य चंद्र द्वारा ढका हुआ प्रतीत होता है, इसी घटना को आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है|
वलयाकार सूर्य ग्रहण
इस घटना में चंद्रमा सूर्य से छोटा प्रतीत होता है, और चंद्रमा द्वारा सूर्य का मध्य भाग ढक जाता है, जिसके कारण सूर्य रिंग की तरह दिखाई देता है| इस ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है|
2020 का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण- (surya Grahan on 21 June 2020)
वर्ष 2020 में पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगेगा| यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 09 बजकर 15 मिनट पर लगेगा, और 15 बजकर 03 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 48 मिनट है| वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है| यह सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और मृगशिरा नक्षत्र में पड़ेगा| इसलिए मिथुन राशि के जातकों पर इस ग्रहण का प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है|
2020 का दूसरा पूर्ण सूर्य ग्रहण- (surya Grahan on 14-15 December 2020)
वर्ष 2020 में दूसरा सूर्य ग्रहण 14-15 दिसंबर को दिखेगा| यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार करीब 19 बजकर 03 मिनट पर लगेगा, और 00 बजकर 22 मिनट तक रहेगा, इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 19 मिनट है| वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत, अफ्रीका का दक्षिणी भाग, अधिकांश दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक, और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है| यह सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में कृष्ण पक्ष अमावस्य़ा तिथि और ज्येष्ठा नक्षत्र को पड़ेगा| अत: वृश्चिक राशि के जातकों को इस समय अब्धि में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है|
सूतक के समय क्या न करें-
- किसी नए कार्य का शुभारंभ न करें|
- सूतक के समय भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है|
- देवी-देवताओं की मूर्ति और तुलसी के पौधे का स्पर्श नहीं करना चाहिए|
- दाँतों की सफ़ाई, बालों में कंघी आदि नहीं करें|
सूर्य ग्रहण के समय क्या करें-
- ध्यान, भजन, और ईश्वर की आराधना करनी चाहिए|
- सूर्य ग्रहण के दौरान आपको धार्मिक और प्रेरणादायक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए|
- सूर्य से संबंधित मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए|
- ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का छिड़काव करें|
- ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएँ और उनकी पूजा करें|
- सूतक काल समाप्त होने के बाद ताज़ा भोजन बनायें|
- यदि भोजन पहले से बना हुआ है, तो ग्रहण से पूर्व उसमें तुलसी डाल दें, ताकि भोजन दूषित न हो|
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए| क्योंकि इस दौरान वातावरण में उत्पन्न होने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है|
- ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, काटना या छीलना जैसे कार्य नहीं करने चाहिए| क्योंकि ऐसा करने से बच्चों के अंगों को क्षति पहुंच सकती है|
- सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए| "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ” मंत्र का जाप करना चाहिए|
- सूर्य ग्रहण के बाद जरुरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को अनाज का दान करें|
सूतक काल के दौरान अशुभ अवधि
हिंदू धर्म में सूतक काल के समय कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है| क्योंकि सूतक काल एक ऐसा अशुभ समय होता है, शास्त्रों के अनुसार इस काल अब्धि में किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए| सामान्यत: ग्रहण लगने से कुछ घंटों पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, और सूतक के बाद शुद्ध जल से स्नान अवश्य करना चाहिए| साल 2020 में घटित होने वाला पहला सूर्य ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए सूतक का असर भारत के लोगों पर भी पड़ेगा|
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह-
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को व्यक्ति की आत्मा, राज्य और पिता का कारक माना जाता है| यह जीवन का मुलभुत स्रोत है| सूर्य को सिंह राशि और पूर्व दिशा का स्वामी माना जाता है| यह मेष राशि में उच्च के और तुला राशि में नीच के होते हैं| यह रुबी रत्न का प्रतिनिधित्व करते हैं| जिस जातक की कुंडली में सूर्य सकारात्मक और बलि होता है, उसे प्रसिद्धि, शक्ति और अधिकार प्राप्त होते हैं और यदि सूर्य अच्छी अवस्था में ना हो तो जातक में अहंकार, आक्रामकता और नकारात्मकता की अधिकता होती है| ऐसे इंसान का आत्मबल कमजोर रहता है| जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर है उन्हें रुबी रत्न धारण करना चाहिए| और नित्य सूर्य की उपासना और आदित्यहृदयस्त्रोत्र का पाठ करना चाहिए, यदि आप अपने सूर्य को मजबूत कर लें, तो आपको लाभकारी परिणामों की प्राप्ति होगी| कुंडली में राहु और केतु के साथ सूर्य की स्थिति ग्रहण दोष का निर्माण करती है| अत: जातक को राहु-केतु के प्रभाव से प्रतिकुल प्रभाव मिल सकते हैं| आपको बता दें, कि राहु और केतु की गिनती ग्रहों में नहीं होती इन दोनों को छाया ग्रह माना जाता है|
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